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सागर में 24 वर्षीय ब्राह्मण युवक की पीट-पीटकर हत्या; कानून-व्यवस्था पर देशव्यापी सवाल — नेताओं और मीडिया के मौन पर जनता में गहरा रोष:

सागर/भोपाल।
✍️ डॉ. महेश प्रसाद मिश्रा, भोपाल की कलम से

सागर जिले में एक 24 वर्षीय युवक की तथाकथित बंचित, शोषित, और पिछड़ा लोगों की भीड़ द्वारा कथित रूप से पीट-पीटकर हत्या किए जाने की घटना ने पूरे प्रदेश में हलचल मचा दी है। वीडियो सामने आने के बाद भी घटना पर कई राजनीतिक दलों और राष्ट्रीय मीडिया की चुप्पी को लेकर नागरिकों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है। स्थानीय लोग प्रशासन और सरकार से सीधे सवाल पूछ रहे हैं कि "क्या प्रदेश में कानून-व्यवस्था सच में नियंत्रण में है?" सायद ये मध्य प्रदेश के इतिहास में किसी मुख्य मंत्री का सबसे ख़राब प्रशासन है I

15–20 लोगों ने युवक को लाठी-डंडों से पीटा, मौत ने ली अंतिम साँसें: प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, देर शाम हुई इस घटना में युवक पर भीड़ ने लगातार लाठी-डंडों से हमला किया। घायल युवक को अस्पताल ले जाया गया, जहाँ इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। पुलिस ने मामला दर्ज कर आरोपियों की तलाश तेज करने की बात कही है, लेकिन लोग इसे पर्याप्त नहीं मान रहे।

नेताओं की 'रणनीतिक चुप्पी' पर सवाल — "अगर मामला उलटा होता तो…?"स्थानीय नागरिकों और सामाजिक संगठनों का आरोप है कि घटना पर कई वरिष्ठ नेताओं की चुप्पी गहरी चिंता पैदा करती है।
लोगों का कहना है कि यदि पीड़ित किसी अन्य वर्ग का होता तो बयानबाजी, दौरे, मोर्चा और टीवी बहसें रुकती ही नहीं।लेकिन इस मामले में चुप्पी ने लोगों के मन में राजनीतिक पक्षपात के सवाल खड़े कर दिए हैं।

राष्ट्रीय मीडिया की सीमित कवरेज; सोशल मीडिया पर गुस्सा फूटा:
सोशल मीडिया पर #JusticeForSagarYouth ट्रेंड कर रहा है, जिसमें हजारों यूज़र पूछ रहे हैं कि इस घटना को राष्ट्रीय मीडिया में प्रमुखता क्यों नहीं दी जा रही।लोगों का कहना है कि“मीडिया अगर चेहरा देखकर खबरें चुनेगा, तो लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कमजोर पड़ जाएगा।”

गृह विभाग सीधे मुख्यमंत्री के पास — फिर भी सुरक्षा पर सवाल:

गृह विभाग मुख्यमंत्री के पास होने के कारण इस घटना पर सीधे सरकार से जवाबदेही की मांग उठ रही है।
राजनीतिक विशेषज्ञों के अनुसार, यह घटना प्रदेश में कानून-व्यवस्था की कमजोरी को उजागर करती है और प्रशासन की प्रतिक्रिया पर भी प्रश्न उठाती है।

समाज में बढ़ती खाई: विशेषज्ञ बोले — ‘खतरनाक दिशा में जा रहा नैरेटिव’सामाजिक विशेषज्ञों ने चेताया है कि लगातार जातिगत तनाव और राजनीतिक ध्रुवीकरण समाज को विभाजित कर रहा है।
विशेषज्ञों के अनुसार:
• किसी भी वर्ग के खिलाफ हिंसा,
• प्रशासन का असंतुलित चरित्र,
• और राजनीतिक चुप्पी—ये संकेत बताते हैं कि यदि समय रहते कदम नहीं उठाए गए तो परिस्थितियाँ प्रदेश नहीं, पूरे देश को प्रभावित कर सकती हैं।

परिवार और संगठनों की मांग — शीघ्र गिरफ्तारी, निष्पक्ष जांच: पीड़ित युवक के परिवार सहित कई संगठनों ने आरोपियों की तत्काल गिरफ्तारी, फास्ट-ट्रैक कोर्ट में सुनवाई और निष्पक्ष जांच की मांग की है।
लोगों का कहना है कि न्याय में देरी, न्याय से इंकार के बराबर है।
जनता का सवाल: ‘कानून सबके लिए समान कब होगा?’
लोग यह भी पूछ रहे हैं कि
• क्या कानून सिर्फ चुनिंदा मामलों में ही सक्रिय होगा?
• क्या संवेदनशीलता एकतरफा दिखाना लोकतंत्र के लिए उचित है?
• और क्या नागरिकों की सुरक्षा अब सिर्फ कागज़ों में ही सुरक्षित है?

मौन टूटना होगा—वरना विश्वास टूट जाएगा : यह घटना सिर्फ एक हत्या नहीं, बल्कि प्रशासन, राजनीति और मीडिया के मौन की परीक्षा है।जनता का कहना है कि“जब सरकार, समाज और सिस्टम में से कोई भी नहीं बोलेगा, तो घटनाएँ नहीं रुकेंगी—वे बढ़ेंगी।”

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