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ब्रेकिंग न्यूज़ : राँची उच्च न्यायालय ने सहारा इंडिया के कार्यकारी निदेशक नीरज कुमार पाल को 400 करोड़ रूपये के एफआईआर मामले में बड़ा झटका !

राँची, 04 दिसंबर 2025

झारखंड उच्च न्यायालय ने कल यानी 03 दिसंबर 2025 को सहारा इंडिया परिवार के वरिष्ठ अधिकारी तथा सहारा क्रेडिट सहकारी समिति लिमिटेड के निदेशक नीरज कुमार पाल की रिट याचिका पर सुनवाई की। यह याचिका धनबाद निवासी नागेंद्र कुमार कुशवाहा तथा अन्य द्वारा दर्ज कराई गई प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) से जुड़ी है, जिसमें सहारा इंडिया पर निवेशकों को धोखा देकर करीब 400 करोड़ रुपये का कथित घोटाला करने का आरोप लगाया गया है।

याचिका में नीरज कुमार पाल ने अपने विरुद्ध चल रहे आपराधिक मुकदमों को रद्द करने तथा अपनी गिरफ्तारी पर रोक लगाने की माँग की थी।

माननीय उच्च न्यायालय ने नीरज कुमार पाल को कोई राहत प्रदान करने से स्पष्ट इनकार कर दिया। न्यायालय ने विशेष रूप से उनकी गिरफ्तारी पर अंतरिम रोक लगाने से मना कर दिया।

जानकारी के अनुसार, यह एफआईआर सीआईडी में दर्ज की गई है, जिसमें सहारा इंडिया के दिवंगत अध्यक्ष सुब्रत रॉय की पत्नी स्वप्ना रॉय, उनके पुत्र सुसांतो रॉय व सिमांतो रॉय सहित नौ अन्य के नाम शामिल हैं। नागेंद्र कुमार कुशवाहा ने शिकायत में आरोप लगाया है कि झारखंड के करीब 30 हजार करोड रुपये की सहारा समूह द्वारा धोकाधड़ी की गयी है जिससे 400 करोड़ रुपये के मामले में नीरज कुमार पाल भी आरोपी है जिसकी जमानत अर्जी पहले ही राँची की माननीय सीआईडी अदालत तथा माननीय उच्च न्यायालय से खारिज हो चुकी है। इसके बाद उन्होंने उच्च न्यायालय में रिट याचिका दाखिल कर मुकदमा रद्द करने तथा गिरफ्तारी पर रोक की प्रार्थना की थी।

कल की सुनवाई के दौरान न्यायालय ने समिति के अधिवक्ता की दलीलें सुनीं तथा याचिका की प्रति समिति को उपलब्ध कराने का आदेश दिया। साथ ही समिति को तीन सप्ताह के भीतर अपना जवाबी हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया गया है।

अब इस मामले की अगली सुनवाई तीन सप्ताह बाद निर्धारित की गई है।

न्यायालय के इस निर्णय से नीरज कुमार पाल की कानूनी परेशानियाँ और गंभीर हो गई हैं तथा उनकी गिरफ्तारी अब किसी भी समय हो सकती है।
यह मामला सहारा इंडिया परिवार के निवेशकों से जुड़े हजारों करोड़ रुपये के कथित घोटाले से संबंधित है, जिसमें प्रवर्तन निदेशालय तथा पुलिस की जाँच निरंतर जारी है।
समाचार लेखन:नौशाद अली
सहारा समूह मामलों के जानकार

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