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.⚖️ सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला (TET Exam Supreme Court Order)

सुप्रीम कोर्ट ने टीईटी (TET) परीक्षा पास न करने वाले शिक्षकों के लिए बड़ा फैसला दिया है। पहले नियम था कि जो शिक्षक टीईटी पास नहीं करेंगे, उन्हें नौकरी से हटा दिया जाएगा। लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद ऐसे शिक्षकों को नौकरी से नहीं निकाला जाएगा। सरकारी स्कूलों में काम करने वाले इन शिक्षकों को अब बड़ी राहत मिली है। उनका भविष्य सुरक्षित रहेगा और उन्हें चिंता करने की जरूरत नहीं है। इस फैसले से शिक्षा क्षेत्र के कई शिक्षकों का मनोबल बढ़ा है और उनकी स्थिति अब पहले से ज्यादा स्थिर हो जाएगी।
“TET पास न करने वाले शिक्षकों को राहत”
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बी. आर. गवई और न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन की पीठ ने दो सहायक शिक्षकों की याचिका पर फैसला सुनाया है। इन दोनों शिक्षकों की नियुक्ति साल 2012 में हुई थी, लेकिन 2018 में कानपुर नगर के बेसिक शिक्षा अधिकारी ने उन्हें टीईटी (TET) प्रमाणपत्र न होने के कारण निलंबित कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केवल टीईटी परीक्षा पास न करने के आधार पर किसी शिक्षक को नौकरी से निकालना सही नहीं है। कोर्ट ने आदेश दिया कि इन दोनों शिक्षकों को उनकी नौकरी पर बनाए रखा जाए। इस फैसले से देशभर के उन शिक्षकों को बड़ी राहत मिली है जिन्होंने टीईटी परीक्षा नहीं दी है।
“भरती प्रक्रिया के नियमों को लेकर विवाद”
यह मामला दो शिक्षकों से जुड़ा है और इसकी शुरुआत 2011 में हुई थी, जब सहायक अध्यापकों की भर्ती प्रक्रिया चल रही थी। कानपुर के इन दोनों शिक्षकों को सहायक अध्यापक पद पर नियुक्ति मिली थी।
उस समय NCTE ने 23 अगस्त 2010 को एक अधिसूचना जारी की थी, जिसके बाद शिक्षक पात्रता परीक्षा (TET) लागू की गई थी। उत्तर प्रदेश में यह TET परीक्षा 2011 में आयोजित हुई थी। इन दो शिक्षकों में से एक ने 2011 में TET पास की थी, जबकि दूसरे ने 2014 में यह परीक्षा पास की।भर्ती के समय TET की परीक्षा पास करना जरूरी था, इसलिए इन शिक्षकों की पात्रता पर विवाद खड़ा हो गया।इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 2024 में ऐसे कई शिक्षकों की नियुक्ति रद्द कर दी थी, जिनके पास नियुक्ति के समय TET प्रमाणपत्र नहीं था, भले ही वे बाकी सभी शर्तें पूरी कर रहे थे। शिक्षकों ने इस फैसले को चुनौती दी — पहले हाईकोर्ट में और फिर सुप्रीम कोर्ट में। अब सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट का फैसला रद्द कर दिया है। इस फैसले के बाद इन शिक्षकों को फिर से अपने पद पर बने रहने या नियुक्ति का अधिकार मिल सकता है। कोर्ट ने कहा है कि नियमों का पालन ज़रूरी है, लेकिन शिक्षकों के हक़ की रक्षा भी उतनी ही महत्वपूर्ण है।
शिक्षकों को उनके अधिकारों का संरक्षण
सुप्रीम कोर्ट ने आरटीई (शिक्षा का अधिकार) कानून की धारा 23 में 2017 में किए गए संशोधन पर ध्यान दिया है। कोर्ट ने साफ कहा है कि जो उम्मीदवार 31 मार्च 2019 तक टीईटी (TET) परीक्षा पास कर चुके हैं, उन्हें योग्य माना जाएगा। यानी इस तारीख से पहले परीक्षा पास करने वाले शिक्षकों को अयोग्य नहीं ठहराया जा सकता। कुछ शिक्षकों ने तो 2014 में ही टीईटी परीक्षा पास कर ली थी, इसलिए 2018 में उनकी नौकरी खत्म करना गलत था। यही वजह है कि सुप्रीम कोर्ट ने उन शिक्षकों को राहत दी है। इस फैसले से देशभर के दूसरे शिक्षकों को भी अपने अधिकार मिलने की उम्मीद बढ़ गई है।
शिक्षकों के लिए टीईटी परीक्षा देना जरूरी है।
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक अहम फैसला दिया है, जिसमें कहा गया है कि कुछ शिक्षकों को बकाया वेतन (थका हुआ वेतन) नहीं दिया जाएगा। साथ ही, अगर कोई शिक्षक टीईटी (TET) परीक्षा पास नहीं कर पाया है, तो उसकी नौकरी खत्म करना भी अब सही नहीं माना जाएगा। कोर्ट ने यह भी कहा कि जो शिक्षक 2019 से पहले टीईटी परीक्षा पास कर चुके हैं, उन्हें नौकरी से हटाना उचित नहीं है। इस फैसले से देशभर के उन शिक्षकों को बड़ी राहत मिली है, जिनकी नियुक्ति बिना टीईटी सर्टिफिकेट के हुई थी। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने यह भी साफ किया है कि प्राथमिक शिक्षकों के लिए टीईटी परीक्षा देना जरूरी (अनिवार्य) रहेगा।

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