
जालौन CHC में भ्रष्टाचार को खुला संरक्षण!
CMO की भूमिका संदिग्ध — 18 साल की अवैध तैनाती पर ‘जांच’ सिर्फ दिखावा
जालौन। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (CHC) जालौन में फैले खुले भ्रष्टाचार पर अब सीधे-सीधे मुख्य चिकित्सा अधिकारी (CMO) की भूमिका सवालों के घेरे में है। 18 वर्षों से फार्मासिस्ट प्रेम नारायण और 12 वर्षों से डॉ. कपिल गुप्ता एक ही केंद्र पर जमे हुए हैं, इसके बावजूद आज तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई।
सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि CMO द्वारा तथाकथित “जांच” की आड़ में केवल वाहवाही लूटी जा रही है, जबकि जमीनी हकीकत में ना तो स्थानांतरण हुआ, ना निलंबन और ना ही कोई दंडात्मक कार्रवाई। यह जांच नहीं, बल्कि भ्रष्टाचार को बचाने का सुनियोजित नाटक प्रतीत हो रही है।
शिकायतों पर कार्रवाई करने के बजाय जनता को गुमराह किया जा रहा है। बार-बार कहा जा रहा है कि “मामला जांच में है”, लेकिन यह जांच नतीजे देने के बजाय समय काटने का हथकंडा बन चुकी है। सवाल उठता है कि जब सेवा अवधि नियमों का खुला उल्लंघन है, तो फिर जांच किस बात की?
स्वास्थ्य विभाग के नियमों के अनुसार, लंबे समय तक एक ही स्थान पर तैनाती स्वयं में गंभीर अनियमितता है, फिर भी CMO कार्यालय से जानबूझकर आंखें मूंदी जा रही हैं। यह स्थिति स्पष्ट संकेत देती है कि ऊपर से संरक्षण प्राप्त है और नीचे भ्रष्टाचार फल-फूल रहा है।
जनता पूछ रही है—
CMO आखिर किसके दबाव में कार्रवाई से बच रहे हैं?
जांच की आड़ में कब तक भ्रष्टाचार को ढका जाएगा?
क्या स्वास्थ्य सेवाओं से बड़ा कोई गठजोड़ बन चुका है?
अब यह मामला केवल CHC तक सीमित नहीं रहा, बल्कि पूरे स्वास्थ्य प्रशासन की साख पर धब्बा बन चुका है। यदि तत्काल स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच कराकर कठोर कार्रवाई नहीं की गई, तो यह साफ माना जाएगा कि CMO कार्यालय स्वयं इस भ्रष्टाचार का संरक्षक है।