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पिछले दो दशक से न्याय की आस में भटक रहे महाविद्यालय कर्मचारी कब मिलेगा न्याय अधिकारी कर रहे मनमानी

उच्च शिक्षा विभाग के अंतर्गत संचालित राजकीय महाविद्यालय, क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारी कार्यालय तथा पब्लिक लाइब्रेरी इलाहाबाद मैं कार्यालय अभिषेक करके कल 54 पद दिनांक 1 जनवरी 2006 को विद्यमान थे छठे वेतन आयोग (2006) की वेतन समिति (2008) की स्वीकृति दिनांक 18 मार्च 2011 के अनुसार उच्च शिक्षा विभाग के राजकीय कार्यालय तथा शिक्षण संस्थान (महाविद्यालय) के कार्यालय अधीक्षकों को नया परिवर्तित परिणाम प्रशासनिक अधिकारी तथा ग्रेड वेतन दिनांक 1 जनवरी 6 को 4200 एवं दिनांक 22 दिसंबर 2011 से 4600 अनुमान कराए जाने की स्वीकृति प्रदान की गई थी तथा इसके लिय वितृ विभाग की सहमति प्राप्त कर विभागीय आदेश निर्गत किए जाने हेतु प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा/ सचिव उच्च शिक्षा को निर्देशित किया गया था उत्तर प्रदेश राजकीय महाविद्यालय कर्मचारी सेवा परिषद के महामंत्री श्री आर बी थापक के अनुरोध पर डॉ रामानंद प्रसाद निदेशक उच्च शिक्षा उत्तर प्रदेश इलाहाबाद के द्वारा इस संबंध में सचिव उच्च शिक्षा विभाग 5 से अनुरोध किया गया था जिसमें उन्होंने स्पष्ट किया था कि शासनादेश संख्या 401 दिनांक 18 मार्च 2011 के अनुसार प्रदेश के राज महाविद्यालयों में वर्तमान में कुल 54 कार्यालय अधीक्षक के पद है जिन्हें नया परिवर्तित पदनाम प्रशासनिक अधिकारी दिए जाए परिषद के अनेकों पत्राचार करने तथा कई प्रयासों के बावजूद वर्ष 2016 में सचिवालय स्तर पर लंबित चल रहे इस प्रकरण का निस्तारण शासनादेश संख्या 2365 दिनांक 4 अक्टूबर 2016 के माध्यम से किया गया लेकिन उसमें एक बहुत बड़ी गलती शासना देश को अनदेखा करते हुए जानबूझकर उत्पीड़न की दृष्टि से की गई 54 कार्यालय अधीक्षकों को प्रशासनिक अधिकारी के स्थान पर प्रधान सहायक बना दिया गया जिसका खामियाजा आज भी कार्यरत प्रधान सहायक झेल रहे हैं साथ ही सेवानिवृत हो चुके कार्यालय अधीक्षक आर्थिक नुकसान उठा रहे तथा अपने पद प्रतिष्ठा के हनन का शिकार हो रहे हैं नए पदोन्नति प्राप्त कार्यालय अधीक्षकों जिन्हें प्रधान सहायक बना दिया गया है को पदोन्नति के आगे के अवसर समाप्त हो चुके हैं उन्हें तीसरे पदोन्नति के लिए कोई भी पैड उपलब्ध नहीं है यह एक प्रभावी विडंबना है जिसकी निदेशालय(उच्च शिक्षा) विभाग में बैठे उच्च अधिकारी अनदेखी करते हैं
अपने पद प्रतिष्ठा की आन बान शान को ध्यान में रखते हुए सेवा निवृत्त कुछ कार्यालय अधीक्षक के द्वारा श्री थापक के नेतृत्व में इस संबंध में एक ही आज का माननीय उच्च न्यायालय में दाखिल की जो वर्ष 2022 से चल रही है समुचित न्याय की प्रत्याशा में राजकीय महाविद्यालय क्षेत्रीय कार्यालय में तथा पब्लिक लाइब्रेरी इलाहाबाद एवं सेवा निवृत कार्यालय अधीक्षक सभी माननीय उच्च न्यायालय के अंतिम निर्णय के प्रति पुरजोर आस लगाए हुए हैं
हम होंगे कामयाब एक दिन यह मन में है विश्वास हम होंगे कामयाब एक दिन
वर्तमान में राजकीय महाविद्यालय कर्मचारी संयुक्त परिषद के संरक्षक श्री राकेश बाबू थापक ने बताया कि समुचित न्यायपूर्ण सफलता प्राप्त होने के पश्चात इस प्रकरण को इतने दिनों तक अनावश्यक उत्पीड़न की दृष्टि से लंबित रखना तथा महामहिम राज्यपाल के राजपत्र की अवहेलना शासनादेशों की अनदेखी करने वाले नीचे से ऊपर तक के जो भी उत्तरदाई लोग हैं चाहे कर्मचारी हो या अधिकारी कदापि बक्से नहीं जाएंगे
उन्होंने ऑनलाइन संपन्न बैठक में सभी का आप हर वक्त करते हुए यह आवाहन किया कि इस संबंध में सभी लोग एक झूठा करके करने से कंधा मिला करके सहयोग प्रदान करते हुए कार्यक्रम को सफल बनाने में अपनी सहभागिता प्रदान करते हुए भैया सभी लोग विजय श्री प्राप्त करें

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