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असंगठित क्षेत्र के लोगों के लिए यूपी सरकार की सराहनीय पहल, पीएम मोदी और सीएम योगी तथा सुनील भराला को मिलेंगी खूब दुआएं

वैसे तो केंद्र हो या प्रदेश सभी सरकारें जनहित का कार्य करती ही हैं। वो बात दूसरी है कि विपक्षी विचारधारा वालों को रास ना आती हो। लेकिन अपने देश में असंगठित क्षेत्र से संबंध लोगों की जो स्थिति है उसका अंदाजा आसानी से लगा पाना संभव नहीं है। क्योंकि एक उम्र के बाद डाइवरी करने वाले व्यक्तियों को रोटी के लाले पड़ जाते हैं। मजदूरी करने वाले दवा के लिए तरस जाते हैं। महिला हो या पुरूष सबकी स्थिति जब शरीर में एक उम्र के बाद जान नहीं होती तो आर्थिक रूप से दयनीय हो जाती है।  सामाजिक रूप से भी कोई पूछने वाला आसानी से नहीं मिलता है।

उप्र के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा पीएम मोदी जी की गरीबों कमजोरों और असहायों के लिए कुछ करने की भावना के तहत उप्र में असंगठित क्षेत्र के एक करोड़ लोगों को सामाजिक सुरक्षा के लिए मई से महाअभियान चलाया जाएगा।

वैसे तो ज्यादातर योजनाएं विभागों में बैठे अपर मुख्य सचिव अैार अन्य अधिकारियों द्वारा प्रस्ताव बनाकर मंत्रिमंडल में पास कराकर अंतिम रूप दिया जाता है लेकिन चर्चा है कि पिछले काफी वर्षों से झुग्गी झोपड़ी में रहने वाले लोगों के उत्थान के लिए काम कर रहे भाजपा के झुग्गी झोपड़ी सेल के संयोजक और वर्तमान में उप्र श्रम कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष सुनील भराला का इस काम में बड़ा सहयोग और प्रयास बताया जा रहा है। जो भी हो जिसके भी प्रयास से हो रहा हो यह काम प्रदेश सरकार का सराहनीय और दुआ प्राप्त करने वाला है।

5 लाख का बीमा होगा
बताते चलें कि सरकार ने प्रदेश में असंगठित क्षेत्र के एक करोड़ लोगों को सामाजिक सुरक्षा के दायरे में लाने की योजना बनाई है। किसी हादसे में मृत्यु या दिव्यांग होने पर 2 लाख रुपये तक की मदद मिलेगी। वहीं, प्रतिवर्ष इलाज के लिए 5 लाख रुपये का बीमा होगा। इस योजना में पंजीकरण के लिए मई से महाअभियान चलेगा।

दोनों योजनाएं उत्तर प्रदेश राज्य सामाजिक सुरक्षा बोर्ड के माध्यम से लागू होंगी। मुख्यमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत बोर्ड में पंजीकृत असंगठित क्षेत्र के पंजीकृत कामगारों और उनके परिवारीजनों को 5 लाख रुपये तक के कैशलेस इलाज की निशुल्क सुविधा उपलब्ध रहेगी। असंगठित कर्मकार सामाजिक सुरक्षा अधिनियम-2008 की धारा 10 एवं नियमावली के नियम -23 के तहत बोर्ड में पंजीकृत सभी कामगार और उनके परिवारीजन इलाज के लिए पात्र होंगे। योजना स्टेट एजेंसी काॅम्प्रिहेंसिव हेल्थ एंड इंटीग्रेटेड सर्विसेज (साचीज) के माध्यम से लागू होगी। इसके लिए बोर्ड और साचीज के मध्य एक लिखित सहमति पत्र भी होगा।
मई से प्रारंभ होने वाले इस अभियान में मुख्यमंत्री दुर्घटना योजना के लिए भी असंगठित कामगारों का पंजीकरण कराया जाएगा। इसमें कामगार की किसी हादसे में मृत्यु या दिव्यांगता की दशा में अधिकतम दो लाख रुपये की आर्थिक सहायता दी जाएगी। प्रति श्रमिक 12 रुपये प्रीमियम का भुगतान बोर्ड अधिकृत एजेंसी को करेगा। एजेंसी की यह जिम्मेदारी होगी कि पंजीकृत कामगार की दुर्घटना में मृत्यु या दिव्यांगता होने पर तय शर्तों के आधार पर आर्थिक सहायता उपलब्ध कराए।
इस बारे में अपर मुख्य सचिव श्रम सुरेश चंद्रा का कहना है कि मई से हम इन दोनों योजनाओं में पंजीकरण प्रारंभ करेंगे। कुल 1 करोड़ों लोगों का पंजीकरण कराए जाने का लक्ष्य है।

इस तरह मिलेगी मदद
मृत्यु या पूर्ण शारीरिक अक्षमता की स्थिति में, दोनों हाथ या दोनों पैर या दोनों आंखों के नुकसान होने की स्थिति में, एक हाथ और एक पैर को नुकसान होने पर दो लाख रुपये मिलेंगे। एक हाथ या एक पैर या एक आंख की क्षति होने पर 1 लाख रुपये दिए जाएंगे।
स्थायी दिव्यांगता 50 प्रतिशत से अधिक, पर 100 प्रतिशत से कम होने पर भी 1 लाख रुपये मिलेंगे। इसी तरह स्थायी दिव्यांगता 25 प्रतिशत से अधिक होने, पर 50 प्रतिशत से कम होने पर पचास हजार रुपये दिए जाएंगे। इस योजना में उत्तर प्रदेश राज्य सामाजिक सुरक्षा बोर्ड के पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन किया जाएगा। आवेदन आॅफलाइन संबंधित जिले के श्रम कार्यालय में भी दिया जा सकेगा।

इन्हें किया जाए शामिल
मुझे लगता है कि एक मई मजदूर दिवस से इस योजना में पंजीकरण शुरू हो सकता है। इसमें मेरा सीएम से अनुरोध है कि जिस प्रकार से जरूरतमंदों को निशुल्क चिकित्सा के लिए बनाए गए आयुष्मान कार्ड में 2011 में हुए सर्वे में रजिस्टर्ड लोगों को शामिल किया गया था बाद वालों को नहीं। जिससे भारी संख्या में इस योजना का लाभ प्राप्त करने से वंचित हैं।

ऐसा इस योजना में ना कर एक मई 2021 तक असंगठित क्षेत्र के जो लोग पात्र पाए जाएं उन्हें इसमें बिना किसी भेदभाव के शामिल किया जाए। और योजना को आगे बढ़ाने से संबंध श्रम विभाग के अधिकारियों को यह निर्देश दिए जाएं कि अगर एक भी पात्र व्यक्ति उनके कारण छूटा तो वह बक्शा नहीं जाएगा क्यों कि यह इतनी अच्छी योजना है कि वो सरकारी बाबुओं की हठधर्मी की भेंट नहीं चढ़नी चाहिए।

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