logo

जितेन्द्र जायसवाल नागदा जिला उज्जैन मध्य प्रदेश नागदा में औद्योगिक गतिविधियों और भूमि उपयोग पर उठे गंभीर सवाल;

नागदा में औद्योगिक गतिविधियों और भूमि उपयोग पर उठे गंभीर सवाल; भवन अनुमति बिना प्रदूषण लाइसेंस संभव नहीं, जिला बनने पर अवैध उद्योगों पर लग सकती है रोक

नागदा। नगर में औद्योगिक गतिविधियों, भूमि उपयोग, और अनुमति प्रक्रियाओं को लेकर नागरिकों की चिंताएँ लगातार बढ़ रही हैं। कई बड़े उद्योग वर्षों से “P.O. बिरला ग्राम, नागदा” के पते से अपना पत्राचार करते हैं, जिससे आम लोगों के बीच यह भ्रम उत्पन्न होता है कि इतने बड़े उद्योग सीधे उसी पोस्ट ऑफिस के क्षेत्र में संचालित होते हैं। डाक विभाग के अधिकारियों के अनुसार यह केवल पोस्टल डिलीवरी क्षेत्र का नाम है और उद्योग अपने भौगोलिक स्थान से अलग डाकघर का पता कानूनी रूप से उपयोग कर सकते हैं।
समाजिक कार्यकर्ता अभय चौपडा ने बताया

इधर नगर पालिका द्वारा एक केमिकल आधारित इकाई को नोटिस देने के बाद विवाद और गहरा गया है। विशेषज्ञों का स्पष्ट मानना है कि नगर पालिका की भूमिका केवल भवन अनुमति, ड्रेनेज, स्वच्छता और स्थानीय कर तक सीमित होती है। किसी भी केमिकल या प्रदूषणकारी उद्योग की अनुमति देना नगर पालिका का अधिकार नहीं है। ऐसे उद्योगों के लिए MPCB (प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड), पर्यावरण मंत्रालय, टाउन एंड कंट्री प्लानिंग, और जिला प्रशासन की वैध स्वीकृतियाँ अनिवार्य होती हैं।

भवन अनुमति के बिना प्रदूषण बोर्ड लाइसेंस नहीं

कानून के अनुसार—
Water Act 1974, Air Act 1981, और Environment Protection Act 1986 के तहत प्रदूषण बोर्ड द्वारा लाइसेंस तभी दिया जा सकता है जब: भूमि का उपयोग औद्योगिक हो, भवन अनुमति (Building Permission) वैध हो, सर्वे नंबर और सीमाएँ स्पष्ट हों, भूमि रूपांतरण पूरा हो, पर्यावरणीय अनुमति (EC) उपलब्ध हो।

विशेषज्ञों का कहना है कि “बिना भवन अनुमति किसी भी उद्योग का चालू हो जाना अवैध माना जाता है, और बिना वैध निर्माण अनुमोदन के MPCB द्वारा ‘Consent to Establish’ या ‘Consent to Operate’ जारी नहीं किया जा सकता।”

निजी बड़ी भूमि पर भारी उद्योग—नियम स्पष्ट
नागदा क्षेत्र के आसपास बड़ी निजी संस्थाओं की विशाल भूमि पर गतिविधियों को लेकर भी स्थानीय स्तर पर सवाल उठ रहे हैं। सामाजिक संगठनों का कहना है कि इतनी बड़ी भूमि पर औद्योगिक गतिविधियाँ तभी वैध मानी जा सकती हैं जब: भूमि का उपयोग औद्योगिक घोषित हो, मास्टर प्लान/भूमि रूपांतरण अनुमत हो, पर्यावरणीय स्वीकृति पूरी हो। इन प्रक्रियाओं के बिना कोई भी भारी या प्रदूषणकारी उद्योग वैध नहीं माना जा सकता।

जिला बनने पर अवैध उद्योगों पर स्वतः रोक संभव-
नागदा में लंबे समय से जिला बनाने की मांग उठती रही है। जानकारों का कहना है कि यदि नागदा जिला बन जाता है, तो प्रशासनिक ढांचा इतना मजबूत हो जाएगा कि—प्रदूषण बोर्ड की क्षेत्रीय शाखा,
कलेक्टर कार्यालय की सीधी निगरानी, राजस्व और पर्यावरण निरीक्षण, फैक्ट्री लाइसेंस मॉनिटरिंग के कारण किसी भी बिना अनुमति या अवैध उद्योग का चल पाना लगभग असम्भव हो जाएगा।
स्थानीय नागरिकों का कहना है कि जिला बनने से प्रशासन की निगरानी मज़बूत होगी और बिना भवन अनुमति व बिना पर्यावरणीय स्वीकृति के संचालन की संभावनाएँ स्वतः समाप्त होंगी।

स्थानीय आवाज़ें और पारदर्शिता की माँग
नागदा के नागरिकों का मानना है कि— औद्योगिक विकास जरूरी है, लेकिन वह केवल कानूनी, पारदर्शी और पर्यावरण-अनुरूप होना चाहिए।

स्थानीय संगठनों ने शासन से माँग की है कि नगर में भूमि उपयोग, उद्योगों की अनुमति प्रक्रियाओं, और पर्यावरणीय अनुपालन पर पूर्ण पारदर्शिता सुनिश्चित की जाए।

2
77 views