
बस्तड़ी गाँव की रेशमा की नियुक्ति अटकी, विभागीय उदासीनता पर सवाल
ब्लाक कनालीछीना के ग्राम बस्तड़ी की रहने वाली रेशमा को जून माह में आंगनवाड़ी सहायिका के लिए चयनित होने की सूचना मिल चुकी थी। मेरिट सूची में उसका नाम स्पष्ट रूप से मौजूद था। नियुक्ति प्रक्रिया के दौरान कुछ आपत्तियाँ दर्ज हुईं, जिनके निस्तारण के लिए शासनादेश में एक माह की समय-सीमा निर्धारित है।
लेकिन हैरानी की बात यह है कि समय सीमा बीतने के बाद भी विभाग द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गई। न आपत्ति निस्तारण हुआ, न नियुक्ति प्रक्रिया आगे बढ़ी।
लगातार देरी और अनदेखी से परेशान होकर रेशमा ने यह मामला जनता दरबार में रखा। जिलाधिकारी ने तत्काल संज्ञान लेते हुए अधिकारियों से पूछताछ की और 2–3 दिन में नियुक्ति प्रक्रिया पूरी करने के निर्देश दिए।
फिर भी, एक माह गुजरने पर भी विभाग पूरी तरह निष्क्रिय बना हुआ है।
यह प्रकरण कई महत्वपूर्ण सवाल खड़े करता है—
जब शासनादेश में तय समय पर भी कार्रवाई न हो,
जब जिलाधिकारी के आदेश भी विभाग को न हिला पाएं,
तो साधारण नागरिक न्याय की उम्मीद किससे करे?
बस्तड़ी की रेशमा अब भी नियुक्ति की प्रतीक्षा में है, और विभागीय चुप्पी प्रशासनिक जवाबदेही पर बड़ा प्रश्नचिह्न खड़ा कर रही है।
क्या अब इस मामले में उच्चस्तरीय हस्तक्षेप होगा?
जनता को जवाब का इंतज़ार है।