logo

अध्यापिका ने कहा

🌹🌹🌹

*बेटी*



*लड़कियों के एक विद्यालय में आई नई अध्यापिका बहुत खूबसूरत थी। बस उम्र थोड़ी अधिक हो रही थी लेकिन उसने अभी तक शादी नहीं की थी।*

*सभी छात्राएँ उसे देखकर तरह-तरह के अनुमान लगाया करती थीं। एक दिन किसी कार्यक्रम के दौरान जब छात्राएँ उसके इर्द-गिर्द खड़ी थीं तो एक छात्रा ने बातों-बातों में ही उससे पूछ लिया,*
*"मैडम! आपने अभी तक शादी क्यों नहीं की?"*

"पहले एक कहानी सुनाती हूँ! एक महिला को बेटे होने की चाह में लगातार पाँच बेटियाँ ही पैदा होती रहीं! जब छठवीं बार वह गर्भवती हुई तो पति ने उसको धमकी दी कि अगर इस बार भी बेटी हुई तो उस बेटी को बाहर किसी सड़क या चौक पर फेंक आऊँगा!"
"महिला अकेले में रोती हुई भगवान से प्रार्थना करने लगी, क्योंकि यह उसके वश की बात नहीं थी कि अपनी इच्छानुसार बेटा पैदा कर देती! इस बार भी बेटी ही पैदा हुई!"
"पति ने नवजात बेटी को उठाया और रात के अंधेरे में शहर के बीचों-बीच चौक पर रख आया! माँ पूरी रात उस नन्हीं सी जान के लिए रो-रोकर दुआ करती रही! दूसरे दिन सुबह पिता जब चौक पर बेटी को देखने पहुँचा तो देखा कि बच्ची वहीं पड़ी है! उसे जीवित रखने के लिए बाप बेटी को वापस घर लाया लेकिन दूसरी रात फिर बेटी को उसी चौक पर रख आया!"*
"रोज़​ यही सब होता रहा! हर बार पिता उस नवजात बेटी को बाहर रख आता, और जब कोई उसे लेकर नहीं जाता तो मजबूरन वापस उठा लाता! यहाँ तक कि उसका पिता एक दिन थक गया और भगवान की इच्छा समझकर शाँत हो गया!"

"फिर एक वर्ष बाद माँ जब फिर से गर्भवती हुई तो इस बार उनको बेटा हुआ! लेकिन कुछ ही दिन बाद ही छह बेटियों में से एक बेटी की मौत हो गई, यहाँ तक कि माँ पाँच बार गर्भवती हुई और हर बार बेटे ही हुए! लेकिन हर बार उसकी बेटियों में से एक बेटी इस दुनिया से चली जाती!"

अध्यापिका की आँखों से आँसू गिरने लगे थे! उसने आँसू पोंछकर आगे कहना शुरु किया!

"अब सिर्फ एक ही बेटी ज़िंदा बची थी और वह वही बेटी थी, जिससे बाप जान छुड़ाना चाह रहा था! एक दिन अचानक माँ भी इस दुनिया से चली गई! इधर पाँच बेटे और एक बेटी, सब धीरे-धीरे बड़े हो गए!"

अध्यापिका ने फिर कहा, "पता है वह बेटी जो ज़िंदा बची रही, मैं ही हूँ! मैंने अभी तक शादी इसलिए नहीं की, कि मेरे पिता अब इतने बूढ़े हो गए हैं कि अपने हाथ से खाना भी नहीं खा सकते, और अब घर में और कोई नहीं है जो उनकी सेवा कर सके! बस मैं ही उनकी सेवा और देखभाल किया करती हूँ! जिन बेटों के लिए पिताजी परेशान थे, वो पाँच बेटे अपनी अपनी पत्नियों और बच्चों के साथ अलग रहते हैं! बस कभी-कभी आकर पिता का हालचाल पूछ जाते हैं!"

वह थोड़ा मुस्कुराई। फिर बोली -
"मेरे पिताजी अब हर दिन शर्मिंदगी के साथ रो-रो कर मुझ से कहा करते हैं,
"मेरी प्यारी बेटी! जो कुछ मैंने बचपन में तेरे साथ किया उसके लिए मुझे माफ कर देना!"

दोस्तों, बेटी की बाप से मोहब्बत के बारे में एक प्यारा सा किस्सा यह भी है कि एक पिता अपने बेटे के साथ खेल रहा था। बेटे का हौसला बढ़ाने के लिए वह जान बूझ कर हारे जा रहा था। दूर बैठी बेटी बाप की हार बर्दाश्त ना कर सकी और बाप के साथ लिपटकर रोते हुए बोली,
"पापा! आप मेरे साथ खेलिए, ताकि मैं आपकी जीत के लिए हार सकूँ!"

0
149 views