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16 वें स्थापना दिवस व त्रिदिवसीय अधिवेशन में पत्रकारों ने आगे बढने का संकल्प लिया

अलीगढ(उप्र)।  अखिल भारतीय जैन पत्र संपादक संघ का 16 वां स्थापना दिवस एवं त्रिदिवसीय राष्ट्रीय अधिवेशन का शुभारंभ 2 अक्टूबर को प्रातः 9:00 बजे एमडी जैन इंटर कॉलेज आगरा के सभागृह में शैलेन्द्र जैन एडवोकेट अलीगढ़ की अध्यक्षता तथा प्रसिद्ध उद्योगपति प्रदीप जैन पीएनसी के मुख्य आतिथ्य में हुआ।

समारोह के विशिष्ट अतिथि  मनोज जैन बाकलीवाल, राकेश जैन  तथा अशोक जैन पूर्व डिप्टी मेयर थे। सम्माननीय अतिथियों द्वारा भगवान महावीर के चित्र का अनावरण करते हुए दीप प्रज्वलन कर सत्र का उद्घाटन किया ।

इंदौर से पधारे पंडित अशोक शास्त्री ने मंगलाचरण किया तथा उद्योगपति श्री जगदीश प्रसाद जैन ने स्वागताध्यक्ष के रूप में अपना स्वागत भाषण प्रस्तुत कर सभी अतिथियों का स्वागत किया।

संपादक संघ के महामंत्री डा.अखिल जैन 'बंसल' ने संगठन का परिचय दिया। परम संरक्षक श्री प्रदीप जैन पीएनसी ने अपने उद्बोधन में कहा कि मैं इस संगठन की गतिविधियों को अनेक वर्षों से देखता आ रहा हूं ।

इस संगठन में सभी की भावना सामाजिक एकता व सद्भावना की रही है तभी इस संगठन में अलग-अलग मान्यताओं को मानने वाले गुलदस्ते की भांति एक साथ मिलकर रहते हैं । उन्होंने कहा जो समाज आपस में बटा रहेगा वह कभी तरक्की नहीं कर सकता । वर्तमान समय में हम कठिनाई के दौर से गुजर रहे हैं तथा एक दूसरे से दूर होते जा रहे हैं । संगठन की मजबूती के लिए हमें समय-समय पर सामाजिक कार्यक्रम करते रहना होगा तथा सभी को साथ लेकर चलने की वृत्ति अपनाना होगी । संगठन के अध्यक्ष श्री शैलेन्द्र जैन ने कहा कि आज हम सभी यहां अखिल भारतीय जैन पत्र संपादक संघ का 16 वां स्थापना दिवस मना रहे हैं।

कोरोना काल के पहले हम प्रतिवर्ष अपने कार्यक्रमों के माध्यम से सभी साथियों को जोड़े रखने का उपक्रम करते आ रहे हैं तभी आज हम इस मुकाम पर पहुंचे हैं । आपने बताया कि अधिवेशन के साथ हम सब निकटवर्ती तीर्थों की वंदना भी कर सकेंगे ऐसी व्यवस्था की गई है, साथ ही अनेक जैन संतों के दर्शन लाभ का अवसर भी आपको प्राप्त होगा।. वरिष्ठ समाजसेवी श्री मनोज बाकलीवाल ने अपनी बात रखते हुए कहा कि महान नेता वह होता है जो ज्ञान की मशाल लेकर समाज को जागरूक करता रहता है तथा उन्हें विकास के पथ पर ले जाते हुए प्रगति में सहायक होता है। डॉ अखिल बंसल ने सभी आगन्तुकों के साथ आवास,भोजन व स्वल्पाहार की उत्तम व्यवस्था के लिए श्री प्रदीप जी ,जगदीश जी और मनोज जी का आभार व्यक्त किया।समिति की ओर से आगन्तुकों को मुनिश्री प्रणम्य सागर जी का आकर्षक चित्र भेंट किया। कार्यक्रम के पूर्व रात्रि में सभी पदाधिकारियों ने सेक्टर 7 में विराजमान पूज्य मुनि श्री प्रणम्य सागर जी से आशीर्वाद ग्रहण किया तथा प्रातः देव दर्शन - पूजन में सहभागी बने । प्रस्थान करने से पूर्व आचार्य श्री मेरूभूषण जी का आशीर्वाद ग्रहण किया तथा ब्रह्मचारी सुनील भैया जी से मुलाकात की तथा उन्हें आगरा जेल में पू.आ.श्री विद्या सागर जी की प्रेरणा से स्थापित होने वाले हथकरघा केन्द्र के उद्घाटन हेतु शुभकामनाएं दीं । स्वल्पाहार के पश्चात् सभी ने ताजगंज प्रस्थान किया। आगरा के ताज गंज स्थित भगवान पारसनाथ जैन मंदिर के दर्शन कर सभी धन्य हो गए इस मंदिर जी में भगवान पारसनाथ की 12 00 वर्ष पुरानी कसोटी पत्थर से निर्मित मनमोहक प्रतिमा विराजमान है ।यहां यह भी स्मरणीय है कि ताजगंज स्थित यह प्राचीन मंदिर कविवर बनारसी दास जी की साधना स्थली रही है उन्होंने अपने जीवन का बहुभाग यहां बिताया और समयसार नाटक, अर्ध कथानक ,बनारसी विलास आदि अनेक ग्रंथों की रचना की । पाण्डे रूपचंद,चतुर्भुज, भगवतीदास,कुंवर पाल और धर्मदास के मिलने से विचारों में परिवर्तन आया और यहीं से अध्यात्म शैली को संगठित रूप मिला। ब्रह्मचारी रायमल जी,पं.भूधरदास,पं. द्यानत राय जी,पं.खेमचंद जी तथा पं.चन्द्रभान जी जैसे तलस्पर्शी विद्वानों का संसर्ग और तेरापंथ शैली का उदय इसी स्थली से हुआ। सभी ने मंदिर जी में विराजमान दुर्लभ हस्तलिखित ग्रंथों का अवलोकन कर तीर्थवंदना को सार्थक किया। मंदिर जी के हाल में पं.बनारसीदास जी का सम्पूर्ण जीवन चरित्र दीवारों पर कांच से निर्मित है जो दृष्टव्य है। यहां की कार्यसमिति के पदाधिकारियों ने सभी का उचित सम्मान किया तथा सुस्वादु भोजन कराकर विदा किया। यहां से हम सभी ने शौरीपुर बटेश्वर के लिए प्रस्थान किया। आगरा से 70 कि.मी. की दूरी पर शौरीपुर स्थित है जो यमुना के तट पर एक विशाल नगरी थी; जिसे महाराजा शूरसेन ने बसाया था। उनकी पीढी में समुद्र विजय और वसुदेव आदि 10 भाई हुए। समुद्रविजय के पुत्र नेमिकुमार थे जो जैनधर्म के 22 वें तीर्थंकर हुए। कृष्ण वसुदेव के पुत्र थे।भ.नेमिनाथ की गर्भ व जन्मकल्याणक भूमि होने से हम सबको पूज्य है। यहां स्थित प्राचीन प्रतिमाओं के दर्शन करने के उपरांत आचार्य चैत्य सागर जी महाराज का आशीर्वाद प्राप्त किया। यहां टाइम्स आफ इण्डिया के श्री पुनीत जैन व श्री स्वराज जैन हमारे आमंत्रण पर पधारे । श्री पुनीत जी ने सभी पत्रकारों को अपने कर्तव्य का निर्वहन करते हुए कसौटी पर खरा उतरने का आव्हान किया। दोनों महानुभावों का आभार मानते हुए यात्रा संघ ने वहां से प्रस्थान किया । करहल पहुंचकर विशाल जैन मंदिर और वहां की प्रतिमाओं के दर्शन कर अपना अहो भाग्य माना। यहां विराजित मुनि श्री विहसन्त सागर जी का मंगल उद्बोधन सुनकर सभी गद्-गद् हो गये। डा.अखिल बंसल ने उपस्थित जन समुदाय को संपादक संघ की गतिविधियों से अवगत कराया। श्री शरद जैन चैनल महालक्ष्मी,श्री अनूपचंद एडवोकेट, डा.अनेकांत जैन, डा.राजीव प्रचण्डिया तथा डा.अल्पना जैन आदि ने भी अपनी बात रखी। संगठन के कार्याध्यक्ष डा.सुरेन्द्र भारती ने सभा का कुशल संचालन किया। सभी का स्वागत सत्कार हुआ पश्चात मुनि श्री का आशीर्वाद लेकर हम सबने इटावा के लिए प्रस्थान किया । इटावा के कुन्हेरा में स्थित अहिंसा नवग्रह तीर्थ पर नवनिर्मित भवन में रात्रि विश्राम हुआ । 3 अक्टूबर की प्रातः जिनेन्द्र भगवान की पूजा अर्चना के साथ पूज्य आचार्य श्री प्रमुख सागर जी ससंघ के मगल सानिध्य में प्रातः काल अधिवेशन का तृतीय सत्र आयोजित हुआ । इस सत्र का संचालन कार्याध्यक्ष डा.सुरेन्द्र भारती ने किया। स्वागत- सत्कार के पश्चात वर्तमान समय में जैन मीडिया की भूमिका पर चर्चा हुई । सत्र के मुख्य अतिथि श्री स्वदेश भूषण जी,दिल्ली कार्याध्यक्ष पंजाब केसरी थे। दोपहर में चतुर्थ सत्र श्री प्रदीप जैन पीएनसी के मुख्य आतिथ्य में सम्पन्न हुआ।

मंगलाचरण के पश्चात जैन समाज की 9 प्रतिभाओं को पं.नाथूराम प्रेमी पत्रकारिता पुरस्कार-21 से सम्मानित किया गया। इन्हें यह सम्मान संघ के संरक्षक प्रदीप जैन पीएनसी,अध्यक्ष शैलेन्द्र जैन एडवोकेट, महामंत्री डा.अखिल जैन " बंसल" , श्री स्वदेश भूषण जैन तथा स्वागताध्यक्ष जगदीश प्रसाद जैन ने प्रदान किये।

जिन प्रतिभावान संपादकों को पुरस्कृत किया वे इस प्रकार हैं- डा.सुरेन्द्र भारती-बुरहानपुर को उनके द्वारा संपादित मासिक पत्र पार्श्वज्योति को सुंदर साज- सज्जा के साथ नियमित मासिक प्रकाशन हेतु,श्री अनूपचंद एडवोकेट, फिरोजाबाद को जैन संदेश पाक्षिक के प्रकाशन व लेखन हेतु, डा.अनेकांत जैन-दिल्ली को प्राकृत भाषा के क्षेत्र में पागद भाषा पत्र के संपादन व लेखन हेतु,डा.राजीव प्रचण्डिया को जय कल्याण श्री के मासिक प्रकाशन हेतु,श्री अनुराग जैन-अजमेर को अजमेर टुडे के नियमित प्रकाशन व संपादन हेतु, श्री शांतिनाथ होतपेटे -हुबली को कन्नड़ भाषा में जिनेन्द्र वाणी के प्रकाशन व संपादन हेतु, श्रीमती पारुल जैन-दिल्ली को, सोश्यल मीडिया में फैक न्यूज पर वर्क करने हेतु,डा.अल्पना जैन,मालेगांव को लेखन तथा डा.मीना जैन -उदयपुर को उनके शोधकार्य हेतु यह पुरस्कार प्रदान किये गये हैं। पूज्य आचार्य श्री प्रमुखसागर जी ने सभी को अपना आशीर्वाद प्रदान करते हुए लेखनी को सशक्त बनाने की कामना की। आपने आपसी मतभेद भुलाकर जैन एकता पर बल दिया और सभी को संगठित होकर समाज में व्याप्त विसंगति के निरसन करने का आव्हान किया। इस अवसर पर मीडिया के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य हेतु सोश्यल मीडिया फाउंडेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री किशोर भाई भण्डारी, पुणे ने डा.अखिल बंसल का शाल,श्रीफल तथा चांदी के सिक्के से सम्मान किया। उपस्थित जन समूह ने करतल ध्वनि से सभी का हर्ष व्यक्त करते हुए स्वागत किया। तत्पश्चात डॉ.अखिल बंसल , डा. मीना जैन, डा.सुरेन्द्र भारती,डा.रमेशचंद जैन,श्री अनूप शर्मा,तथा श्री राजेन्द्र सिंह की नवीनतम कृतियों के विमोचन पू.आ.श्री प्रमुखसागर जी के ससंघ सान्निध्य में श्री प्रदीप जैन पीएनसी,श्री स्वदेश भूषण जैन पंजाब केसरी,श्री अनूपचंद एडवोकेट ,श्री शैलेन्द्र जैन, तथा श्री जगदीश प्रसाद जैन आगरा द्वारा किया गया। जैन प्रतिनिधि महासंघ के अध्यक्ष पद का भार श्री प्रदीप जैन पीएनसी को सोंपा गया। स्वागत सम्मान कर कार्यक्रम आगे बढाते हुए जैन प्रतिनिधि महासंघ की कार्यकारिणी की घोषणा की और भविष्य की रूपरेखा को तैयार कर महत्वपूर्ण बैठक का आयोजन निकट भविष्य में पू.आ.श्री प्रमुख सागर जी के सान्निध्य में रखना तय किया गया। जैन एकता क्यों और कैसे विषय का प्रतिपादन वक्ताओं द्वारा किया गया। सत्र का संचालन डा.अल्पना जैन व आभार व्यक्त मयंक जैन ने किया । रात्रि कालीन सत्र में जैन एकता व जैन मीडिया को फोकस करते हुए वक्ताओं ने अपनी बात रखी । अंत में अहिंसा चैनल के त्रिलोक जैन द्वारा श्री शैलेन्द्र जैन व डा.अखिल बंसल को प्रशस्ति पत्र भेंट करते हुए दोनों को अहिंसा रत्न की उपाधि से विभूषित किया । अध्यक्षता शैलेन्द्र जैन ने की व संचालन डा.अखिल बंसल ने किया। कुन्हेरा जैन समाज के अध्यक्ष संजू जैन ने सभी का आभार व्यक्त किया। संगोष्ठी का समापन फिरोजावाद में विराजमान पू. आचार्य श्री विवेक सागर जी महाराज के सानिध्य में सम्पन्न हुआ। यहां भी सभी पत्रकारों का शाल ,माला व पट्टिका पहनाकर सम्मान किया गया। भोजन के पश्चात् निकटवर्ती तीर्थ मरसल गंज,राजमल तथा पचोखरा आदि के दर्शन का लाभ सभी को प्राप्त हुआ । इन तीनों स्थानों पर वहां की कार्यसमिति ने सभी का भाव भीना सम्मान किया । अंत में सभी का आभार प्रदर्शन अखिल भारतीय जैन पत्र संपादक संघ के महामंत्री डॉ अखिल जैन बंसल ने व्यक्त किया और शीघ्र आगामी कार्यक्रम में पुनः मिलने का संकल्प जताया । स्मरणीय है कि अधिवेशन में दिल्ली, उ.प्र.,म.प्र.,राजस्थान, महाराष्ट्र, कर्नाटक तथा प.बंगाल इन 7 राज्यों से 46 प्रतिनिधि सम्मिलित हुए। तीन नये सदस्यों ने भी सदस्यता ग्रहण की।

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