
आऊ उपखंड की जनता का धैर्य दे रहा जवाब
150 बसों के रोजाना आवागमन के बावजूद स्थायी बस स्टैंड नहीं बना पाया प्रशासन
आधी आबादी महिलाओं की शर्मिंदगी—शौचाल
आऊ। फलोदी
राज्य सरकार और जिला प्रशासन की योजनाओं का जमीनी स्तर पर लागू न होना आज भी कई ग्रामीण क्षेत्रों के लिए परेशानी का मुख्य कारण बना हुआ है। फलोदी जिले का आऊ उपखंड भी वर्षों से इसी समस्या से जूझ रहा है।
रोजाना दिल्ली, महाराष्ट्र, गुजरात, जोधपुर, बीकानेर सहित कई शहरों के लिए चलने वाली 150 से अधिक बसें आऊ से होकर गुजरती हैं, लेकिन उपखंड मुख्यालय पर आज तक स्थायी बस स्टैंड नहीं बनाया गया। परिणामस्वरूप यात्रियों को धूप, बारिश और सर्दी में खुले में खड़ा रहकर बस का इंतजार करना पड़ता है।
भीषण ट्रैफिक जाम, घंटों सड़क अवरुद्ध रहने और हादसों की संभावनाओं ने लोगों की समस्या को और बढ़ा दिया है।
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महिलाओं की पीड़ा
आऊ की आधी आबादी रोजाना शर्मनाक हालात का सामना कर रही है।
सरकारी फाइलों में महिलाओं की सुविधा के लिए कई दावे होते हैं, लेकिन यहां एक भी सुरक्षित सार्वजनिक शौचालय नहीं है।
पीने के पानी और बैठने की स्थायी सुविधा तक उपलब्ध नहीं है।
सुरक्षा व्यवस्था नाम मात्र की है, कई बार महिलाओं को असुरक्षित स्थिति से गुजरना पड़ता है।
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यात्रियों की परेशानी
बस स्टैंड न होने से बसें जहां मन आए वहीँ रुक जाती हैं, जिससे दुर्घटना की आशंका बनी रहती है।
भारी वाहनों के आवागमन के कारण स्थिति और बिगड़ रही है।
ग्रामीणों ने कई बार प्रशासन और जनप्रतिनिधियों को लिखित में मांग भेजी, लेकिन समाधान आज तक नहीं हुआ।
AIMA मीडिया | रिपोर्टर – रमेश कुमार