पलामू प्रशासन को दी चुनौती सड़क को करें दुरुस्त अन्यथा अपने निजी र्खच से करूंगा मरम्मत : दीपक
पलामू। मेदिनीनगर को रांची राजधानी से जोड़ने वाली मुख्य सड़क NH-75 की हालत जर्जर हो चुकी है। इस सड़क पर बड़े-बड़े गड्ढे हो गए है। इस कारण आए दिन लगातार दुर्घटनाएं हो रही है। अगर हम शहर के सबसे अधिक खराब रोड़ की बात करे तो रेडमा चौक से लेकर चियांकी हवाई अड्डा तक की रोड काफी बद से बदतर हो गई है।
इस रोड में हर जगह गड्ढे नजर आते हैं। इस रोड़ में सबसे ज्यादा खराब स्थिति रांची रोड स्थित राष्ट्रीय नवीन मेल से लेकर पंकज धर्म कांटा तक की है, इस रोड़ में 2 से 3 फीट तक के गड्ढे बन गए हैं।
वही इस रोड की हालत इतनी बदतर हो गई है कि स्थानीय लोगों का जीना मुहाल हो गया है। अगर हम शहर क्षेत्र के अन्य सड़कों की बात करें तो दो नंबर टाउन स्थित रेलवे ओवर ब्रिज, बैरिया चौक, विस्फुटा रेलवे ओवर ब्रिज, सुदना शंभू गेट ग्रील, कचहरी चौक सहित शहर के अन्य क्षेत्रों के रोड़ की हालत भी काफी ही जर्जर है।
हालाकि इसे लेकर कईबार प्रशासन बैठक कर चुकी है पर अभी तक समस्या का समाधान नही हो सका। 2-नम्बर टाउन रोड़ रेलवे ब्रिज स्थित रोड वही दूसरी ओर परिसदन भवन में सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय भारत सरकार की राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा परिषद के सदस्य रविन्द्र तिवारी से शुक्रवार को मुलाकात कर युवा चेहरे दीपक तिवारी ने उच्च पथ समेत मुख्य पथों की दयनीय हालत पर चिंता जाहिर की।
उन्होंने ज्ञापन सौंपते हुए रांची-मेदिनीनगर मुख्यपथ रेड़मा, बैरिया, बिसफुटा, दो नंबर टाउन में दुर्घटना को आमंत्रण ही नहीं बल्कि जान माल का नुकसान कर रहे गड्ढों को जल्द भरवाने का अल्टीमेटम दिया है। जिसकी प्रतिलिपि पलामू उपायुक्त एवं एनएचएआई परियोजना निदेशक मेदिनीनगर को भेजने की बात कही। मीडिया से बातचीत में दीपक तिवारी ने बताया कि जहां सड़कें टूटी है, उन रास्तों से जनप्रतिनिधियों, प्रशासनिक पदाधिकारियों का हर दिन आना जाना होता है। मगर मृत हो चुकी जनता के रहनुमा कहाने वाले जनप्रतिनिधि एवं सुस्त पड़ी प्रशासनिक अधिकारियों की आंखों पर जनता की तकलीफ ना तो दिखाई पड़ रही है ना ही त्राहि-त्राहि करती जनता की चीख सुनाई पड़ रही है। दीपक ने बताया कि जनता की उम्मीद बनी है, जिन्होंने बदतर सड़क से अवगत कराया है। पलामू मुख्यालय से लेकर राजधानी जाने वाली सीमा तक निर्माण के रास्ते खुल रहे हैं इसका मतलब यह कतई नहीं कि गड्ढों को जान लेने के लिए छोड़ दिया जाए। साथ ही चेतावनी देते हुए उन्होंने कहा कि जल्द गड्ढों को प्रशासन नहीं भरवाती है तो फिर वो अपने नीजी खर्च से सड़क को चलने लायक उपयोगी बनाएंगे।