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विरान हो बुढ़ापा तो, साथी बनाना कोई गुनाह नहीं। पर क्या करे कोई,जब सच को ही पनाह नहीं।। (72 साला महला की खौफनाक मौत ?)

होशियारपुर: 18 सितंबर,2025 (बूटा ठाकुर गढ़शंकर)
हम सब ने एक कहानी तो जरूर पढ़ी वा सुनी होगी कि एक लालची इन्सान ने रोज़ाना सोने का अंडा देने वाली मुर्गी को ही मार दिया था। ठीक वैसी ही एक सच्ची कहानी बीते अगस्त महीने में घटित हुई जो आज पुलिस प्रशासन के जरिए सामने आई।
रूपिंदर कौर पंधेर नाम की एक बजुर्ग महला (72) शिमलापुरी लुधिआना की जमपल हाल वासी अमेरिका अपनी तमाम जिम्मेदारियों से फुरसत पाकर बुढ़ापे में सहारे की तलाश में थी कि उसका संपर्क चरणजीत सिंह गारेवाल महमावाला (लुधि.) हाल वासी इंग्लैंड के साथ हुई जिसने उक्त मेहला को जीवन साथी बनने का सपना दिखाया। लेकिन उसकी षडयंत्रकारी प्रवृति से उक्त मेहला बे ख़बर थी। उसने भरोसा करके पंजाब में चल रहे किसी निजी अदालती केस की जानकारी भी उक्त चरणजीत सिंह से की। चरणजीत सिंह ने लुधियाना के किला रायपुर में रहते अपने दोस्त सुखजीत सिंह सोनू का जिक्र किया कि आप बेफिक्र होकर उसे पॉवर ऑफ एटॉर्नी उसे दे सकती हैं, वह बहुत रसूख वाला है, आपकी परेशानी दूर हो जाएगी, बस आप उसे खर्चा भेजते रहना।
समय गुजरता गया नज़दीकियां बढ़ती गई। उधर बहाने पे बहाना बनाकर सुखजीत सोनू ने अपने और अपने भाई के खातों में करीब 36 लाख रुपए ऐंठ लिए।
समय के साथ साथ उक्त मेहला की तरफ़ से शादी के लिए चरणजीत सिंह गरेवाल पर दबाव बढ़ने लगा जबकि वह तो शुरू से ही गेम कर रहा था। उसने योजना तहत रूपिंदर कौर पंधेर को सुखजीत सिंह सोनू के एक अलग घर (किला रायपुर) पहुंचने को कहा, और वहीं शादी की उपचारिकता की जाएगी। उक्त मेहला ने वैसा ही किया और अगस्त के पहले हफ़्ते में ही वह सुखजीत सिंह सोनू के पास आ गई उसे क्या पता था कि उसे शादी की उमंगें नहीं, मौत की तरंगें खींच कर लाई हैं। उधर इंग्लैंड वासी चरणजीत सिंह से सुखजीत सिंह सोनू के साथ जो बातचीत हुई वह दिल को दहलाने से कम नहीं थी, उसने सुखजीत सोनू से कहा कि जो भी खर्चा आए,पर इससे मेरा पीछा हमेशा के लिए छुड़वाओ। 50 लाख में सौदा तह हो गया और सोने का अंडा देने वाली मुर्गी की तरह मार देने का ताना बाना बुना गया।
अब सुखजीत सिंह सोनू पैसे के लालच में आकर रूपिंदर कौर पंधेर को खल्लास करने की साजिश में जुट गया। दो चार दिन के भीतर ही यानी कि 9 अगस्त वाले दिन अपनी योजना तहत बहाने से उसे अपने घरके पोर्च में ले गया और हथौड़े से ऐसा वार किया कि पलों में ही दम तोड़ दिया। मौका पाकर वहीं अग्नि के सपुर्द कर दिया और अवशेषों को घर से दूर बहते पानी की ड्रेन में ठिकाने लगा कर पोर्च को रंगाई करवा दी ताकि कोई सबूत ना रहे। लगभग 10 दिन बाद खुद ही थाना डेहलों में एक झूठी कहानी बनाकर रिपोर्ट दर्ज करवाई कि उक्त मेहला मेरे पास कुछ दिन रहने के बाद 10 दिन पहले ही कनाडा किसी शादी के लिए दिल्ली चली गई थी जिसका कुछ पता नहीं कहां है।
यह ख़बर अखबारों के जरिए उक्त मेहला की अमेरिका वासी बहन कमलजीत कौर तक पहुंची जिसे अपनी मरहूम बहन की शादी की योजना बाबत पहले से ही ज्ञात था। उनके पास सारे लेन देन के सबूत भी हैं। उसने पुलिस प्रशासन से अपील की है कि इस वारदात के सभी दोषियों ( चरणजीत सिंह, सुखजीत सिंह सोनू वा उसका भाई) को सख़्त सजा का प्रावधान करे। ए सी पी हरजिंदर सिंह गिल की अगवाई में सुखजीत सिंह सोनू और मृतका के अवशेषों तथा कतल में प्रयोग सारे सबूत जुटा लिए हैं।
सो 50 के बाद कोई विरला ही भाग्यवान होगा जिसे कोई सच्चा जीवन साथी मिला हो। बुढ़ापे में जीवन साथी बनाना कोई बुराई नहीं है पर बहुत संभल के। इस ज़रूरत को छुपा कर नहीं बल्कि आम समाज की जानकारी में ही पूरा करें।
"लूटपाट का ज़माना है ऐसे में खुद को बचाना है।" अपना बहुत बहुत ख्याल रखें।

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