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नशे के जाल में डूब रहे समाज के युवा बुद्धिजीवी स्वयं सभा आयोजित कर नशे को देंगे बढ़ावा


मोदरान(जालोर)। राजपुरोहित समाज के आराध्य संत श्री ध्यानाराम महाराज ने 3 वर्ष पूर्व अफीम रूपी कुप्रथा पर प्रतिबंध लगाने के लिए किए थे प्रयास किये गये थे लेकिन उस में शत् प्रतिशत प्रयास सफल होने के बावजूद अब प्रवासी बन्धुओं के साथ युवा नशे चुंगल में जा रहा है।

सुत्रो से मिली जानकारी के अनुसार एक समय था जब गावों में शादी या किसी की मौत पर अफीम की मनुहार होती थी, जो आज भी बदस्तूर जारी है, इस मनुहार को देखते-देखते कई गावों के युवाओं में इसके सेवन प्रति आकर्षण बढने लगा, लेकिन राजपुरोहित समाज मे समाज के आराध्य संत श्री ध्यानाराम महाराज के प्रयासों से आज स्थिति यह हैं कि शादी और मौत के मौको पर तो अफीम की मनुहार ना के बराबर हैं, पर दूसरे आयोजन पर अब अफीम का सेवन तेजी से बढता जा रहा है, पिछले कुछ समय से युवाओं मे बढे़ नशे को लेकर अब तस्कर भी सकिय हो चुके है। 

ऐसे में युवाओं को ना केवल आर्थिक नुकसान हो रहा हैं बल्कि शारीरिक व मानसिक नुकसान भी उठाना पड़ रहा है ओर वहीं प्रवास (देशावर) में लोकल तस्कर अफीम में कई प्रकार के केमिकल व दवाईयां मिलाकर भारी, भावों में बेचते है, जिससे आर्थिक नुकसान तो होता ही है साथ साथ शरीर में भी कई प्रकार की बिमारियों पैदा होती हैं जिससे व्यक्ति कम उम्र में ही अपनी जिंदगी से हाथ धो बैठता है या फिर मानसिक बिमारी से ग्रसित हो जाता हैं।

युवाओं का भविष्य खतरे में
 युवाओं का कहना है, समाज के संतों के प्रयासों से गावों में अब अफीम की मुनहार ना के बराबर चल रही हैं लेकिन अब प्रवास (देशावर) में हर तरह के आयोजन में अफ़ीम की प्रवृत्ति बढ़ चढकर चल रही है यह एक कुरीति हैं। जो बंद होना आवश्यक हैं।  कई युवा अफीम के आदि  होने लगे हैं ।

जनप्रतिनिधि भी है मौन

 जनप्रतिनिधि को जनता वोट देकर विधानसभा और संसद में भेजती हैं उनका फर्ज होता है जनता के हितों की रक्षा करना और उनके क्षेत्र का हर एक व्यक्ति खुश रहे उसके लिए प्रयास करना लेकिन कई जगह आजकल नेता कार्यक्रम में शिरकत करने जाते हैं और वही उनकी उपस्थिति में भी अफीम का प्रयोग खुलेआम होता है फिर भी नेता अपना वोट बैंक बचाने के खातिर अपने मुंह से जबान भी नहीं खोलते हैं जब जनप्रतिनिधि ही मौन रहेंगे तो किससे उम्मीद रखें जिससे इस पर अंकुश लगे ।

राजपुरोहित समाज की राजधानी आसोतरा से भी अफीम रूपी कुप्रथा पर अंकुश लगाने के लिए किए थे प्रयास
 3 वर्ष पूर्व शिवरात्रि के अवसर पर ब्रह्मधाम आसोतरा में गादीपति श्री तुलसाराम महाराज के आशीर्वाद से अखिल भारतीय राजपुरोहित समाज का एक महासम्मेलन बुलाया गया था जिसमें श्री तुलसाराम महाराज के शिष्य वेदांताचार्य ध्यानाराम महाराज ने संपूर्ण राजपुरोहित समाज से अपील की थी अफीम की प्रथा का त्याग करने की उसके बाद राजपुरोहित समाज में अफीम प्रथा का उपयोग बिल्कुल ही बंद हो गया है लेकिन कुछ असामाजिक तत्व जिन्हें अपने पैसो का घमंड है वह लोग अलग से छोटी सभा करके अफ़ीम उपयोग कर रहे हैं साथ सोशल मीडिया पर फोटो भी वायरल करते हैं तो समाज में एक चिंता का विषय है और जिन समाज बंधुओं ने  आसोतरा ब्रह्मधाम तीर्थ के नियमों का उल्लंघन किया है उसके घर पर कोई न कोई अनहोनी जरूर हुई है फिर भी राजपुरोहित समाज द्वारा 3 वर्ष पूर्व किया गया प्रयास बिल्कुल ही सफल रहा धीरे-धीरे परिवर्तन हो रहा है, राजपुरोहित समाज व जनप्रतिनिधियों को बड़े युद्ध स्तर पर इन लोगों के खिलाफ अभियान चलाकर कड़ी कार्रवाई करने की आवश्यकता है।


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