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"स्वतंत्रता सेनानियों के उत्तराधिकारियों ने रखी अपनी माँगें — कोटद्वार में स्वतंत्रता सेनानी एवं उत्तराधिकारी संगठन का त्रैवार्षिक अधिवेशन सम्पन्न"

रिपोर्टर कमल उनियाल

कोटद्वार (पौड़ी गढ़वाल)।
उत्तराखंड की धरती सदियों से वीरता, त्याग और देशभक्ति की मिसाल रही है। इस देवभूमि को “वीरभूमि” के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि यहाँ के सपूतों ने हर काल में देश की रक्षा और आज़ादी के लिए अपने प्राणों की आहुति दी है। स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में उत्तराखंड के वीर सेनानियों का योगदान अमूल्य रहा है, परंतु खेद की बात है कि आज भी अनेक स्वतंत्रता सेनानियों के उत्तराधिकारी सरकारी सुविधाओं से वंचित हैं।

इसी पृष्ठभूमि में उत्तराखंड स्वतंत्रता सेनानी एवं उत्तराधिकारी संगठन पौड़ी गढ़वाल का त्रैवार्षिक अधिवेशन कोटद्वार के कुम्भीचौड़ में आयोजित किया गया। अधिवेशन की शुरुआत स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के चित्रों पर माल्यार्पण कर और राष्ट्रगान के साथ हुई। कार्यक्रम में संगठन के पदाधिकारियों और सदस्यों ने देश की आज़ादी के महानायकों को नमन किया और उनके आदर्शों पर चलने का संकल्प लिया।

अधिवेशन के दौरान संगठन के प्रतिनिधियों ने सरकार से कई महत्वपूर्ण माँगें रखीं।
इनमें प्रमुख माँगें थीं —

स्वतंत्रता सेनानियों के आश्रितों को मिलने वाली कुटुम्ब पेंशन ₹4800 से बढ़ाकर ₹15000 प्रति माह की जाए।

स्वतंत्रता सेनानियों के नाम पर शैक्षणिक संस्थान, राजमार्ग एवं अस्पतालों का नामकरण किया जाए।

प्रत्येक जनपद स्तर पर वीर सपूतों की याद में स्मारक या शिलापट्ट का निर्माण कराया जाए।

इस अवसर पर संगठन की नई कार्यकारिणी का गठन भी किया गया।
जिसमें निम्नलिखित पदाधिकारी चुने गए—

यशपाल रावत – जिला अध्यक्ष

रुद्री सिंह रावत – मुख्य संरक्षक

मदन मोहन जोशी – संरक्षक

रोशन सिंह रावत – महासचिव

कादम्बरी सजवाण एवं शिशुपाल रावत – संगठन सचिव

यशवंत सिंह रावत – कोषाध्यक्ष

प्रेम सिंह रावत – वरिष्ठ उपाध्यक्ष

धनवीर सिंह – आय-व्यय निरीक्षक

मूलक सिंह – ब्लॉक अध्यक्ष द्वारीखाल

गोपाल नेगी – ब्लॉक अध्यक्ष जयहरीखाल

नरेन्द्र सिंह – ब्लॉक अध्यक्ष दुगड्डा

अधिवेशन के समापन पर सभी सदस्यों ने एक स्वर में कहा कि स्वतंत्रता सेनानियों के त्याग और बलिदान को नई पीढ़ी तक पहुँचाना हम सभी का कर्तव्य है। कार्यक्रम में कई गणमान्य व्यक्ति, सामाजिक कार्यकर्ता और संगठन के पदाधिकारी उपस्थित रहे।

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