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वोटर लिस्ट से किसी का नाम हटाने से पहले उचित नोटिस देना अनिवार्य है - सर्वोच्च न्यायालय

चंडीगढ़ 02.12.2025 अल्फा न्यूज इंडिया प्रस्तुति----बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) से जुड़े मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया कि आधार कार्ड को नागरिकता का प्रमाण नहीं माना जा सकता। चीफ जस्टिस सूर्यकांत की अगुवाई वाली बेंच ने कहा कि आधार केवल लाभकारी योजनाओं के लिए बनाया गया है। उन्होंने सवाल उठाया—
“अगर किसी को राशन के लिए आधार दिया गया है, तो क्या सिर्फ इसी आधार पर उसे वोटर भी बना देना चाहिए? मान लीजिए कोई व्यक्ति पड़ोसी देश से आकर मजदूर के रूप में काम कर रहा है, तो क्या उसे मतदान का अधिकार दिया जा सकता है?”

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने तर्क दिया कि विशेष गहन पुनरीक्षण आम मतदाताओं पर असंवैधानिक बोझ डालता है। कई लोग दस्तावेज़ी प्रक्रिया में फंस सकते हैं और उनके नाम वोटर लिस्ट से हटने का खतरा पैदा हो जाता है। सिब्बल के अनुसार, यह प्रक्रिया लोकतांत्रिक ढांचे को प्रभावित कर सकती है।

इस पर कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यह दलील देना कि ऐसा पुनरीक्षण पहले कभी नहीं हुआ, निर्वाचन आयोग के अधिकार को कमजोर करने के बराबर नहीं माना जा सकता। अदालत ने यह भी कहा कि वोटर लिस्ट से किसी का नाम हटाने से पहले उचित नोटिस देना अनिवार्य है।

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