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शराबी शिक्षक, गीतों की क्लास और खामोश सरकार — क्या यही है मध्य प्रदेश में सरकारी शिक्षा का स्तर?

✍️ डॉ. महेश प्रसाद मिश्रा, मंडला I भोपाल (म.प्र.)

अहमदपुर के ग्वारीटोला प्राथमिक शाला का वीडियो वायरल, नशे में पढ़ाते शिक्षक ने खोली शिक्षा व्यवस्था की पोल

मध्य प्रदेश के मंडला जिले की ग्राम पंचायत अहमदपुर स्थित ग्वारीटोला प्राथमिक शाला से सामने आया एक वीडियो राज्य की सरकारी शिक्षा व्यवस्था पर करारा तमाचा है। वीडियो में शिक्षक महेश कुमार गोठरिया शराब के नशे में बच्चों को पढ़ाने के बजाय “तुम तो ठहरे परदेसी…” जैसे फिल्मी गीत सिखाते दिखाई दे रहे हैं। यह घटना ऐसे समय सामने आई है जब हाल ही में इसी स्कूल को लेकर यह खुलासा हुआ था कि करीब 19 मासूम बच्चे कृषि विभाग के गोदाम में पढ़ने को मजबूर हैं, जबकि कागजों में स्कूल को पूर्ण और सुव्यवस्थित दर्शाया गया है। अब इस वीडियो ने साफ कर दिया है कि रिकॉर्ड और हकीकत के बीच कितनी गहरी खाई है।

हैरान करने वाला बयान:जब शिक्षक से इस शर्मनाक कृत्य को लेकर सवाल किया गया, तो उसने नशे में पढ़ाने को सही ठहराते हुए कहा—“मैं शराब पिए बिना पढ़ा ही नहीं सकता।”
यह बयान सिर्फ एक शिक्षक की गैर-जिम्मेदारी नहीं, बल्कि पूरी व्यवस्था की विफलता का प्रमाण है।

सीधा सवाल सरकार से:
• क्या बच्चों का भविष्य शराबियों के हवाले कर दिया गया है?
• क्या शिक्षक चयन में योग्यता की जगह केवल औपचारिकताओं को तरजीह दी जा रही है?
• क्या जवाबदेही सिर्फ कागजों तक सीमित रह गई है?

नीति पर कटाक्ष (व्यवस्था पर, व्यक्ति पर नहीं):
शिक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि जब गुणवत्ता, प्रशिक्षण और जवाबदेही को दरकिनार कर केवल नीतिगत मजबूरियों के आधार पर नियुक्तियाँ होंगी, तो परिणाम ऐसे ही सामने आएंगे।
नीति का उद्देश्य सामाजिक न्याय होना चाहिए, न कि अयोग्यता को संरक्षण देना।यदि अयोग्य और गैर-जिम्मेदार लोगों को शिक्षक की कुर्सी पर बैठाया जाएगा, तो स्कूल ज्ञान के मंदिर नहीं, तमाशे के मंच बनेंगे।

मध्य प्रदेश सरकार यदि अब भी नहीं चेती,यदि ऐसे शिक्षकों पर तत्काल बर्खास्तगी और आपराधिक कार्रवाई नहीं हुई,तो आने वाले वर्षों में राज्य को एक पूरी पीढ़ी की शैक्षणिक बर्बादी की कीमत चुकानी पड़ेगी।यह केवल एक स्कूल या एक शिक्षक का मामला नहीं,यह सरकारी शिक्षा व्यवस्था के चरमराते ढांचे की भयावह तस्वीर है।


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