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240 परिवारों के 1000 लोगो की घर वापसी, बीमारी और जादू-टोना के नाम पर हुआ था धर्म परिवर्तन।

240 परिवारो के 1000 लोगो की घर वापसी, बीमारी और जादू-टोने के नाम पर हुआ था धर्म परिवर्तन।

रायपुर - हिन्दू शुद्धि सभा के अनुसार रायपुर के गुढ़ियारी (छत्तीसगढ़) में रामानंदाचार्य स्वामी नरेंद्राचार्य महाराज के प्रवचन शिविर में 240 ईसाई परिवारों के लगभग 1000 लोगों ने वैदिक मंत्रोच्चार के साथ सनातन धर्म में वापसी की है। राज परिवार के प्रबल प्रताप जुदेव ने पैर पखारकर उनका स्वागत किया। यह आयोजन 09 नवम्बर को गुढ़ियारी स्थित दही हांडी मैदान में हुआ।

बताया जाता है कि मोहला मानपुर के देवांगन परिवार के बच्चों के बार-बार बीमार रहने से परेशान होकर करीब आठ साल पहले पड़ोसियों की सलाह पर चर्च जाने लगे और धर्म परिवर्तन कर ईसाई बन गये परंतु स्थिति में सुधार नहीं हुआ। कठिनाइयों का सामना करने के बाद अब इन परिवारो ने अपने मूल धर्म में लौटने का निर्णय लिया रायपुर में आयोजित धर्म वापसी कार्यक्रम की जानकारी मिलने पर वे इसमें सम्मिलित होकर पुनः अपने सनातन धर्म में लोट आये। इन परिवारो ने बताया कि अब उन्हें मन की शांति और आत्मिक संतोष की अनुभूति हो रही है।

*बिमारी ठीक करने के बहाने होता धर्मपरिवर्तन*
उदाहरण 1.निषाद परिवार के एक सदस्य ने करीब दो साल पहले कुछ लोगों की बातों में आकर ईसाई धर्म अपना लिया था। परिवार ने इस परिवर्तन का विरोध किया, किंतु भाई अपने निर्णय पर अडिग रहा। इस दौरान समाज के पदाधिकारियों ने उन्हें जानकारी दी कि रायपुर में धर्म वापसी का कार्यक्रम आयोजित हो रहा है। परिवार ने पुनः अपने मूल धर्म में लौटने का निर्णय लिया। अब समाज ने भी उन्हें पुनः स्वीकार कर लिया है ।
उदाहरण 2. उरकुरा गांव (कांकेर) के कुछ लोगों ने बीमारी से राहत पाने के लिए चर्च जाने की सलाह दी थी। परिवार के मुखिया ने बताया कि चर्च जाने के बाद भी बीमारी में कोई सुधार नहीं हुआ, बल्कि अब उन्हें एहसास हुआ कि उन्होंने अपनी परंपराओं से दूरी बना ली थी। ऐसे में उन्होंने रायपुर में आयोजित धर्म वापसी कार्यक्रम में शामिल होकर पुनः अपने मूल धर्म को अपनाने का निर्णय लिया है ।
उदाहरण 3. नर्राटोला (बालोद) के नायक परिवार ने बताया कि बीमारी से परेशान होकर उन्होंने तीन साल पहले चर्च जाना शुरू किया था। परिवार के सदस्यों ने बताया कि चर्च में ईसाई धर्म की बातें सिखाई जाती थीं और सनातन से दूरी बनाने की सलाह दी जाती थी । अतः परिवार ने धर्म वापसी का निर्णय लिया ।

वर्तमान में शुद्धि ही आपकी आने वाली पुश्तों की रक्षा करने में सक्षम हैं। याद रखें आपके धार्मिक अधिकार तभी तक सुरक्षित हैं, जब तक आप बहुसंख्यक हैं। इसलिए अपने भविष्य की रक्षा के लिए शुद्धि कार्य को तन, मन, धन से सहयोग कीजिए।
रिपोर्ट - घेवरचन्द आर्य पाली
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