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आंगनबाड़ियों में रनिंग वाटर की वस्तु स्थिति का सत्यापन कर सोमवार तक रिपोर्ट दें पर्यवेक्षक : कलेक्टर

-महिला एवं बाल विकास विभाग की विभागीय समीक्षा के दौरान दिए निर्देश

धमतरी। ज़िले के आंगनबाड़ी आने वाले बच्चों में कुपोषण दर को दूर करने महिला और बाल विकास विभाग को पुरजोर प्रयास करने के निर्देश कलेक्टर पी.एस. एल्मा ने दिए। इस जुलाई माह में लिए गए वजन त्योहार में मिले कुपोषित बच्चों को ज़िले के चारों पोषण पुनर्वास केंद्रों के स्वीकृत 45 बिस्तरों के जरिए नियमित रूप से लाभान्वित करने कलेक्टर ने बल दिया। इसके लिए उन्होंने एनआरसी में शत-प्रतिशत बेड ऑक्युपेंसी पर जोर दिया।

एनआरसी में शत-प्रतिशत बेड ऑक्युपेंसी कर कुपोषण दूर करने विशेष बल : 
ज्ञात हो कि अप्रैल से सितंबर माह तक पोषण पुनर्वास केंद्र के जरिए 188 बच्चों को लाभान्वित किया गया है। कलेक्टर ने इसके लिए वजन त्योहार के हिसाब से एनआरसी भेजने गंभीर  कुपोषित बच्चों का चार्ट बनाने और लाभान्वित करने के निर्देश दिए। बताया गया कि इस वजन त्योहार में पांच साल की आयु तक के 57501 बच्चों में से 49849 बच्चे सामान्य, कुल कुपोषित बच्चों का आंकड़ा 7652 (13.31%) है। गौरतलब है कि वजन त्योहार फरवरी 2019 में कुपोषण का दर 16.80% था, अब इसमें 3.49% की कमी आई है। इसे और कम करने पर बैठक में कलेक्टर ने जोर दिया है। साथ ही उन्होंने गंभीर कुपोषित बच्चों की प्रतीक्षा सूची रोस्टर बनाकर प्रमाणित करने के निर्देश दिए। 

ज़िले के आंगनबाड़ियों में बच्चों, गर्भवती, शिशुवती माताओं इत्यादि को दिए जाने वाले पूरक पोषण आहार और गरम पका भोजन की गुणवत्ता के साथ किसी तरह का समझौता बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। कलेक्टर ने आज दोपहर 12 बजे से महिला एवं बाल विकास विभाग की योजनाओं की समीक्षा बैठक लेते हुए इस संबंध में सख्त निर्देश विभागीय अमले को दिए।उन्होंने विभागीय पोर्टल में हितग्राहियों की एंट्री भी सही तरीके से करने के निर्देश दिए। इस दौरान पोषण ट्रैकर एप में एंट्री की जानकारी भी कलेक्टर ने ली।

विभागीय योजनाओं की जानकारी देते हुए ज़िला कार्यक्रम अधिकारी महिला एवं बाल विकास एम.डी.नायक ने बताया कि पूरक पोषण आहार से 92.75% हितग्राही लाभांवित हो रहे है। वहीं महतारी जतन योजना से 7236 में से 68.93% गर्भवती महिलाओं को गरम पका भोजन और 96% को रेडी-टू-ईट से लाभान्वित किया गया है।  मगरलोड क्षेत्र में गरम पका भोजन के हितग्राहियों के कम आंकड़े को देखते हुए कलेक्टर ने इसे बढ़ाने पर विशेष बल दिया। बैठक में समीक्षा के दौरान कलेक्टर ने सभी पर्यवेक्षक को सुनिश्चित करने कहा कि निर्माण एजेंसी द्वारा बनाए गए नए भवन का सभी काम ठीक तरीके किया गया है। उन्होंने कहा कि भवन के परिसर और आस-पास कहीं मुरूम, मलबा पड़ा हुआ  है, खिड़की दरवाजे सही तरीके से लगे हैं, यह सब  सुनिश्चित करने के बाद ही हस्तांतरण लें, ताकि बाद में दिक्कत ना हो।

बताया गया है कि ज़िले में 1106 स्वीकृत आंगनबाड़ी में से 1102 संचालित है। इनमें स्वयं के भवन में 1006 आंगनबाड़ियां संचालित है। कलेक्टर ने निर्देशित किया कि ग्रामीण क्षेत्र के 951 आंगनबाड़ियों में से ऐसे आंगनबाड़ी केन्द्र, जिसमें रनिंग वाटर सप्लाई नहीं है, पर्यवेक्षक स्वयं सत्यापित कर वस्तुस्थिति की जानकारी सोमवार तक उपलब्ध कराएं, जिससे वहां भी रनिंग वाटर सप्लाई की व्यवस्था सुनिश्चित की जा सके। समीक्षा के दौरान प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना से शत प्रतिशत महिला हितग्राहियों को लाभान्वित करने कलेक्टर ने जोर दिया। उन्होंने नोनी सुरक्षा, मुख्यमंत्री बाल संदर्भ, महिला जागृति शिविर, छत्तीसगढ़ महिला कोष, सक्षम योजना, मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना के लक्ष्य और उपलब्धियों की समीक्षा करते हुए दिए गए लक्ष्य को पूरा करने के निर्देश बैठक में दिए।


इसके पहले जिला बाल संरक्षण और सखी वन स्टॉप सेंटर की बैठक भी कलेक्टर ने ली। बैठक के दौरान प्रधानमंत्री केयर फंड में कोविड 19 की वजह से अनाथ हुए ऐसे दस बच्चों से कलेक्टर ने मुलाकात की, जिनकी पोर्टल में एंट्री की गई है। आज इन बच्चों का कलेक्टर के साथ संयुक्त खाता भी पोस्ट ऑफिस में खोला गया। ज्ञात हो जब ये बच्चे 18 साल की आयु में पहुंचेंगे, इनके खाते में योजना के तहत दस लाख रुपए की राशि आएगी। इसी तरह ज़िले के बाल गृह में नियमित रूप से स्वास्थ्य परीक्षण करने चिकित्सक अथवा चिरायु दल को अनिवार्य रूप से भेजने के निर्देश कलेक्टर ने मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को दिए। 

सखी वन स्टॉप सेंटर की समीक्षा के दौरान बताया गया कि अप्रैल 2017 से अक्टूबर 2021 तक 1048 प्रकरण में से 927 का निराकरण कर लिया गया है। इसमें दैहिक शोषण, महिला तस्करी, टोनही प्रताड़ना, अपहरण इत्यादि के प्रकरण शामिल हैं। इस साल कुल 129 प्रकरण आए इनमें से 54 का निराकरण किया गया है। कलेक्टर ने शेष प्रकरण का भी सही तरीके से जल्द निराकरण के निर्देश दिए। इसके अलावा सभी कार्यालय जहां अधिकारी, कर्मचारियों की संख्या दस या उससे अधिक है, वहां अनिवार्य रूप से महिलाओं के कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीड़न के निवारण के लिए आंतरिक परिवाद समिति का गठन करने के निर्देश कलेक्टर ने दिए। इस दौरान ज़िला शिक्षा अधिकारी श्रीमती रजनी नेल्सन , पुलिस सहित अन्य विभागीय अधिकारी और महिला और बाल विकास विभाग के परियोजना अधिकारी और पर्यवेक्षक मौजूद रहे ।

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