अजमेर में 'स्मार्ट' ट्रैफिक लाइट्स बनीं सिरदर्द: संकरी सड़कों और खराब प्लानिंग से जनता परेशान
अजमेर:स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत अजमेर की यातायात व्यवस्था को सुधारने के लिए लगाई गई नई ट्रैफिक लाइट्स, सहूलियत देने के बजाय शहरवासियों के लिए मुसीबत का सबब बन गई हैं। बिना पर्याप्त तैयारी और जमीनी हकीकत को नजरअंदाज कर शुरू की गई इस व्यवस्था ने शहर की रफ्तार पर ब्रेक लगा दिया है।1. शहर तैयार नहीं, सड़कें हैं संकरीअजमेर के मुख्य बाजारों और चौराहों की सड़कें बेहद पुरानी और संकरी हैं। जानकारों का कहना है कि प्रशासन ने ट्रैफिक लाइट्स लगाने से पहले सड़कों की चौड़ाई और ट्रैफिक के दबाव का सही आकलन (Survey) नहीं किया।जहाँ से ट्रैफिक आसानी से निकल जाता था, अब वहां रेड लाइट के कारण लंबी कतारें लग रही हैं।शहर की भौगोलिक स्थिति ऐसी है कि कई चौराहों पर वाहनों के रुकने के लिए पर्याप्त जगह (Holding Capacity) ही नहीं है, जिससे जाम पीछे तक लग जाता है।2. "ढूंढो तो जानें" - नजर ही नहीं आतीं लाइट्सवाहन चालकों की सबसे बड़ी शिकायत ट्रैफिक सिग्नल्स की 'विजिबिलिटी' (दृश्यता) को लेकर है।ब्लाइंड स्पॉट्स: कई जगह लाइट्स ऐसी कोनों पर लगाई गई हैं जो दूर से आते वाहन चालकों को नजर ही नहीं आतीं।अवरोध: कहीं पेड़ों की टहनियां तो कहीं बिजली के खंभे लाइट्स को छिपा रहे हैं। जब तक ड्राइवर को लाइट दिखती है, तब तक गाड़ी जेब्रा क्रॉसिंग पार कर चुकी होती है।नतीजतन, लोग अनजाने में नियम तोड़ रहे हैं और ई-चालान का शिकार हो रहे हैं।3. असमंजस में आम जनतास्थानीय नागरिकों का कहना है कि यह व्यवस्था "ट्रायल एंड एरर" जैसी लग रही है। मदार गेट, कचहरी रोड और अन्य व्यस्त इलाकों में पीक ऑवर्स के दौरान ट्रैफिक पुलिस को लाइट्स बंद करके, खुद हाथ से ट्रैफिक कंट्रोल करना पड़ रहा है, जो यह साबित करता है कि ऑटोमेटिक सिस्टम यहां फेल हो रहा है।