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मनरेगा में बड़ा बदलाव: 100 की जगह अब 125 दिन का रोजगार, पौड़ी गढ़वाल के ग्रामीणों को बड़ी राहत


पौड़ी गढ़वाल।
ग्रामीण क्षेत्रों के लिए केंद्र सरकार ने मनरेगा योजना में अहम बदलाव की घोषणा की है। अब ग्रामीण परिवारों को सालाना 100 दिनों के बजाय 125 दिनों का गारंटीकृत रोजगार मिलेगा। इसके साथ ही योजना को नई पहचान देते हुए इसका नाम “पूज्य बापू ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना” किया गया है। इस निर्णय को उत्तराखंड के पर्वतीय जिलों, विशेषकर पौड़ी गढ़वाल के लिए बड़ी राहत के रूप में देखा जा रहा है।

पौड़ी गढ़वाल जिले में रोजगार के सीमित अवसर, छोटी जोत की खेती और मौसमी आय के कारण बड़ी संख्या में ग्रामीण परिवार मनरेगा पर निर्भर हैं। ऐसे में 25 दिनों का अतिरिक्त रोजगार न केवल आय बढ़ाने में सहायक होगा, बल्कि गांवों में टिके रहने की मजबूती भी देगा।

पर्वतीय क्षेत्रों से पलायन लंबे समय से एक गंभीर समस्या बना हुआ है। रोजगार की कमी के कारण युवा और मजदूर वर्ग शहरों की ओर रुख करता है। स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि यदि मनरेगा के तहत काम की उपलब्धता बढ़ती है और मजदूरी का भुगतान समय पर होता है, तो इससे पलायन पर रोक लगाने में मदद मिलेगी। द्वारीखाल, रिखणीखाल, यमकेश्वर, थलीसैंण और कोट ब्लॉकों में यह फैसला विशेष रूप से प्रभावी हो सकता है।

मनरेगा के तहत जिले में जल संरक्षण, चाल-खाल निर्माण, खेतों की मेड़बंदी, ग्रामीण संपर्क मार्ग, तालाबों की सफाई, वन पंचायत क्षेत्रों में वृक्षारोपण जैसे कार्य कराए जाते हैं। 125 दिनों का रोजगार मिलने से इन कार्यों में तेजी आने की संभावना है, जिससे गांवों की आधारभूत संरचना मजबूत होगी और प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण भी होगा।

ग्रामीण मजदूरों का कहना है कि महंगाई के इस दौर में अतिरिक्त मजदूरी उनके लिए बड़ी राहत होगी। इससे बच्चों की पढ़ाई, स्वास्थ्य और घरेलू जरूरतों को पूरा करना आसान होगा। किसानों का मानना है कि मनरेगा के तहत खेतों से जुड़े कार्यों से कृषि उत्पादन को भी अप्रत्यक्ष रूप से लाभ मिलेगा।

प्रशासन और जनप्रतिनिधियों की भूमिका अहम

स्थानीय जनप्रतिनिधियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि यह निर्णय तभी प्रभावी साबित होगा, जब:

जॉब कार्ड धारकों को समय पर काम मिले

मजदूरी भुगतान में देरी न हो

कार्यों का चयन स्थानीय जरूरतों के अनुसार किया जाए

उन्होंने मांग की है कि पर्वतीय जिलों की भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए विशेष प्रावधान भी किए जाएं।

मनरेगा में 125 दिन का रोजगार उत्तराखंड के पहाड़ी जिलों के लिए आर्थिक संबल बन सकता है। यदि योजना का सही और पारदर्शी क्रियान्वयन हुआ, तो यह न केवल ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती देगा, बल्कि पौड़ी गढ़वाल जैसे जिलों में पलायन की समस्या को कम करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

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