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जापान में अब इस्लामी मुसलमान अपनी ही लाश नहीं कर पायेंगे सुपुर्द ए खाक

चंडीगढ़ मुंबई 04-12-2025 अल्फा न्यूज़ इंडिया प्रस्तुति -- जापान के शहरों में जमीन की भारी कमी
जापान के शहरों में जमीन की भारी कमी है. मुसलमानों के रिचुअल्स को लेकर जापान ने अब स्पष्ट फैसला है. इस्लाम में अंतिम संस्कार के लिए शवों को दफनाने का ही रिवाज है, इसलिए बड़े कब्रिस्तान बनाना जापान के लिए मुश्किल काम है.

कब्रिस्तान बनाने का प्रस्ताव अस्वीकार
29 नवंबर 2025 को जापान की संसद (हाउस ऑफ काउंसलर्स) में एक बहस के दौरान मुसलमानों के लिए बड़े पैमाने पर कब्रिस्तान बनाने के प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया गया. सनसेइतो पार्टी की सांसद मिजुहो उमेमुरा ने इस प्रस्ताव का सबसे कड़ा विरोध किया. उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा "मुस्लिमों की कब्रिस्तानों की मांग अस्वीकार की जाती है. जापान में दाह संस्कार परंपरा है. मुसलमानों के लिए उचित तरीका यह है कि शवों को उनके मूल देश भेज दिया जाए और वहां दफनाया जाए."जापान सरकार ने मुसलमानों के शव दफनाने के लिए और जमीन देने से इनकार कर दिया है. यह फैसला जापान में रह रहे प्रवासी मुस्लिम समुदाय और जापान की नागरिकता प्राप्त कर चुके मुस्लिमों के लिए बड़ी चुनौती है. आइए समझते हैं जापान सरकार को क्यों इतना सख्त फैसला लेनाा पड़ा? जापान की कुल आबादी लगभग 12.5 करोड़ है, जिसमें मुसलमानों की संख्या अनुमानित रूप से डेढ़ से 2 लाख के बीच है. ये मुख्य रूप से प्रवासी कार्यकर्ता, छात्र और व्यवसायी हैं, जो तकनीकी, शिक्षा और व्यापार क्षेत्रों में योगदान देते हैं. जापान में 99% से अधिक शवों का दाह संस्कार किया जाता है, जो बौद्ध और शिंतो परंपराओं का हिस्सा है. देश में दफनाने की सुविधाएं बहुत सीमित हैं, और अधिकांश कब्रिस्तान छोटे-छोटे हैं. मुस्लिम समुदाय लंबे समय से अलग दफन स्थलों की मांग कर रहा है, लेकिन जगह की कमी एक बड़ी बाधा है.।। साभार।।।

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