logo

उत्तराखंड रजतोत्सव महोत्सव ✨भारत के ऊर्जावान, तपस्वी, कर्मठ, कर्मयोगी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी का अभिन्नदन

हरिद्वार से रोहित वर्मा की रिपोर्ट -
परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी सहित अनेक पूज्य संतों का पावन सान्निध्य
🌺रजतोत्सव संघर्ष की ज्योति से उज्ज्वल भविष्य की यात्रा
ऋषिकेश, 9 नवम्बर। उत्तराखंड राज्य स्थापना दिवस की रजत जयंती का यह दिव्य अवसर संपूर्ण देवभूमि को गर्व, सम्मान और उत्साह से भर देने वाला पल है। आज सभी उत्तराखंड़वासी उस ऐतिहासिक संघर्ष, संकल्प और समर्पण को नमन कर रहे हैं जिसने उत्तराखंड को एक राज्य के रूप में जन्म दिया। हिमालय की गोद में बसा उत्तराखंड केवल एक प्रदेश नहीं, बल्कि सत्य, सनातन, संत और समाधि की वह पवित्र भूमि है, जहाँ आस्था का प्रवाह नदियों की तरह निरंतर और स्वच्छ होता है। यहाँ की मिट्टी में परंपरा की सुगंध, संस्कृति की ऊर्जा और बलिदान का पवित्र इतिहास रचा हुआ है। यहां के पर्वत, प्रत्याहार का संदेश देते हैं। भारत की आत्मा तीर्थों में बसती है और तीर्थों की आत्मा उत्तराखंड़ में बसती है।
माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने कहा कि 9 नवम्बर का दिन लम्बी तपस्या का फल है। आज का दिन हम सभी को गर्व का एहसास करा रहा है। उत्तराखंड की देवतुल्य जनता ने वर्षों तक जो सपना देखा था, वह माननीय अटल जी की सरकार में आज से 25 वर्ष पूर्व सफल हुआ था। उत्तराखंड के बलिदानियों को श्रद्धांजलि अर्पित की। उत्तराखंड से मेरा लगाव अटूट है। उत्तराखंड में बिताए दिनों ने उत्तराखंड के संघर्षों का परिचय कराया। 25 वर्ष पूर्व और आज की तस्वीर बिल्कुल अलग है। यह तस्वीर सफलता की गाथाएँ कह रही है। आज से 25 वर्ष पूर्व उत्तराखंड का बजट चार हजार करोड़ था और आज 1 लाख करोड़ को भी पार कर चुका है। बिजली उत्पादन चार गुना अधिक हो गया है, सड़कों की लम्बाई दो गुनी हो गई है। इन 25 वर्षों में उत्तराखंड ने अद्भुत विकास किया है और यह सब उत्तराखंडवासियों के संकल्प का परिणाम है।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि उत्त्तराखंड की 25 वर्ष की यह यात्रा असाधारण और प्रेरणादायी है। स्थापना से लेकर आज तक की गाथा बताती है कि यहाँ के लोगों ने परिस्थितियों से समझौता नहीं किया, बल्कि कठिनाइयों के पहाड़ों को चीरकर विकास का नया क्षितिज निर्मित किया। यह प्रदेश धर्म, अध्यात्म, सैन्य सेवा, प्रकृति संरक्षण और साहस की स्थायी पहचान बन चुका है। देवभूमि के हर युवा, किसान, महिला, श्रमिक और सैनिक ने इस यात्रा में अपना योगदान दिया है। यही कारण है कि उत्तराखंड को संघर्ष से शक्ति और संकल्प से सिद्धि का प्रतीक कहा जाता है।
इसी प्रेरणादायी इतिहास को स्मरण करते हुए, आज हम सभी उत्तराखंड़ वासी गर्व के साथ उत्तराखंड की खुशहाली और प्रगति के इस उत्सव में शामिल हैं। इस शुभ अवसर पर माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी का देवभूमि पहुंचना हम सभी के लिए गौरव का विषय है। उनका उत्तराखंड के साथ आत्मिक रिश्ता अत्यंत गहरा है। ऋषिकेश से लेकर बद्री-केदार तक और हिमालय की हर घाटी में उनकी विशेष भावनाएँ बसी हुई हैं। राष्ट्र सेवा को योग और तपस्या का रूप देने वाले इस नेतृत्व ने भारत के सम्मान को विश्व मंच पर नई ऊँचाई प्रदान की है। ऐसे यशस्वी नेतृत्व का आगमन उत्तराखंड में नई उमंग, नई प्रेरणा और नए उत्साह का संदेश लेकर आया है।
आज प्रधानमंत्री जी का यह आगमन देवभूमि की प्रगति और समृद्धि के संकल्पों को और अधिक सुदृढ़ करता है। उत्तराखंड आज केवल पर्यटन और अध्यात्म की भूमि नहीं, बल्कि वैज्ञानिक, औद्योगिक, शैक्षिक और तकनीकी प्रगतियों का नया केंद्र भी बन रहा है। रेलवे कनेक्टिविटी से लेकर चार धाम परियोजना तक, आधारभूत संरचना के बड़े विकास ने प्रदेश के भविष्य में एक नई गति लाई है। बदरीनाथ और केदारनाथ धाम का दिव्य-भव्य पुनर्निर्माण, विश्वभर के श्रद्धालुओं के लिए भारतीय संस्कृति की अडिग पहचान बन चुका है।
25 वर्ष की यह यात्रा हमें यह भी सिखाती है कि पहाड़ों की चुनौतियाँ कभी हमें रोक नहीं सकतीं। यहाँ के लोग कठिनाइयों के बावजूद मुस्कुराना, आगे बढ़ना और सपनों को सच करना जानते हैं। यही कारण है कि उत्तराखंड को उम्मीद से उपलब्धि की महागाथा कहा गया है। यहाँ की हर सुबह हिमालय की चोटियों पर सुनहरे सपनों का सूरज लेकर उगती है और हर रात चंद्रमा की उजली रोशनी में यह विश्वास जगाती है कि भविष्य और भी उज्ज्वल होगा।
उत्तराखंड की संस्कृति में शामिल सरलता और सौम्यता, यहाँ के समाज के दृढ़ संकल्प और वीरता के साथ मिलकर प्रदेश की पहचान बनती है। यहाँ की नदियाँ जीवन की शुचिता और पवित्रता का स्वर हैं, पर्वत हिम्मत और आत्मविश्वास की प्रतिमूर्ति, जबकि देवालय और तपस्थल अध्यात्म और श्रद्धा के शाश्वत स्तंभ हैं। यही आध्यात्मिक ऊर्जा उत्तराखंड को संपूर्ण राष्ट्र की प्रेरणा बनाती है।

रजत जयंती का यह उत्सव मात्र उत्सव नहीं, बल्कि एक संकल्प-दिवस भी है। यह वह क्षण है जब हम अपने पुरखों के बलिदानों को स्मरण करते हुए आने वाले समय के लिए लक्ष्य निर्धारित कर रहे हैं। हम उस उत्तराखंड का निर्माण करेंगे जहाँ युवाओं को रोजगार मिले, महिलाएँ आत्मनिर्भर हों, लोग अपने गाँवों में ही समृद्धि प्राप्त करें और जहाँ पलायन की पीड़ा समाप्त हो जाए। हम ऐसा उत्तराखंड निर्माण करेंगे जो आधुनिक भी हो और अपनी सांस्कृतिक जड़ों से भी उतना ही दृढ़ता से जुड़ा हुआ हो।

हमें यह विश्वास है कि प्रधानमंत्री जी के मार्गदर्शन, माननीय राज्यपाल श्री गुरमीत सिंह जी के अद्म्य साहस और माननीय मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी जी के संवेदनशील नेतृत्व में यह प्रदेश नई ऊँचाइयाँ छूएगा। विकास और पर्यावरण संरक्षण की संतुलित नीति से उत्तराखंड दुनिया के सामने एक आदर्श मॉडल प्रस्तुत करेगा। प्रकृति की पवित्र धरोहर की रक्षा करते हुए आर्थिक वृद्धि के नए मानक स्थापित होंगे।

आज रजतोत्सव के इस पवित्र अवसर पर हम सब एक स्वर में यह घोषणा करते हैं कि उत्तराखंड का शौर्य, समर्पण, संस्कृति, अध्यात्म और राष्ट्रभक्ति आने वाली पीढ़ियों के लिए मार्गदर्शक बनकर रहेगा। देवभूमि का यह पर्व हमें प्रेरित करता है कि हम निरंतर आगे बढ़ते रहें, अडिग रहें और हर चुनौती को अवसर में बदलते रहें।

इस भावभूमि पर आज एक ही संकल्प उमड़ रहा है उत्तराखंड का भविष्य उज्ज्वल है, और हमारी आज की एकजुटता कल की उपलब्धियों का मार्ग प्रशस्त करेगी। इसलिए हम गर्व से कहते हैं यह उत्तराखंड है, जहाँ उम्मीद हारती नहीं, बल्कि उपलब्धियों में परिवर्तित होती है। यह उत्तराखंड है, जिसकी आत्मा में देवत्व बसा है और जिसके हृदय में भारत माता के लिए अनंत प्रेम धधकता है।

रजत जयंती के इस अविस्मरणीय पर्व पर हम सब मिलकर उत्तराखंड के उज्ज्वल, समृद्ध और आत्मनिर्भर भविष्य की मंगलकामना करते हैं ताकि देवभूमि का गौरव शाश्वत रहे।

4
715 views