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अखिल भारतीय इलेक्ट्रो होमियोपैथिक मान्यता संघर्ष समिति की 11 सदस्यीय टीम का गठन

सीवान। बोर्ड आफ इलेक्ट्रो होम्योपैथी काम्प्लेक्स सिस्टम आफ मेडिसिन, बिहार पटना के तत्वावधान में इलेक्ट्रो होम्योपैथी की मान्यता एवं विकास के लिए अखिल भारतीय इलेक्ट्रो होम्योपैथिक मान्यता संघर्ष समिति, बिहार का गठन कर रजिस्ट्रार श्री डी.के.सिन्हा एवं सचिव श्री जी.एस.सत्संगी ने संरक्षक डॉ.जे.जी.राय, डॉ.के.पी.सिन्हा, अध्यक्ष डॉ.एस.के.गुप्ता, सचिव डॉ.सी. बी.मिश्रा एवं कानूनी सलाहकार मनोज कुमार 'अनु' की देखरेख में 11 सदस्यीय टीम की घोषणा की। जो इलेक्ट्रो होम्योपैथिक के विकास, अध्ययन,अध्यापन, अनुसंधान, राष्ट्रोत्थान, सहयोग एवं इलेक्ट्रो होम्योपैथिक की मान्यता राज्य एवं केन्द्र स्तर पर पत्र-व्यवहार, संवाद एवं विभिन्न पदाधिकारियों के साथ सम्पर्क कर आयुष मंत्रालय, स्वास्थ्य मंत्रालय,लोक सभा सदस्यों एवं विधान सभा सदस्यों से सम्पर्क स्थापित कर मान्यता दिलाने का कार्य करेगी। ग्यारह सदस्यीय संघर्ष समिति में डा.भानु प्रकाश नारायण, डॉ.ललित कुमार, डॉ. धर्मपाल मंडल, डॉ. राम जनम यादव, डॉ. दिलिप कु. यादव, डॉ.असगर अली, डॉ.मधुसूदन प्रसाद, विकास कुमार रुपल आनंद, डॉ.अनिल श्रीवास्तव, डॉ. एन आर्फीन , डॉ. प्रभाकर ठाकुर को सम्मिलित कर जिम्मेदारी दी गई है। संघर्ष समिति के सदस्यों को संबोधित करते हुए जेपीईएच मेडिकल कालेज के प्राचार्य डा.जी.एस.सत्संगी ने बताया कि इलेक्ट्रो होम्योपैथी की दवाएं विषरहित वनस्पति एवं फूलों से तैयार होती है,जिसका कोई साइड इफेक्ट नहीं होता है।इसके प्रति लोगों को जागरूक करने की आवश्यकता है। उत्तर बिहार के सीवान में आज से लगभग पचास वर्ष पहले डा.जगन्नाथ प्रसाद ने इलेक्ट्रो होम्योपैथी का अलख जगाकर जन-जन को शिक्षित करने हेतु जे.पी. ई. एच. मेडिकल कालेज एवं हास्पिटल की स्थापना की थी,उसके माध्यम से आज भी इलेक्ट्रो होम्योपैथी चिकित्सक तैयार किये जा रहें हैं,जो केवल विहार में ही नहीं बल्कि पूरे देश में इलेक्ट्रो होम्योपैथी चिकित्सक के रूप में सेवा देकर अपने परिवार का जिविकोपार्जन कर देश को बेरोजगारी की समस्या से निजात देकर स्वस्थ समाज बनाने में भूमिका निभा रहे हैं। आप सब इलेक्ट्रो होम्योपैथी के बारे में अधिक से अधिक लोगों से चर्चा करें, अपने आस-पास के शिक्षित युवकों को इलेक्ट्रो होम्योपैथी चिकित्सक बनने के लिए प्रेरित करें। बिहार में भी इलेक्ट्रो होम्योपैथी की मान्यता के लिए प्रयासरत रहे।

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