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चतुर्वेदी दम्पति प्रेस क्लब ऑफ़ इंडिया नई दिल्ली में सम्मानित

वैश्विक पत्रिका "प्रज्ञान विश्वम" के विशेषांक का हुआ भव्य लोकार्पण

सवाईमाधोपुर(चन्द्रशेखर शर्मा)। नई दिल्ली के ऐतिहासिक प्रेस क्लब ऑफ इंडिया के सभागार में समसामयिक हिंदी साहित्य के सशक्त हस्ताक्षर ज्ञानचंद मर्मज्ञ के व्यक्तित्व एवम् कृतित्व पर आधारित वैश्विक पत्रिका "प्रज्ञान विश्वम" के विशेषांक का भव्य लोकार्पण किया गया। इस अवसर पर सवाईमाधोपुर निवासी डॉ. मधु मुकुल चतुर्वेदी तथा डॉ. इंद्रा चतुर्वेदी को संस्था की ओर से सम्मानित किया गया। अखिल भारतीय सर्वभाषा संस्कृति समन्वय समिति के ग्लोबल अध्यक्ष प्रख्यात साहित्यकार और पत्रकार प्रज्ञान पुरुष पंडित सुरेश नीरव की अध्यक्षता में आयोजित इस समारोह में अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का आयोजन भी किया गया। जिसमें सभी रचनाकारों ने एक से बढ़कर एक प्रस्तुतियाँ दीं।
आयोजन के विषय पर प्रकाश डालते हुए मुख्य वक्ता डॉ. मधु मुकुल चतुर्वेदी ने कहा कि अखिल भारतीय सर्वभाषा संस्कृति समन्वय समिति अपने वैश्विक अध्यक्ष पंडित सुरेश नीरव के कुशल नेतृत्व में कार्य करते हुए नित नये कीर्तिमान स्थापित करती हुई प्रगति पंथ पर निरंतर अग्रसर है। समिति के फेसबुक पटल पर 1450 दिनों से निर्बाध नियमित दैनिक जीवंत प्रसारण हो रहा है। समिति का 14 हज़ार सदस्यों का एक विशाल वैश्विक परिवार है। इसके पटल को 28 लाख लाइक्स मिल चुके हैं, जोकि एक विश्व कीर्तिमान है। समिति अब तक अपने 19 राष्ट्रीय अधिवेशन भारत के विभिन्न प्रांतों में आयोजित कर चुकी है तथा इसका 20वां तीन दिवसीय राष्ट्रीय अधिवेशन नेपाल की राजधानी काठमांडू में 19, 20 एवं 21 जून को आयोजित होगा। समिति द्वारा प्रज्ञान विश्वम् नाम से एक बहु राष्ट्रीय, बहुभाषी, अव्यवसायिक पत्रिका का भारत, अमेरिका, जर्मनी, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, यूके और कुवैत से निरंतर प्रकाशन किया जा रहा है। इस पत्रिका के प्रधान संपादक आदरणीय सुरेश नीरव हैं तथा संपादक डॉ. शिप्रा शिल्पी हैं। विभिन्न विभूतियों के व्यक्तित्व और कृतित्व पर आधारित इसके दस विशेषांकों का अब तक प्रकाशन किया जा चुका है जिनमें प्रमुख हैं - सुरेश नीरव, कुंअर बेचैन, विन्देश्वर पाठक, सुरेन्द्र कुमार सैनी, सुभाष सैनी आदि और आज जिस विशेषांक का लोकार्पण हो रहा है वो ज्ञान चंद मर्मज्ञ के व्यक्तित्व और कृतित्व पर आधारित है।
ज्ञान चंद मर्मज्ञ सहज, सरल और सौम्य व्यक्तित्व के धनी सुगीतकार हैं। आप कर्नाटक जैसे अहिंदी भाषी राज्य में पिछले चार दशक से हिंदी की अलख जगाये हुए हैं। इनकी अनेक रचनाएं देश के अनेक विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रमों में शामिल हैं। आपके एक निबंध संग्रह " खूंटी पर आकाश " की समीक्षा करने का मुझे भी सौभाग्य प्राप्त हुआ है। आप भावों और विचारों को समानांतर लेकर चलते हैं और पाठक अपने आप को उससे आत्मसात कर लेता है। उनकी लेखनी में शब्दों और भावों का एक विशेष सौंदर्य हमें देखने को मिलता है। आपकी सभी रचनाएँ समसामयिक,भावपूर्ण और शिक्षाप्रद होती हैं। सामाजिक सरोकार रखते हुए आप विभिन्न संस्थाओं से भी सक्रिय रूप से जुड़े हुए हैं। आपका गद्य और पद्य दोनों पर समान अधिकार है। आपकी लेखनी का करिश्मा, चमत्कार और जादू कुछ ऐसा है कि उसमें चप्पल और बेंच जैसी निर्जीव वस्तुएँ भी सजीव हो उठती हैं।
अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में पंडित सुरेश नीरव ने कहा कि समिति की एक विशिष्ट साहित्यिक परंपरा है। समिति अपने नाम के अनुरूप देश की विभिन्न भाषाओं और संस्कृतियों में समन्वय और सामंजस्य स्थापित करती हुई विभिन्न भाषाओं के साहित्यकारों को एक मंच पर लाने का पुनीत कार्य करती है।
इस समारोह में देश के विभिन्न क्षेत्रों से अनेक साहित्यकारों ने भाग लिया जिनमें प्रमुख हैं- पंडित सुरेश नीरव, मधु मिश्रा (नोएडा), ज्ञान चंद मर्मज्ञ (बैंगलुर), डॉ. मधु मुकुल चतुर्वेदी, डॉ. इंद्रा चतुर्वेदी (सवाईमाधोपुर), डॉ. राखी सिंह कटियार (बड़ोदरा), डॉ. शिप्रा शिल्पी (जर्मनी), कुमार सुबोध, उमंग सरीन, मोहिनी पाण्डेय, निशा भार्गव, सतीश भार्गव (नई दिल्ली), नवीन शरण, सुरेन्द्र सैनी, डॉ. श्रीगोपाल नारसन , प्रवीण चौहान (रुड़की), दरयाब सिंह राजपूत 'ब्रजकण' (गाजियाबाद), सीमा कौशिक (फरीदाबाद), डॉ. अजय कुलश्रेष्ठ अजेय, डॉ रश्मि कुलश्रेष्ठ( कानपुर), शिल्पा वर्मा (जयपुर), सुभाष सैनी, सुमन सैनी ( देहरादून), राजेन्द्र विश्वकर्मा (इंदौर), राजेश प्रभाकर, राजेन्द्र निगम, इंदु निगम, राजेश रघुवर ( गुरुग्राम) आदि। रविवार देर शाम तक चले इस कार्यक्रम में संस्था द्वारा सभी उपस्थित साहित्यकारों को सम्मानित भी किया गया।

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