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धनदेव की हत्या मामले में SSB के तीन जवानों को उम्रकैद, 12 गवाहों को सुनने के बाद कोर्ट का आया फैसला

गोहर उपमंडल के दाड़ी निवासी (तूना पंचायत) SSB में तैनात एएसआई धनदेव की हत्या मामले में पीड़ित परिवार को 7 बर्षो के वित्त जाने के बाद न्याय मिला है। उल्लेखनीय है कि 30 जनवरी 2017 को ASI धनदेव का शव खेतों में पेड़ पर लटका मिला था। लेकिन माननीय गाजीपुर अपर सत्र न्यायाधीश कोर्ट का फ़ैसला आने के बाद परिवार के सदस्यों ने राहत की सांस ली है व धनदेव पर लगे आत्महत्या के दाग का अब फ़ैसला आने से परिवार बालों को शांति मिली है। धनदेव की पत्नी वती देवी व बेटे रवि चौहान,मीरा व दामाद गोपाल ने कोर्ट के फ़ैसले का स्वागत किया है।

धनदेव की हत्या को लेकर वादी की सूचना पर अज्ञात आरोपियों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज हुआ था।विवेचना के दौरान पुलिस ने एसएसबी के उपनिरीक्षक सेसराम ठाकुर निवासी आनी (कुल्लू), हेड कांस्टेबल निलेंद्र चक्रवर्ती और भरत भजेल का नाम प्रकाश में आया और पुलिस ने तीनों आरोपियों के विरुद्ध न्यायालय में आरोप पत्र पेश किया। गाजीपुर में अपर सत्र न्यायाधीश प्रथम चन्द्रप्रकाश तिवारी की अदालत ने शनिवार 15 मार्च को अपने साथी की हत्या के मामले में सेवा चयन बोर्ड (एसएसबी) के तीन जवानों को आजीवन कारावास के साथ प्रत्येक को 30-30 हजार रुपये के अर्थदंड से दंडित किया है।

गौर रहे कि धनदेव बटालियन में हुए गबन में मुख्य गवाह था।

अभियोजन के अनुसार, शस्त्र सेना बल के असिस्टेंट कमांडेंट प्रदीप कुमार गुप्ता ने 30 जनवरी, 2017 को थाना नंदगंज में तहरीर दिया कि वह अपने वाहिनी के साथ गोंदिया एक्सप्रेस से दुर्ग छत्तीसगढ़ जा रहे थे। तरांव स्टेशन से पहले चेन पुलिंग के समय उनका साथी धनदेव फोन कान में लगाए हुए अपने कोच से बाहर निकले और ट्रेन से उतर गए।

इधर ट्रेन चली तो वादी ने चेनपुलिंग करके ट्रेन रोकी। वह और उसके साथी उतरे और धनदेव की तलाश की तो उसका मोबाइल पटरी पर पड़ा मिला। शक होने पर उच्चाधिकारियों को सूचना दी। दूसरे दिन सुबह थाने पर सूचना दी और उसके साथ मौके पर पुलिस गई तो एक महिला ने जानकारी दी कि खेत के पेड़ में लाश लटकी है। वादी की सूचना पर अज्ञात आरोपियों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज हुआ।

विवेचना के दौरान पुलिस ने एसएसबी के उपनिरीक्षक सेसराम ठाकुर, हेड कांस्टेबल निलेंद्र चक्रवर्ती और भरत भजेल का नाम प्रकाश में आया और पुलिस ने तीनों आरोपियों के विरुद्ध न्यायालय में आरोप पत्र पेश किया। विचारण के दौरान अभियोजन की तरफ से सहायक शासकीय अधिवक्ता नीरज श्रीवास्तव ने कुल 12 गवाहों को पेश किया। सभी ने अपना अपना बयान न्यायालय में दर्ज कराया। दोनों तरफ की बहस सुनने के बाद न्यायालय ने उपरोक्त सजा सुनाते हुए तीनों अभियुक्तों को जेल भेज दिया।

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