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शिक्षक या ठेकेदार? बेलिया के प्रधान पाठक 'प्रवीण पटेल' पर लगे गंभीर आरोप; ठेकेदारी से स्थानीय सत्ता पक्ष हाशिए पर


👨‍🏫 शिक्षक या ठेकेदार? बेलिया के प्रधान पाठक 'प्रवीण पटेल' पर लगे गंभीर आरोप; ठेकेदारी से स्थानीय सत्ता पक्ष हाशिए पर
📍 स्थान: बेलिया-सोनहत, 📅 तिथि: दिसंबर 06, 2025
एक ऐसा मामला सामने आया है जो शिक्षा और ठेकेदारी के बीच हितों के टकराव के गंभीर सवाल खड़े करता है।

माध्यमिक विद्यालय बेलिया में प्रधान पाठक के पद पर कार्यरत और जिला सह परियोजना शिक्षा अधिकारी की जिम्मेदारी संभाल रहे प्रवीण पटेल पर आरोप है कि उन्होंने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए स्थानीय निर्माण कार्यों में अप्रत्यक्ष रूप से ठेकेदारी शुरू कर दी है।

बताया जा रहा है कि श्री प्रवीण पटेल की 'ठेकेदारी' की गतिविधियाँ सुंदरपुर और बेलिया ग्रामों में जोरों पर हैं।

* बेलिया: मुख्यमंत्री समग्र विकास योजना के तहत 10 लाख रुपए का पुल निर्माण।

* सुंदरपुर: 15 लाख रुपए का पुल निर्माण कार्य।
स्थानीय सूत्रों के अनुसार, प्रवीण पटेल इन सभी कार्यों को कथित तौर पर स्वयं संचालित कर रहे हैं।

वे सरपंच को अपनी 'ऊंची पहचान' का हवाला देते हुए, पार्टी कार्यकर्ताओं को पूरी तरह से दरकिनार कर रहे हैं।

🗣️ पार्टी कार्यकर्ताओं में गहरा आक्रोश ?

स्थानीय सत्ता पक्ष के कार्यकर्ता इस स्थिति से स्तब्ध और आक्रोशित हैं।

उनका आरोप है कि:
* उपलब्ध साधनों का दुरुपयोग: एक सरकारी शिक्षक होने के बावजूद पटेल ठेकेदारी जैसे व्यवसाय में लगे हुए हैं, जो सेवा नियमों का स्पष्ट उल्लंघन है।

* अपमान और धौंस: कार्यकर्ताओं का आरोप है कि पटेल उन्हें अपमानित करते हैं और अपने रसूख का धौंस दिखाते हुए कहते हैं कि "काम लेना है तो मुझे बतावो, मैं स्वीकृत करा दूंगा,"

जिससे यह आभास होता है कि वह स्थानीय प्रशासन को प्रभावित कर सकते हैं।

* राजनीतिक उपेक्षा: कार्यकर्ताओं में यह भावना पनप रही है कि वे पिछली सरकार में भी उपेक्षित थे और वर्तमान में 'अपनी सरकार' आने के बावजूद उपेक्षित ही रहेंगे।

🤔 वरिष्ट नेतृत्व पर सवाल
स्थानीय कार्यकर्ताओं का सबसे बड़ा सवाल यह है कि सब कुछ जानने के बावजूद वरिष्ट नेता और उच्च अधिकारी प्रवीण पटेल को खुली छूट क्यों दे रहे हैं?

उनका कहना है कि यह एक बड़े जनाधार का शोषण है और इसकी करतूतों का खामियाजा अंततः पार्टी को आगामी चुनावों में भुगतना पड़ सकता है। ?

🔙 पूर्व सरकार में भी बुलंद थे हौसले

यह भी बताया गया है कि प्रवीण पटेल का यह रुतबा नया नहीं है।

पूर्व की सरकार में भी उनका हौसला बुलंद था।
उस समय भी वे बेलिया के लगभग सभी कार्यक्रमों में पूर्व विधायक का जयकारा लगाते थे और कथित तौर पर भाजपा कार्यकर्ताओं को धौंस दिखाते थे।

निष्कर्ष और कार्रवाई की मांग
एक सरकारी कर्मचारी द्वारा इस प्रकार खुलेआम ठेकेदारी में संलग्न होना, अपने पद का दुरुपयोग करना और स्थानीय राजनीतिक कार्यकर्ताओं को अपमानित करना एक गंभीर नैतिक और प्रशासनिक चूक है।

उच्च शिक्षा विभाग और स्थानीय प्रशासन से मांग है कि वे इस पूरे विषय को संज्ञान में लेते हुए प्रवीण पटेल के खिलाफ उनके पद के दुरुपयोग और हितों के टकराव के लिए तत्काल उच्च-स्तरीय जांच शुरू करें।
खबर/जन-जन की आवाज



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