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अंततः अपने मंसूबों मे कामयाब हुआ शराब माफिया , क्या सत्ताधारी ही दे रहे संरक्षण..?

डिंडोरी -- बेशक़ तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने माँ नर्मदा के पवित्र तटीय क्षेत्रों मे शराब क़ो प्रतिबंधित किया था, लेकिन अपने उदगम स्थल अमरकंटक के बाद प्रथम पड़ाव डिंडोरी के जिला मुख्यालय मे शराब का अवैध कारोबार जमकर फल - फूल रहा है। यहॉँ तक कि अवैध शराब के कारोबारियों ने शहर के गली - मोहल्लों से लेकर पान कि गुमटीयों और अंडा - भुर्जी से सुसज्जित दुकानो तक मे अपनी पैठ बना ली है। जहाँ मदिरापान के शौकीन इत्मीनान से बैठकर जाम पे जाम छलकाते देखे जा सकते है। और यह तमाम जानकारी शासन - प्रशासन के संज्ञान मे भी है, तो क्या यह मान लिया जाये कि अवैध शराब के इस कारोबार क़ो सत्ताधारी दल के पार्टी पदाधिकारियों ने संरक्षण दे रखा है.? और यदि नहीं है तो फिर अवैध शराब के इस कारोबार पर खामोशी क्यों..?

कैसे कामयाब हुआ माफिया...? -- सवाल इसलिए भी वाजिब है कि जिला मुख्यालय मे अवैध शराब के कारोबार क़ो लेकर भाजपा जिलाध्यक्ष ने अनभिज्ञता जाहिर कि थी, और फिर यह दलील दी थी कि यदि माँ नर्मदा के तट से पाँच किलोमीटर के दायरे मे अवैध शराब का कारोबार फल - फूल रहा है तो कार्यवाही कि जायेगी। और मामला कलेक्टर डिंडोरी के संज्ञान मे भी लाया गया था। फिर ऐसा क्या हुआ कि शराब माफिया अंततः अपने मंसूबों मे कामयाब हो गया और मुख्यालय मे कोने - कोने मे जमकर शराब का विक्रय हुआ।

सवाल यह भी -- यहॉँ अहम् सवाल यह भी है कि विगत वर्षों मे अवैध शराब विक्रय पर जिला मुख्यालय मे जितनी भी कार्यवाहिया हुई, तो फिर जिम्मेदार वहां तलक क्यों नहीं पहुँच पाये जहाँ से अवैध शराब कि खेप डिंडोरी तक बेहद आसानी से पहुँचती है। फिर डिंडोरी मे जिन कुचीयों के माध्यम से अवैध शराब शहर मे परोसी जा रही है, वह शहपुरा, समनापूर और गाड़ासरई के रास्ते यहॉँ तक पहुँच रही है। तो क्या जिन कुचीयों और कारोबारियों कि धरपकड़ आज तलक कि गई, जिन्होंने यह राज नहीं खोला कि वह शराब कहाँ से लेकर शहर के कोने - कोने मे परोस रहे हैँ?

क्या सी सी टी वी और निगरानी पर नहीं है ध्यान? -- चलिए यह मान भी लिया जाये कि शराब कि बोतल पर सील का होना पर्याप्त नहीं है, और ठेकेदार पर तभी केस बनता है जब रिकॉर्ड सी सी टी व्ही या कर्मचारियों के गवाहों से यह साबित हो कि उसने जानबूझकर अवैध बिक्री या वितरण मे सहयोग किया हो। लेकिन जिम्मेदार अधिकारी लायसेंसी कि दुकान और गोदाम मे लगे सी सी टी व्ही से यह पता लगा सकते हैँ कि शराब कौन लेकर गया और फिर शराब किस वाहन मे रखी गई। लिहाजा कैमरे कि निगरानी मे लायसेंसी के कर्मचारी अवैध शराब निकालते पकडे जाये तो यह प्रत्यक्ष साक्ष्य बन सकते हैँ। इसके अलावा बिल या रसीद मे वाहन या प्राप्तकर्ता का नाम नहीं है तो यह भी ठेकेदार के खिलाफ अवैध वितरण का संकेत बन सकता है।


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