
अफगान मीडिया के कुछ चैनलों ने दावा किया है कि इमरान खान की अडियाला जेल में हत्या
पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की मौत को लेकर हाल ही में अफगान मीडिया ने एक बड़ा दावा किया है कि वह रावलपिंडी की अडियाला जेल में रहस्यमय तरीके से मारे जा चुके हैं। इस खबर ने न केवल पाकिस्तान में, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी हलचल मचा दी है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर इस खबर ने आग की तरह तेजी से फैलते हुए भारी विवाद और असमंजस पैदा कर दिया है। हालाँकि इस मामले में पाकिस्तान की सरकार या जेल प्रशासन की ओर से कोई आधिकारिक पुष्टि या खंडन अभी तक नहीं आया है, जिससे यह मामला और गूढ़ होता जा रहा है। वहीं, इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) के नेताओं ने इस दावे को पूरी तरह से खारिज करते हुए इसे अफवाह बताया है।
अफगान मीडिया का दावा है कि पूर्व प्रधानमंत्री को जेल के अंदर एक साजिश के तहत मौत के घाट उतारा गया है, और उनका शव जेल से बाहर ले जाया गया है। इस खबर के बाद पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद से लेकर अफगानिस्तान की राजधानी काबुल तक इस खबर ने राजनीतिक चर्चा का विषय बन गई है। पाकिस्तान की आतंकवाद रोधी एजेंसी (ATC) ने अडियाला जेल के आसपास सुरक्षा कड़ी कर दी है जिसके बाद लोगों में इस संभावना को लेकर संशय बना हुआ है कि कहीं इस खबर के पीछे कोई गुप्त साजिश तो नहीं है। वहीं, पिछले सप्ताह से इमरान खान से किसी को मिलने भी नहीं दिया गया है, न तो उनके वकील या डॉक्टरों को, जिससे उनके स्वास्थ्य और सुरक्षा को लेकर आशंकाएं और बढ़ गई हैं।
इस विवादित माहौल में इमरान खान की बहनों के साथ भी पुलिस के कथित रूप से झड़प हुई, जिन पर पुलिस द्वारा जबरदस्ती उनका सामना जेल के बाहर से हटाने और मारपीट करने के आरोप लगे हैं। यह घटना पीटीआई समर्थकों के गुस्से को और भड़काने का काम कर गई है और हजारों लोग इमरान खान पर होने वाले कथित अत्याचार के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं। PTI के वरिष्ठ नेता फवाद चौधरी ने कई बार मीडिया इंटरव्यू में इस हत्या के दावों को पूरी तरह बकवास और झूठा बताया है। उन्होंने कहा कि इमरान खान पूरी तरह जीवित हैं और वे जेल में हैं, लेकिन इस तरह की अफवाहें जानबूझकर फैलाई जा रही हैं ताकि देश में अगड़-तिगड़ और अफरा-तफरी का माहौल बनाया जा सके।
यह पहली बार नहीं है कि इमरान खान की मौत से जुड़ी अफवाहें फैल रही हैं; पिछले साल भी इसी प्रकार की खबरें वायरल हुई थीं जिन्हें बाद में मीडिया और फैक्ट-चेकर्स ने गलत साबित किया था। इस बार भी बिना किसी आधिकारिक बयान के इस तरह की खबरों पर विश्वास करना सही नहीं होगा क्योंकि यह एक संवेदनशील राजनीतिक स्थिति है और इस तरह की अफवाहें सार्वजनिक शांति को भंग कर सकती हैं। ऐसे में पत्रकारिता की जिम्मेदारी बनती है कि खबरों को प्रमाणित स्रोतों से ही प्रकाशित किया जाए और पाठकों को बताया जाए कि यह घटनाएं अभी तक अफवाहों की श्रेणी में ही हैं।
पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की मौत को लेकर हाल ही में अफगान मीडिया ने एक बड़ा दावा किया है कि वह रावलपिंडी की अडियाला जेल में रहस्यमय तरीके से मारे जा चुके हैं। इस खबर ने न केवल पाकिस्तान में, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी हलचल मचा दी है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर इस खबर ने आग की तरह तेजी से फैलते हुए भारी विवाद और असमंजस पैदा कर दिया है। हालाँकि इस मामले में पाकिस्तान की सरकार या जेल प्रशासन की ओर से कोई आधिकारिक पुष्टि या खंडन अभी तक नहीं आया है, जिससे यह मामला और गूढ़ होता जा रहा है। वहीं, इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) के नेताओं ने इस दावे को पूरी तरह से खारिज करते हुए इसे अफवाह बताया है।
अफगान मीडिया का दावा है कि पूर्व प्रधानमंत्री को जेल के अंदर एक साजिश के तहत मौत के घाट उतारा गया है, और उनका शव जेल से बाहर ले जाया गया है। इस खबर के बाद पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद से लेकर अफगानिस्तान की राजधानी काबुल तक इस खबर ने राजनीतिक चर्चा का विषय बन गई है। पाकिस्तान की आतंकवाद रोधी एजेंसी (ATC) ने अडियाला जेल के आसपास सुरक्षा कड़ी कर दी है जिसके बाद लोगों में इस संभावना को लेकर संशय बना हुआ है कि कहीं इस खबर के पीछे कोई गुप्त साजिश तो नहीं है। वहीं, पिछले सप्ताह से इमरान खान से किसी को मिलने भी नहीं दिया गया है, न तो उनके वकील या डॉक्टरों को, जिससे उनके स्वास्थ्य और सुरक्षा को लेकर आशंकाएं और बढ़ गई हैं।
इस विवादित माहौल में इमरान खान की बहनों के साथ भी पुलिस के कथित रूप से झड़प हुई, जिन पर पुलिस द्वारा जबरदस्ती उनका सामना जेल के बाहर से हटाने और मारपीट करने के आरोप लगे हैं। यह घटना पीटीआई समर्थकों के गुस्से को और भड़काने का काम कर गई है और हजारों लोग इमरान खान पर होने वाले कथित अत्याचार के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं। PTI के वरिष्ठ नेता फवाद चौधरी ने कई बार मीडिया इंटरव्यू में इस हत्या के दावों को पूरी तरह बकवास और झूठा बताया है। उन्होंने कहा कि इमरान खान पूरी तरह जीवित हैं और वे जेल में हैं, लेकिन इस तरह की अफवाहें जानबूझकर फैलाई जा रही हैं ताकि देश में अगड़-तिगड़ और अफरा-तफरी का माहौल बनाया जा सके।
यह पहली बार नहीं है कि इमरान खान की मौत से जुड़ी अफवाहें फैल रही हैं; पिछले साल भी इसी प्रकार की खबरें वायरल हुई थीं जिन्हें बाद में मीडिया और फैक्ट-चेकर्स ने गलत साबित किया था। इस बार भी बिना किसी आधिकारिक बयान के इस तरह की खबरों पर विश्वास करना सही नहीं होगा क्योंकि यह एक संवेदनशील राजनीतिक स्थिति है और इस तरह की अफवाहें सार्वजनिक शांति को भंग कर सकती हैं। ऐसे में पत्रकारिता की जिम्मेदारी बनती है कि खबरों को प्रमाणित स्रोतों से ही प्रकाशित किया जाए और पाठकों को बताया जाए कि यह घटनाएं अभी तक अफवाहों की श्रेणी में ही हैं।