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जिले के जमालपुर के एक परिवार में 32 साल बाद खुशियां आई है.
मिर्जापुर जिले के जमालपुर के एक परिवार में 32 साल बाद खुशियां आई है. 32 साल से इतंजार कर रही बूढी मां को आखिरकार उनका बेटा मिल गया. वहीं, पत्नी को पति मिल गया. घर में खुशियां मनाई जा रही है. हम बात कर रहे हैं जमालपुर के रहने वाले अमरनाथ गुप्ता की जो 1992 में अयोध्या ढांचा विध्वंस में कारसेवा करने घर से निकले थे. इसके बाद वह घर लौटे ही नहीं. अयोध्या में कारसेवा करने के बाद उन्हें जेल हो गई. जेल से छूटने के बाद वह अयोध्या और वृंदावन चले गए और संन्यास ग्रहण कर लिया. महाकुंभ में वह स्नान करने आए तो स्वप्न में उन्हें मां नजर आई. मां से मिलने की चाहत में वह घर लौटे और दरवाजा खटखटाने लगे. घर के भीतर गहरी नींद में सो रही बूढी मां ने अचानक बहू से कहा कि 'जाओ बेटा आया है दरवाजा खोल दो'. इस पर बहू बोली 'सो जाइए वह नहीं हैं'. बूढ़ी मां का दिल नहीं माना तो बहू के साथ दरवाजा खोलने पहुंच गईं. दरवाजा खोलते ही सामने उनका साधु वेशधारी बेटा नजर आया. मां ने तुरंत अपने लाल को गले से लगा लिया.
1992 से घर नहीं लौटेः जानकारी के मुताबिक जमालपुर के रहने वाले अमरनाथ गुप्ता 1992 में अयोध्या ढांचा विध्वंस के दौरान कारसेवकों की टोली के साथ घर से निकले थे. कारसेवा के बाद वह ट्रेन से घर लौट रहे थे, इस दौरान जौनपुर में ट्रेन पर पथराव होने लगा. वहां से उतरकर वह किसी तरह वाराणसी से जमालपुर अपने घर पहुंचे तो पुलिस ने गिरफ्तार कर मिर्जापुर की जेल में बंद कर दिया. जेल से छूटकर उनका मन नहीं लगा तो परिवार को बिना बताए वह अयोध्या निकल गए. अयोध्या से वृंदावन पहुंचे और बाबा किशोर दास से गुरु दीक्षा लेकर जयपुर आश्रम में रहने लगे. इस बार वह जयपुर से महाकुंभ स्नान करने आए थे. अमर नाथ गुप्ता ने बताया कि महाकुंभ में मां स्वप्न में आई तो उनसे मिलने का दिल किया. इस वजह से मैं मां से मिलने घर चला गया.
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