
UK: नैनीताल में शिक्षक भर्ती में बड़ा घपला, डीएलएड उत्तर प्रदेश से...नौकरी उत्तराखंड में, अब विभाग करेगा जांच
नैनीताल जिले में प्राथमिक शिक्षक भर्ती में घोटाला सामने आया है। उत्तर प्रदेश से डी.एल.एड. की योग्यता रखने वाले कई शिक्षकों ने उत्तराखंड के फर्जी स्थायी निवास प्रमाण-पत्र लगाकर नौकरी प्राप्त की है।
ऊधमसिंहनगर जिले के बाद नैनीताल जिले में भी प्राथमिक शिक्षकों की भर्ती में बड़ा घपला सामने आया है। उत्तर प्रदेश से डीएलएड करने के बाद सहायक शिक्षक की नौकरी के लिए उत्तराखंड का स्थायी निवास प्रमाणपत्र लगाकर यहां भी कई शिक्षकों ने नौकरी पा ली है। जिले में फिलहाल 25 से ज्यादा ऐसे शिक्षकों की पहचान सूचना का अधिकार अधिनियम से हुई है। अब विभाग ने ऐसे सभी शिक्षकों के दस्तावेजों की पूर्ण जांच करने का फैसला किया है। विभाग के मुताबिक ऐसा सही पाए जाने पर संबंधित शिक्षक बर्खास्त होंगे।
बता दें कि ऊधमसिंहनगर में ऐसे मामले में विभाग ने शिक्षकों को नोटिस जारी किए हैं। इसके बाद नैनीताल के कुछ डीएलएड डिप्लोमाधारियों ने सूचना का अधिकार में ऐसे शिक्षकों की सूची मांगी जिन्होंने यूपी से डीएलएड किया है। यूपी से डीएलएड करने की स्थिति में वहां का स्थायी निवासी जरूरी है। आरटीआई में 25 से ज्यादा ऐसे मामले सामने आए हैं। उत्तराखंड में सहायक शिक्षक की भर्ती निकलने पर यूपी से डीएलएड किए अभ्यर्थियों ने यहां तत्काल शपथ लगाकर नौकरी हासिल कर ली। अब ऐसे शिक्षकों पर शिकंजा कसना तय माना जा रहा है।
सीईओ गोविंद जायसवाल ने बताया कि दो जगह के स्थायी निवास होना आपराधिक कृत्य है। जिले में दो जगहों के स्थायी निवास प्रमाणपत्र लगाकर जो भी शिक्षक नौकरी कर रहे हैं, उनके दस्तावेजों की जांच की जाएगी। जांच में अगर दो स्थायी प्रमाण पत्र वाले अभ्यर्थियों की नौकरी करने की शिकायत सही पाई गई तो कार्रवाई की जाएगी। ऐसे में अब नैनीताल जिले में ऐसे शिक्षकों के बीच खलबली मची है जिन्होंने यूपी के स्थायी निवासी और वहां से डीएलएड करने के बाद उत्तराखंड में सहायक शिक्षक भर्ती से नौकरी हासिल की है।
ऊधमसिंहनगर में खलबली
डीएलएड करने के लिए यूपी और सहायक शिक्षक की नौकरी के लिए उत्तराखंड का निवास प्रमाणपत्र बनवाने वाले शिक्षकों के खिलाफ रुद्रपुर में कार्रवाई जारी है। विभाग ने ऐसे एक शिक्षक को निलंबित कर दिया जबकि एक शिक्षिका ने जांच से पहले ही नौकरी से त्यागपत्र दे दिया है।
यूपी से डीएलएड और वहां का स्थायी निवास होने के बावजूद उत्तराखंड का निवास प्रमाणपत्र बनवाकर नौकरी पाना अपराध की श्रेणी में आता है। जांच में अगर तथ्य सही पाया गया तो ऐसे शिक्षकों का बर्खास्त होना तय है। - गोविंद जायसवाल, मुख्य शिक्षाधिकारी