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धार जिला शिक्षा अधिकारी ने शासन के नियमो को किया तार तार l एक अयोग्य शिक्षक की करदी अवेध नियुक्ति शिकायत के बाद भी नही किया गया निलंबित धार मध्य प्रदेश की बीजेपी सरकार में संवेदनशील पूर्व मुख्य मंत्री शिवराज के राज में चूहे तो चूहे हाथी जैसे मामले भी सरकार में बैठे अधिकारी कर्मचारी डकारने से बाज नहीं आए l

ऑल इंडिया मीडिया संगठन से पत्रकार अमजद पटेल की ख़ास रिपोर्ट


मामला धार ज़िले के शिक्षा विभाग का धार जिला शिक्षा अधिकारी ने शासन के नियमो को किया तार तार l
एक अयोग्य शिक्षक की करदी अवेध नियुक्ति शिकायत के बाद भी नही किया गया निलंबित
धार मध्य प्रदेश की बीजेपी सरकार में संवेदनशील पूर्व मुख्य मंत्री शिवराज के राज में चूहे तो चूहे हाथी जैसे मामले भी सरकार में बैठे अधिकारी कर्मचारी डकारने से बाज नहीं आए l
यहां पर तत्सम्य में ये आलम रहे की योग्य व्यक्ति को नियुक्ति नही मिली और अयोग्य व्यक्ति सीना ठोककर कार्य करते चले आ रहे है हालत ये रहे है की यदि किसी सामाजिक या जागरूक किसी व्यक्ति की नजर मे मामला संज्ञान में आगया और उसके द्वारा जनहित व क्रूप्शन को लेकर शासन हित में यदि कोई शिकायत करदी तो सालो उसपर कोई कार्यवाही नहीं हो पाती है ,l
ऐसा ही मामला धार जिला के शिक्षा विभाग का खुलकर सामने आया है जिसमे शिकायत कर्ता निखिल चरेड एवं राकेश प्रजापत निपानिया मंदसौर ने बताया की मेरे दुवारा ग्राम दोत्रिया तहसील बदनावर किला धार में अनिल पिता श्रेणिक मल की जनशिक्षक के पद पर अवेध नियुक्ति कर शासन को लाखो रुपए का चूना लगाया जा रहा है जिसकी शिकायत जिला शिक्षा अधिकारी एवम अतिरिक्त जिला कलेक्टर धार को की थी जिसमे जन शिक्षक अनिल पिता श्रेणिकमल 4 बच्चो का पिता होने के बाद भी इसकी नियुक्ति जन शिक्षक के पद पर कैसे हो गई एक गंभीर जांच का विषय है l
जबकि मध्य प्रदेश शासकीय सेवा (आचरण )नियम 1965 दिनांक 25.5.2000 के नियम 22 के अधिनियम 4 के अनुसार प्रत्येक शासकीय सेवक भारत सरकार का अथवा राज्य सरकार का परिवार कल्याण के नियमो का पालन करेगा l उक्त नियम अनुसार दिनाक 25.1.2001को या उसके पश्चात होता है तो उसके सेवा से पृथक होने का प्रावधान किया गया है l
किंतु जनशिक्षक अनिल पिता श्रेणिक मल ग्राम दोत्त्रिया तहसील बदनावर जिला धार में अवैधानिक रुप से पदस्थ होकर शासन के आदेशों को चुनौती दे रहा है ? आखिर क्यों जिले के अधिकारी शिकायत के तथ्यों को जांच नही कर अवेध नियुक्ति प्राप्त जनशिक्षक अनिल के गुनाहों की अनदेखी कर शासन के पेसो की बरबादी का खुला खेल देख रहे है l

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