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स्कूलों को लेकर सरकार अब स्पष्ट नीति घोषित करें

22 मार्च 2020 को देशभर में कोरोना महामारी के प्रकोप को ध्यान में रखते हुए माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी द्वारा एक दिवसीय भारत बंद के तुरंत बाद लाॅकडाउन की घोषणा से वैसे तो बहुत कुछ प्रभावित हुआ हर आदमी के जीवन में अमूल चूल परिवर्तन आये लेकिन पढ़ने वाले हर उम्र के बच्चों को इससे सबसे ज्यादा नुकसान हआ क्योकि लाॅकडाउन के दौरान तो कुछ दिनों पूर्ण रूप से स्कूल काॅलिज बंद रहे लेकिन बाद में आॅनलाईन शिक्षा की व्यवस्था को आगे बढ़ाया गया जिसे लेकर कुछ अभिभावक खुश थे तो कुछ के द्वारा इसकी आलोचना करते हुए इसमें कई कमियां दर्शायी गयी।

अब धीरे धीरे लाॅकडाउन खुला लेकिन कोरोना संक्रमितों की बढ़ती घटती संख्या ने शिक्षा को प्रभावित किये रखा और आज भी स्थिति में सुधार नही है। अभिभावक असमंझस मंे है कि क्या करे और किस बात पर यकीन करे क्योकि रोज देशभर में कई कई बयान प्रदेश सरकारों के अलग अलग ओर अभिभावकों के विचार छपतें रहे है। जिससे कोई भी यह तय नही कर पा रहा की बच्चे आॅनलाईन घर पर रहकर पढ़ेगे या स्कूल में जाकर अभी स्कूलों की स्थिति सामान्य हुई थी लेकिन अब फिर स्कूलों में छुट्टियां घोषित करने का सिलसिला शुरू हो गया।

हिमाचल प्रदेश में 15 अप्रैल तक स्कूल व अन्य शिक्षा संस्थाएं बंद करने की घोषणा कर दी गयी। तो दिल्ली में अगले आदेश तक स्कूल बंद रहने के आदेश हो गये है यूपी सरकार द्वारा भी 11 तारीख तक स्कूल बंद कर दिये गये है तथा आॅनलाईन शिक्षा प्राप्त करने के विकल्प खुले रखे गये है। देश की राजधानी दिल्ली सहित सभी प्रदेशों में इस संदर्भ में अनिश्चिता की स्थिति बनी हुई है।

जिस प्रकार कोरोना महामारी का उतार चढ़ाव चल रहा है और उसे लेकर जो स्कूल खोलने ओर बंद करने के निर्णय लिये जाते है इन पर अब पूर्ण विराम लगाते हुए वर्ष 2022 में शुरू होने वाले शिक्षा के सत्र तक पूर्ण रूप से एक साथ इंटर तक के स्कूलों के बच्चों को आॅनलाईन शिक्षा की नीति घोषित करनी चाहिए और जो सलेब्स स्कूलों में घोषित किये गये है उनकी कीमत भी आधी की जाये हां, स्कूलों में शिक्षक तो आॅनलाईन पढ़ा ही रहे है इसलिए उनकी तनख्वाह नियमित रूप से मिलती रहे स्कूल संचालकों को भी कोई समस्या ना हो इसलिए फीस के बारें में भी एक मानक स्पष्ट रूप से एक राय घोषित किये जाये जिससे एक मत होकर बच्चे शिक्षा प्राप्त कर सके और किसी को भी अगले सेशन में बिना पढ़ाई करे अगले क्लाॅस में ट्रांसफर करने की नौबत ना आये क्योकि थोड़ा सा माहौल ठीक होते ही सोशल डिस्टेसिंग का पालन कराते हुए परिक्षाएं समय अनुकूल करा दी जाये जो पास हो उन्हे अगली क्लाॅस में पदोउनति और जो किसी वजह से रह जाये उन्हे एक मौका 2-3 महीने का गैप देकर एक्जाम देने का और दिया जाये। लेकिन अब यह आये दिन स्कूल खुलने और बंद करने की घोषणाओ से जो मानसिक तनाव होता है वो बंद किया जाये।

– रवि कुमार विश्नोई
सम्पादक – दैनिक केसर खुशबू टाईम्स
अध्यक्ष – ऑल इंडिया न्यूज पेपर्स एसोसिएशन
आईना, सोशल मीडिया एसोसिएशन (एसएमए)
MD – www.tazzakhabar.com

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