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शरद पूर्णिमा और महर्षि वाल्मीकि की जयंती पर सभी देशवासियों को हार्दिक शुभकामनाएं।

शरद पूर्णिमा और महर्षि वाल्मीकि की जयंती पर सभी देशवासियों को हार्दिक शुभकामनाएं। महर्षि वाल्मीकि  को ही रामायण की रचना कर संसार के समक्ष लाने का और उसे लिपिबद्ध करने का सम्पूर्ण श्रय जाता है।

महर्षि वाल्मीकि जी को वरुणदेव का पुत्र बताया गया है। वेदों में वरुणदेव को ही प्रचेता भी कहा गया है और इसी कारण महर्षि वाल्मीकि जी का एक नाम प्रचेतस भी प्रसिद्ध हुआ है। आपकी माताश्री का नाम चर्षणी था। आपका गोत्र महर्षि भृगु से है जो सूर्यदेव के पुत्र हैं, ऐसा ज्ञात होता है, हालांकि कुछ जगह पर इन्हें भृगु जी का छोटा भाई भी बताया गया है। महर्षि भृगु जी के कहने पर एक बार महर्षि वाल्मीकि  ने इतनी भीषण तपस्या कि जिसके चलते इनके शरीर पर दीमकों ने भी अपनी बाम्बी बना ली इनकी ध्यान अवस्था तपस के समय में। जब इनकी तपस्या पूर्ण हुई तो वे उन्ही बांबियों को तोड़ कर बाहर आये। दीमक की बाम्बी को संस्कृत में वाल्मीक कहा जाता है और तब से आपका नाम वाल्मीकि प्रसिद् हुआ! !

पुनः सभी देशवासियों को शरद पूर्णिमा और महर्षि वाल्मीकि जयंती की शुभकामनाएं।

निवेदकः-कुलदीपसिंहँ पुण्डीर जिलाउपाध्यक्ष लक्ष्मी नारायण मीडिया प्रभारी अनिलधारिया मंडल अध्यक्ष भारतीय मानवाधिकार सुरक्षा संगठन

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