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गुणवत्ता को नजरअंदाज कर किया जा रहा काजवे कम स्टॉप डेम का घटिया निर्माण . चेकडेम से महज 25 मीटर कि दूरी पर है पुरानी संरचना

गुणवत्ता को नजरअंद

डिंडोरी -- जल के संरक्षण व संवर्धन को लेकर ग्रामीण याँत्रकीय सेवा विभाग कि मनमानी विभाग द्वारा बनाये गये अमृत सरोवर बखूबी बयां कर रहे हैँ, बनाये गये अमृत सरोवर मे से आधे से अधिक अमृत सरोवर तो ऐसे है जो बूँद - बूँद पानी को तरस रहे है। ऐसे मे यदि जिला मुख्यालय से महज 3 किलोमीटर दूर ग्राम पंचायत देवरा मे विभागीय मनमानी देखने मिल जाये तो यह तय है कि विभाग पर किसी का जोर नहीं है। जी हाँ यहॉ कटोरा नाला पर मनरेगा योजनानतर्गत तकरीबन 51 लाख रूपये कि लागत से काजवेकम स्टॉप डेम का निर्माण किया जा रहा है, जिसमे जिम्मेदारों द्वारा बगैर बेस तैयार किये घटिया सामग्री का इस्तेमाल किया जाना सामने आया है। और हैरत यह भी कि उक्त निर्माण कार्य के नजदीक ही लगभग 25 मीटर दूरी पर चेकडेम कि पुरानी संरचना सही हालत मे खड़ी है, जिसमे महज लोहे के गेट कि कमी है। फिर इस नवीन संरचना कि क्या आवश्यकता..?

राशि गबन के लगे थे आरोप -- बता दें कि उक्त निर्माण कार्य जब प्रारम्भ भी नहीं हुआ था, तभी पंचायत प्रतिनिधियों पर मटेरियल के नाम पर लगभग 1.50 लाख रुपयों कि राशि के गबन के आरोप लगे थे। मतलब साफ है उक्त निर्माण कार्य मे विभागीय अधिकारियों कि भी संलिप्तता है, जिसकी जांच कि जानी चाहिये।

गुणवत्ता और मटेरियल कि हो जांच -- घटिया निर्माण कि जानकारी प्राप्त होने पर जब हमारे नवभारत प्रतिनिधि ने मौक़े का मुआयना किया तो वहां घटिया सामग्री का इस्तेमाल कर निर्माण कार्य को गति दी जा रही थी, मौक़े पर कोई तकनीकी जानकार भी नहीं था और मिट्टी मिक्स गिट्टी का इस्तेमाल बेखौफ़ हो किया जा रहा था, और रेत, गिट्टी व सीमेंट के मिश्रण मे भी मनमानी देखने मे आयी। इसके अलावा निर्माण कार्य के पास निर्माण कार्य से सम्बंधित कोई सूचना पटल भी नहीं लगा था, जिसमे निर्माण कार्य से सम्बंधित जानकारी का हवाला दिया गया हो और जो सीमेंट कि पाइप इस्तेमाल कि जा रही है, उनमे से अधिकांश पाइप के तार निर्माण से पहले ही बाहर झांकने लगे हैँ।

खेत मे जा रही दिशा -- स्थानीय जनो ने बताया कि काजवे कम स्टॉपडेम तैयार होने के बाद यहॉँ से वाहनो के आवागमन मे आसानी तो होंगी, लेकिन निर्माण कार्य कि दिशा कच्ची सडक के एकदम विपरीत हो खेत मे जाती नजर आ रही है, जो कि समझ से परे है।

बहरहाल हमने इस सम्बन्ध मे जब निर्माण कार्य कि बागडोर संभाल रहे विभाग के चहेते ठेकेदार से चर्चा कि तो उनका कहना था कि उन्होंने कार्य अन्य किसी को पलटा दिया है, चूँकि वहां निर्माण कार्य उनके वश मे नहीं था। और विभागीय अधिकारी भी मामले से पल्ला झाड़ते नजर आये।

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