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फेक वीडियो का चुनाव में इस्तेमाल

नमस्कार, आइमा मीडिया में आपका स्वागत है।


इंटरनेट की आभासी दुनिया में आज कल फेक न्यूज और फेक वीडियो का चलन बहुत तेजी से चल रहा है। यहां तक कि लोकसभा चुनाव में भी फेक न्यू़ज और फेक वीडियो की एंट्री हो गईं है। चुनावों के दौरान इनका बहुतायत से इस्तेमाल अथवा बेजा इस्तेमाल हो रहा है। कहीं भी कांट छांट कर फेक न्यू़ज या वीडियो बनाना बहुत आसान हो गया है। डेमोक्रेसी के लिए यह कार्य बहुत घातक है, इससे हमारे डेमोक्रेसी की जड़ें कमजोर होती है और आमजन में भय और गलत धारणाएं बनती है।

यह टेक्नोलॉजी का जमाना है, जिसमें असली-नकली में अंतर करना कठिन है। फेक न्यू़ज और वीडियो में किसी भी लीडर की आवा़ज हूबहू दिखाई जाती है ऐसे में क्या सही और क्या गलत है इसका फर्क करना आसान नहीं है। आजकल बच्चे से बुजुर्ग के हाथ में मोबाइल है। इसका अधिकतर लोग इस्तेमाल करते हैं और कुछ लोगों के फोन में सोशल मीडिया ऐप्स इंस्टॉल होते हैं।

ऐसे ही कई ऐप हैं, जैसे ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम। सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने वाले अधिकतर लोगों को पता ही नहीं होता है कि वह जो न्यूज पढ़ रहे हैं वो सच्ची है या झूठ। कभी कभी फेक न्यूज को इस तरह से प्रजेंट किया जाता कि वह सच्ची खबरों को भी पीछे छोड़ देती हैं। नकली वीडियो कुछ ही सेकेन्ड में लाखों लोगों तक पहुंच जाता है और लोग इस हकीकत मानकर फारवर्ड कर देते हैं। इसलिए ये भयानक खेल है। डेमोक्रेसी के लिहा़ज से खतरनाक खेल हैं। चूंकि लोगों के पास वीडियो की असलियत को जानने का तो कोई जरिया नहीं हैं, इसलिए कम से कम आप इतना कर सकते हैं कि बिना सोचे समझे किसी वीडियो को फारवर्ड न करें, वरना मुसीबत में पड़ सकते हैं क्योंकि आईटी एक्ट बहुत सख्त हैं।

अमित शाह का नकली वीडियो जानबूझ कर सोची समझी रणनीति के तहत फैलाया गया, क्योंकि जैसे ही वीडियो वायरल हुआ, उसके बाद गुजरात से लेकर उत्तर प्रदेश और बिहार तक कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय जनता दल के नेताओं ने रैलियों में कहना शुरू कर दिया कि भाजपा ने दलितों, पिछड़ों और आदिवासियों के आरक्षण को खत्म करने की तैयारी कर ली है।

अगर पीएम नरेंद्र मोदी तीसरी बार प्रधानमंत्री बने तो आरक्षण खत्म हो जाएगा।

आजकल देश के गृह मंत्री अमित शाह का यह फेक वीडियो बहुत चर्चा में है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार गृह मंत्री अमित शाह ने तमिलनाडु की एक चुनाव रैली में कहा कि तीसरी बार केन्द्र में भाजपा की सरकार आएगी तो जहां जहां असंवैधानिक तौर पर मुस्लिम आरक्षण लागू है, उसे खत्म किया जाएगा, लेकिन उनके वीडियो की एडिटिंग की गई। 'मुस्लिम' शब्द हटाकर 'दलित आदिवासी' जोड़ दिया गया। यानि अमित शाह को ये कहते हुए दिखाया गया कि भाजपा की सरकार आएगी तो असंवैधानिक तौर पर लागू दलित, पिछड़े और आदिवासियों का आरक्षण तुंरत खत्म कर देगी। चूंकि आवाज अमित शाह की थी, एडीटिग इतनी सफाई से की गई कि किसी भी सुनने वाले को लगेगा कि अमित शाह ने यही कहा कि भाजपा की सरकार आरक्षण को खत्म करेगी। इस वीडियो को सोशल मीडिया के कई प्लेटफॉर्म्स पर खूब वायरल किया गया। इसके बाद भाजपा हरकत में आईं, पुलिस एक्शन भी हुआ, चुनाव आयोग से शिकायत भी हुई। भाजपा का आरोप है कि इस फेक वीडियो के वायरल किये जाने में प्रमुख विपक्षी पार्टी कांग्रेस के नेताओं का हाथ है।

इसके साथ ही गृहमंत्रालय ने भी दिल्ली पुलिस को इस मामले में अपनी शिकायत दी. दोनों शिकायतों के आधार पर दिल्ली पुलिस ने केस दर्ज करके जांच शुरू कर दी है। सबसे पहली गिरफ्तारी असम से हुई है। यहां रीतोम सिंह नामक एक शख्स को पुलिस ने गिरफ्तार किया है, जो कि कांग्रेस और आम आदमी पार्टी से जुडा रहा है। दिल्ली दोनों शिकायतों के आधार पर दिल्ली पुलिस ने केस दर्ज करके जांच शुरू कर दी है। सबसे पहली गिरफ्तारी असम से हुई है। यहां रीतोम सिंह नामक एक शख्स को पुलिस नामक एक शख्स को पुलिस ने गिरफ्तार किया है, जो कि कांग्रेस और आम आदमी पार्टी से जुड़ा रहा है। दिल्ली पुलिस की यूनिट इंटेलिजेंस फ्यूजन एंड स्ट्रैटजिक ऑपरेशंस ने तेलंगाना के सीएम को रेवंत रेड्डी को पेश होने का समन भेजा है।

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