logo

आध्यात्मिकता और सांस्कृतिक रंगों से सजा खतौली, दस लक्षण महापर्व में उमड़ी श्रद्धा

खतौली। जैन समाज का आध्यात्मिक महापर्व दस लक्षण बड़े श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जा रहा है। इसी क्रम में रविवार को उत्तम शौच धर्म का दिन पूरे क्षेत्र में धार्मिक माहौल और भक्ति भाव के साथ संपन्न हुआ। सुबह से ही जिन मंदिरों में पूजा-अर्चना और प्रवचन का क्रम आरंभ हो गया, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने भाग लेकर आत्मकल्याण का मार्ग अपनाने का प्रयास किया। प्रवचन के दौरान डॉ. ज्योति जैन ने श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि आज की भागदौड़ भरी जीवनशैली में इंसान अपने लिए दो पल भी नहीं निकाल पाता। हम सब बाहरी रूप से अच्छा दिखने की कोशिश करते हैं, लेकिन भीतर ईर्ष्या, लोभ, जलन और असंतोष जैसे नकारात्मक भाव छुपे रहते हैं। उत्तम शौच धर्म हमें यह सिखाता है कि शुद्धता केवल शरीर या पर्यावरण की ही नहीं बल्कि मन और अंतःकरण की भी होनी चाहिए। जब मन और आत्मा निर्मल होंगे तभी जीवन का सच्चा आनंद मिल सकता है और आत्मा की वास्तविक उन्नति हो सकती है। पूरे दिन जिन मंदिरों में पूजा-अर्चना और प्रवचन का आयोजन हुआ वहीं रात्रि कालीन सांस्कृतिक कार्यक्रमों ने श्रद्धालुओं को भक्ति रस में सराबोर कर दिया। नाटिका, नृत्य, प्रश्न मंच, चालीसा और भक्ति पाठ जैसे विविध आयोजन हुए, जिन्हें देखकर लोगों ने धर्म और संस्कृति का गहरा अनुभव प्राप्त किया। युवा संगठन ने भी सक्रिय भागीदारी निभाते हुए सभी मंदिरों में नियमित भक्ति और सेवाभाव का संकल्प लिया। इस धार्मिक अवसर पर गाँव और नगर के अनेक श्रद्धालुओं ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। कार्यक्रम में अरुण कुमार, राम कुमार, जय भगवान, अजय, नमन, शुभम, रोहित, प्रशांत, अनीता, अंजू, पिंकी, नैना, सुनीता, मंजू, विभा, मीनू, सीमा, रेखा, गीता, शालू, दीपा सहित बड़ी संख्या में महिलाएँ और युवा उपस्थित रहे। भक्ति गीतों और प्रस्तुतियों ने पूरे वातावरण को आध्यात्मिकता और सकारात्मक ऊर्जा से भर दिया। इस तरह दस लक्षण महापर्व के अंतर्गत मनाया गया उत्तम शौच धर्म का दिन आत्मशुद्धि, अंतःकरण की पवित्रता और सामाजिक एकता का प्रेरक संदेश देकर संपन्न हुआ।

7
829 views