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एडमिशन के बाद छात्र करे जॉब,कॉलेज करे डिग्री नाम... एक लाख अस्सी हजार रूपए में लोटस कॉलेज कराता है ठेके पर डीफार्मा, बीफार्मा,

बरेली/फरीदपुर स्टिंग खबर,आज ऑल इण्डिया मीडिया एसोसिएशन से जिलाध्यक्ष नवनिर्वाचक अधिवक्ता सजीव रामपाल मिश्रा बाबा ने एक ग्रामीण गरीब स्टूडेंट की शिकायत पर फरीदपुर, बरेली में स्थित लोटस कालेज का जायजा लिया। स्टूडेंट की शिकायत थी कि डिफार्मा कराने के नाम पर 180000 रूपये लेकर भी दर्जनों छात्रों को न परीक्षा कराई और न डिग्री दिलाई। इसके साथ ही एक साल बर्बाद कर दिया।अब छात्र ज़ब अपना पैसा मांगते तो कालेज प्रशासन बात नहीं कर रहा तथा दोबारा एडमिशन लेने का दबाव छात्र अभिभावक पर डाला जा रहा है। छात्र और उसके अभिभावक को अपनी समस्या को लेकर कालेज में घुसने नहीं दिया जा रहा है और न ही कॉलेज मैनेजमेंट सहूलियत से बात कर रहा है। इसी समस्या को लेकर लोटस कॉलेज फरीदपुर में एक प्राइवेट इन्वेस्टीगेटर अधिवक्ता संजीव रामपाल मिश्रा ऑल इंडिया मीडिया एसोसिएशन जिलाध्यक्ष बरेली द्वारा एक छात्र अरेंद्र सिंह को लेकर स्टिंग ऑपरेशन किया गया।
कॉलेज गेट पर लगे गार्डस को सख्त हिदायत है कि पुराने डिफार्मा वाले छात्र जिनकी एडमिशन के नाम पर एक साल बर्बाद हुयी है और जो दोबारा फिर कॉलेज में एडमिशन नहीं चाहते तथा अपना पैसा वापस लेना चाहते हैं उन्हें कॉलेज में नहीं घुसने दिया जाये। सिर्फ़ एडमिशन लेने वाले को ही प्रवेश दिया जाये।
छात्र व उसके सहयोगी ने ज़ब एडमिशन के लिए कहा तो कॉलेज में इंट्री दी गई। कॉलेज में इंट्री के बाद ख़ुद को कॉलेज HR बताने वाली फलक मैडम के रूम में छात्र की समस्या को रखा तो वह सटीक जबाब न देकर इर्द गिर्द घुमाने लगी। ज़ब ऑल इंडिया मीडिया एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष अधिवक्ता संजीव रामपाल मिश्रा ने अपना परिचय देकर HR फलक से कॉलेज चेयरमैन से शिष्टाचार भेंट कराने को कहा तो यह कहकर मना कर दिया कि वो किसी से बात नहीं करते और उनका कांटेक्ट नंबर भी नहीं दिया। जबकि छात्र क़ानूनी कार्यवाही को कॉलेज प्रशासन की लापरवाही को लेकर उत्सुक है कि मेरा एडमिशन का पैसा वापस किया जाये और जो एक साल बर्बाद हुआ है उसका हर्जाना दिया जाये अन्यथा कोर्ट केस करूंगा। फिर भी HR फलक ने कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई और दो माह बाद पैसा वापस करने को कहा मगर उसकी भी गारंटी नहीं दी। छात्र के अनुसार एक साल से HR फलक छात्र को बहला रही हैं न एडमिशन दिया न ही 60000/रूपये फीस वापसी को तैयार होती हैं।
आपको बता दूँ कि डीफार्मा बीफार्मा वाले बहुत से छात्र जो ठेके पर डिग्री लेकर अपना रोजगाऱ शुरू करते हैं उनके लिए लोटस कॉलेज जैसे डेकोरेटिड फैसेलिटी से युक्त कॉलेज ठेके पर संचालित हो रहे हैं। करोड़ों रूपये लगाकर कालेजों का संचालन विद्या ज्ञान को बढ़ाना नहीं बल्कि करोड़ों रूपये कमाकर ठेके पर डिग्री बाँटना कॉलेज प्रबंधन का मंच लगाना है।
अभी हाल ही घटना है लोटस कॉलेज में ज़ब एक छात्र ने मैनेजमेंट पर तमंचे से जानलेवा हमला कर दिया था और बाल बाल कॉलेज चेयरमैन बचे थे। इस तरह की घटना चौंका देने वाली थी मगर इसका मुख्य कारण छात्र उत्पीड़न ही था। जैसे आज डिप्लोमा के नाम पर फीस जमा की गई फिर छात्रों को एडमिशन कैंसिल हुए और फिर कॉलेज प्रबंधन द्वारा फीस वापस नहीं करना और फिर छात्र अभिभावक को अपनी समस्या को लेकर कॉलेज में न घुसने देना एक मानसिक पीड़ा के साथ साथ छात्रों में हिंसक प्रवर्ती को जन्म देना है।
ऐसे कॉलेज पर शिक्षा विभाग को क़ानूनी कार्यवाही करनी चाहिए। अन्यथा छात्र और उनके अभिभावक क़ानूनी कार्यवाही को कोर्ट का सहारा लेने को मजबूर हैं।

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