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*कालीदेह पर खेलन आयौ री, मेरौ बारौ सौ कन्हैया*

गोवर्धन - दसविसा ब्राह्मणान में आयोजित सुप्रसिद्ध नागनाथन लीला का रोमांचकारी मंचन मानसी गंगा में बड़े धूमधाम से किया गया। जैसे ही भगवान श्रीकृष्ण कालिया नाग के फन पर नृत्य करते हुए प्रकट हुए तो श्रद्धालुओं के बीच जय श्रीकृष्ण, गिरिराज धरण की जय के जयकारों की गूंज से वातावरण गुंजायमान हो उठा। श्री कृष्णलीला का मानसी गंगा में मंचन बड़ी भव्यता और दिव्यता से किया गया। ऋषि नारद कंस को बताते है कि गांव गोकुल के पास कालिया नाग कालीदह नदी में रहता है। जिसमें नीलकमल के फूल खिले हुए है। भगवान शिव की पूजा के लिए नीलकमल के फूल कृष्ण के हाथों मंगवाया जावे, तभी कालिया नाग उनका वध कर देगा। उधर भगवान श्रीकृष्ण अपनी लीला के दौरान अपने सखाओं के साथ यमुनातट के कालीदह के पास गेंद खेलते हुए पहुंच जाते है। लीला के अनुरूप कान्हा गेंद को नदी के पानी में फैंक देते हैं। उनके सखा श्रीदामा भगवान कृष्ण से गेंद लाने के जिद करते है। तभी कृष्ण नदी के पानी में कूद जाते है। जहां सुंदर नीलकमल खिले होते है। कृष्ण नदी के पानी से काफी देर तक बाहर नही निकलते है तो गोकुलवासी नदी तट पर एकत्र होकर चिंतित हो उठते है। कुछ ही देर में भगवान कालिया नाग के फनों को नाथकर उस पर खड़े हो वंशी बजाते हुए व नृत्य करते हुए बाहर आ जाते है। उनके इस रूप को देखकर गोकुलवासी खुशी से गदगद हो उठते है। गोकुलेश श्रीकृष्ण की जय-जयकार करने लगते है। गोकुलनन्दन नाग के फन पर नृत्य करते हुए घाट पर पहुंचे, जहां रिसीवर उमाकान्त चतुर्वेदी व के सी गौड़ के साथ समस्त दसविसा ब्राह्मणांन अपने प्रभु श्रीकृष्ण की माला पहनाकर, आरती उतार, प्रसाद आरोग्य कर चरणवंदना करते हैं। नटवरनागर के आते ही सभी भक्तजन भाव विभोर हो अपने आराध्य का दर्शनपान करते हैं। प्रतिवर्ष मानसी गंगा में नागनाथन लीला का मंचन करना आसान कार्य नहीं होता, स्थानीय अनिल पाठक, रामभरोसी शर्मा, दीपक कोलेवरा व स्थानीय बच्चे मिलकर मानसी गंगा की जलधारा में अपने बुद्धि विवेक से मंच का निर्माण करते हैं और हर प्रकार की सावधानी बरतते हैं जिससे कोई अप्रिय घटना घटित न हो, वहीं कृष्ण स्वरूप में स्थानीय द्वारका शर्मा का मंचन अदभुत और सराहनीय रहा। कालीदेह लीला के मंचन की रिसीवर उमाकांत चतुर्वेदी व के सी गौड़ के साथ समस्त भक्तजनों ने भूरी भूरी प्रशंशा की। रिसीवर महोदय ने बताया कि यहां पहली बार नागनाथन लीला का मंचन देखा है जोकि अद्भुत और सराहनीय है। आगामी ऐसे सामाजिक कार्यों में दसविसा ब्राह्मणान के समस्त सेवायतों से हर्ष और उल्लास के साथ सहभागिता की उपेक्षा की। रिसीवर उमाकान्त चतुर्वेदी, के सी गौर के साथ प्रबंधक चंद्रविनोद कौशिक व दसविसा ब्राह्मणांन से सभी सेवायत रामभरोसी पाठक, राधारमण शर्मा, गणेश पाठक, भोला गोकुलिया, बिहारी चकाचक, मुरारी मासाहब, संजू शास्त्री, गोविन्द नारायण शर्मा, मनोज पाठक, देवेन्द्र शर्मा, श्रीधर पाठक, सुनील पाठक, अजय लवानिया, देवेन्द्र शर्मा (शुभम पोशाक भण्डार), श्याम मासाहब, नेहरू, डॉ अश्वनी शर्मा, सुनील शर्मा, पूरन शर्मा सहित हजारों भक्तजनों ने अपने आराध्य के दर्शन लाभ लिए।

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