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मंडल मुख्यालय पौड़ी के निकट गजल्ड गांव में गुलदार का हमला—42 वर्षीय व्यक्ति की दर्दनाक मौत, क्षेत्र में दहशत व्याप्त


पौड़ी गढ़वाल।
जिले में मानव-वन्यजीव संघर्ष लगातार भयावह रूप लेता जा रहा है। मंडल मुख्यालय पौड़ी के समीप स्थित गजल्ड गांव में सोमवार देर शाम गुलदार के हमले में एक 42 वर्षीय व्यक्ति की मौत हो गई। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, व्यक्ति अपने घर के पास किसी कार्य से बाहर निकला ही था कि घात लगाए बैठे गुलदार ने अचानक हमला कर दिया और उसे घसीटते हुए दूर ले गया। परिवार के शोर मचाने पर ग्रामीण मौके पर पहुंचे, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी।

घटना के बाद गजल्ड सहित आसपास के गांवों में भारी आक्रोश फैल गया है। स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया कि पिछले कई महीनों से गुलदार की गतिविधियाँ बढ़ने के बावजूद वन विभाग ने कोई ठोस कार्रवाई नहीं की। ग्रामीणों का कहना है कि—
“इंसानों की जान की कीमत आखिर कब समझेगा वन विभाग? हम लगातार धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं, लेकिन सुनवाई केवल जानवरों की सुरक्षा को लेकर ही होती है।”

पौड़ी जनपद में पिछले एक वर्ष में गुलदार के हमलों के कई मामले सामने आए हैं, जिनमें महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों की जान जा चुकी है। ग्रामीण क्षेत्रों में शाम होते ही लोगों का बाहर निकलना मुश्किल हो गया है।
विशेषकर फसलों, पानी के स्रोतों और जंगल से लगे बस्तियों में रोजमर्रा की गतिविधियाँ खतरे में हैं।

मामले की जानकारी मिलते ही वन विभाग की टीम रात में ही मौके पर पहुंची। विभागीय अधिकारियों ने कहा कि:

क्षेत्र में पिंजरा लगाया जाएगा।

ट्रैकिंग टीम को तैनात किया गया है।

विशेषज्ञों की मदद से समस्या का समाधान निकालने की बात कही गई है।

लेकिन ग्रामीण इन दावों को केवल कागजी कार्रवाई बताते हुए ठोस और त्वरित समाधान की मांग कर रहे हैं।

स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने भी इस दुखद घटना पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए प्रशासन से मांग की कि:

प्रभावित परिवार को उचित मुआवजा दिया जाए,

गांवों में नियमित गश्त बढ़ाई जाए,

और मानव-वन्यजीव संघर्ष रोकने के लिए दीर्घकालिक योजना पर त्वरित कार्य शुरू किया जाए।

गजल्ड गांव की यह घटना लोगों के मन में कई सवाल छोड़ गई है—
आखिर कब तक ग्रामीणों को अपनी जान का जोखिम उठाकर जीना पड़ेगा?
कब तक वन्यजीव संरक्षण की आड़ में इंसानों की सुरक्षा को नजरअंदाज किया जाता रहेगा?

ग्रामीणों का कहना है कि अब वे केवल आश्वासन नहीं, बल्कि ठोस कार्रवाई चाहते हैं। प्रशासन को तत्काल प्रभाव से कदम उठाकर इस खतरे को नियंत्रित करना ही होगा, ताकि और किसी परिवार को ऐसी त्रासदी न झेलनी पड़े।

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