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क्या तुम मिरे दिल बसी हो

🌹 शीर्षक

ग़ज़ल – क्या तुम मिरे दिल बसी हो

✨ ग़ज़ल – भाग 2 ✨

(1)
तेरी धड़कन छू ले हर दम, दिल में उजाला भर देती,
जैसे कोई फूल खिले हो, पुरवाई भी बहती-सी।

(2)
तेरे होंठों की मुस्कानें, इक रहमत-सी लग जातीं,
हर शिकवा मिट जाता पल में, तेरी हँसी बरसती-सी।

(3)
तेरे संग ही साँसों में इक, मीठा सुर सा गूंज उठे,
जैसे कोई सरगम बनकर, रूह मेरी में बसती-सी।

(4)
तू आए तो महफ़िल महके, तू जाए तो रातें रूठें,
क्या कहूँ, तू किस मंज़िल की—राहों में यूँ सजती-सी।

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डिस्क्लेमर :-

यह रचना कवि 🖌️🖌️ सुरेश पटेल सुरेश की मौलिक छंद-शैली कृति है;
इसके भाव, विचार एवं प्रस्तुति पूर्णत: लेखक के स्वत्वाधिकार में सुरक्षित हैं।
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