
पुलिस कमिश्नर ने साइबर अपराधों की समीक्षा की, प्रभावी नियंत्रण के लिए दिए महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश
वाराणसी। पुलिस आयुक्त मोहित अग्रवाल ने मंगलवार को साइबर क्राइम और क्राइम ब्रांच के कार्यों की समीक्षा की। इस दौरान साइबर अपराधों की रोकथाम, प्रभावी जांच के बाबत जानकारी ली। उन्होंने साइबर क्राइम मामलों में जांच कर त्वरित कार्रवाई के निर्देश दिए। यह कदम साइबर अपराधों से निपटने में तकनीकी समन्वय और समयबद्ध कार्रवाई को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से उठाए गए हैं।
पुलिस कमिश्नर ने कहा कि साइबर अपराधों की रियल-टाइम ट्रैकिंग कर, त्वरित फॉलो-अप सुनिश्चित किया जाए ताकि कोई शिकायत लंबित न रहे। इसके अलावा, गंभीर और वित्तीय हानि वाले मामलों को प्राथमिकता देते हुए निस्तारित करने के निर्देश दिए गए। उन्होंने विशेष रूप से 5 लाख रुपये या उससे अधिक के फ्रॉड मामलों पर तत्काल अभियोग पंजीकरण और वैधानिक कार्यवाही सुनिश्चित करने की बात कही। साथ ही, थानेवार लंबित शिकायतों की साप्ताहिक समीक्षा करने के निर्देश भी दिए गए हैं।
साइबर अपराधों में प्रयुक्त मोबाइल नंबर और IMEI नंबर के बारे में पुलिस आयुक्त ने तत्काल ब्लॉकिंग की प्रक्रिया को सख्ती से लागू करने की आवश्यकता बताई। उन्होंने कहा कि सभी थानों में ब्लॉक किए गए नंबरों और IMEI का एक अलग रजिस्टर बनाया जाए और उनका डेटा साइबर सेल के साथ साझा किया जाए। इसके अलावा, फर्जी OTP फ्रॉड में प्रयुक्त नंबरों के बारे में विशेष रूप से जानकारी एकत्रित करने और साझा करने का निर्देश भी दिया गया।
म्यूल अकाउंट्स पर भी विशेष ध्यान देने का निर्देश दिया गया। श्री अग्रवाल ने कहा कि साइबर अपराधों में प्रयुक्त संदिग्ध बैंक खातों की सूची अपडेट कर उन्हें ब्लैकलिस्ट किया जाए। संबंधित बैंक शाखाओं के साथ समन्वय स्थापित करके खातों को समय से फ्रीज किया जाए और म्यूल अकाउंट से जुड़े व्यक्तियों के खिलाफ वैधानिक कार्रवाई की जाए। इस संबंध में थानावार रजिस्टर भी बनाए जाने की बात कही गई।
PoS (प्वाइंट ऑफ सेल) से जुड़े साइबर फ्रॉड के मामलों में सत्यापन की प्रक्रिया को सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए। उन्होंने कहा कि सिम जारी करने वाले PoS के वेरिफिकेशन की जांच की जाए और दोषी पाए जाने पर उनके खिलाफ सख्त वैधानिक कार्रवाई की जाए। इस संदर्भ में PoS से जुड़े डाटा का रजिस्टर भी रखा जाए।
साथ ही, आदतन साइबर अपराधियों का एक विस्तृत डेटाबेस तैयार करने और उनकी गतिविधियों की सतत निगरानी करने के निर्देश दिए गए। इन अपराधियों के मोबाइल नंबर, बैंक खातों और सोशल मीडिया प्रोफाइल का डिजिटल रिकॉर्ड तैयार करने की बात कही गई। यदि किसी व्यक्ति के खिलाफ पुनः अपराध की पुनरावृत्ति होती है तो उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।
प्रतिबिम्ब पोर्टल पर संदिग्ध मोबाइल नंबरों की पहचान कर हॉटस्पॉट्स चिन्हित करने और उन स्थानों पर योजनाबद्ध कार्रवाई करने के निर्देश भी दिए गए। इसके अलावा, JIMS पोर्टल पर विवेचना से संबंधित सभी महत्वपूर्ण कार्यवाहियों को समय से अपडेट करने और लंबित विवेचनाओं की डिजिटल मॉनिटरिंग कर समयबद्ध निस्तारण को सुनिश्चित करने पर जोर दिया गया।
बैठक में पुलिस उपायुक्त अपराध सरवणन टी., अपर पुलिस उपायुक्त साइबर क्राइम नीतू, सहायक पुलिस आयुक्त साइबर क्राइम विदुष सक्सेना सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी एवं कर्मचारी भी उपस्थित रहे।