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नवरात्रि की अष्टमी और नवमी पर किया जाता है कन्या पूजन, क्या आप जानते हैं कितनी होनी चाहिये कन्याओं की संख्या और क्या है इसके लिए निर्धारित नियम

सनातन मान्यताओं में नवरात्रि का त्यौहार विशेष महत्व रखता है, यह देवी के सभी 9 स्वरूपों को समर्पित है। हर स्वरूप की अपनी अलग महत्ता और विशेषता होती है... देवी दुर्गा के भक्त सभी नवरात्रि के दिनों में अपनी-अपनी श्रद्धा और भाव अनुसार देवी की आराधना करते हैं। कन्या पूजन में कितनी कन्याओं को भोजन करवाना चाहिये?

नवरात्रि की अष्टमी और नवमी तिथि पर कन्या पूजन किया जाने का विधान है, कुछ परिवार सप्तमी तक व्रत रखते हैं और अष्टमी पर कन्या पूजन करने के बाद अपने व्रत का पारण करते हैं वहीं कुछ अष्टमी तक व्रत रखने के बाद नवमी तिथि पर कन्या पूजन करते हैं। सामान्यतौर पर 7,9, 12 संख्या में कन्या बैठाने का विधान है लेकिन बहुत ही कम लोग यह जानते हैं कन्या पूजन में कितनी संख्या में कन्याओं को भोजन करवाना चाहिये... इस लेख में हम उसी से जुड़ी बातों पर चर्चा करने जा रहे हैं।


# जानकारों के अनुसार कन्या पूजा के लिए आप 2 से लेकर 9 तक की संख्या में कन्याओं को अपने घर भोजन के लिये आमंत्रित कर सकते हैं।

#कन्या पूजन में कंजकों के साथ-साथ एक बालक को भी बैठाया जाता है जिसे बटुक भैरव के मानते हैं।

# कन्या पूजन के दौरान इस बात का ध्यान अवश्य रखें कि कन्याओं का मुख पूर्व या फिर उत्तर दिशा की ओर ही हो....
# आप या आपके घर का कोई सदस्य कुछ भी ऐसा ना करे जिससे उन कन्याओं का अपमान हो, वे कन्याएं देवी का स्वरूप हैं उन्हें नाराज या अपमानित ना करें। वे अपनी मर्जी से जो और जितना खाना चाहें उतना ही सही है, जबरन उन्हें भोजन ना करवाएं।

# सामान्यतौर पर 9 कन्याओं को भोजन करवाए जाने का विधान है, उन्हें नवदुर्गा का स्वरूप माना जाता है... लेकिन अगर आपको इस संख्या में कन्याएं उपलब्ध नहीं हो पा रही हैं तो आप 2 कन्याएं और 1 बालक को बैठाकर भी पूजा कर सकते हैं।

# विशेषज्ञों के अनुसार 1 कन्या की पूजा से ऐश्वर्य, 2 की पूजा से भोग, 3 की पूजा से पुरुषार्थ में वृद्धि, 4 से 5 की पूजा से ज्ञान, बुद्धि, विद्या, 6 की पूजा से सफलता, 7 की पूजा से परमपद, 8 की पूजा से अष्टलक्ष्मी और 9 कन्याओं की पूजा से सभी ऐश्वर्य और वैभव की प्राप्ति होती है।

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