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जहरीली शराब से मौतें

उत्तर प्रदेश में जहरीली शराब ने एक बार फिर से कहर ढाया है। राज्य में जहरीली शराब से होने वाली मौतों का सिलसिला कम नहीं हो रहा है। चित्रकूट के खोपा गांव में जहरीली शराब पीने से पांच व्यक्तियों की मौत हो गई। किसी भी त्रासद घटना के घटने पर होना तो यह चाहिए कि उससे सबक लेते हुए गंभीरता के साथ ऐसी व्यवस्था की जानी चाहिए कि भविष्य में फिर कोई ऐसी दु:खद घटना न घटे। इसके विपरीत हमारे यहां की बदकिस्मती है कि  आम जनता से लेकर कानून व्यवस्था संभालने वाले विभागों, नौकरशाहों तथा यहां त​क कि सरकारों की नींद भी तब टूटती है जब कोई बड़ी घटना घट जाती है।

उत्तर प्रदेश में पिछले कई वर्षों में जहरीली शराब से से लोगों की मौतों की कई घटनाएं घट चुकी हैं, लेकिन यह समझ में नहीं आ रहा है कि इसके बावजूद सरकार तथा प्रशासन ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए कोई ठोस एवं कारगर कदम क्यों नहीं उठा पा रहा है? होता यह है कि जब कोई ऐसी त्रासद घटना घट जाती है तो केवल कुछ दोषी लोगों को निलंबित या बर्खास्त कर दिया जाता है तथा मृतकों के परिवारों को कुछ लाख मुआवजा देकर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर ली जाती है।

चित्रकूट में भी पांच लोगों की मौत के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इसे गंभीरता से लेते हुए उपजिलाधिकारी, सीओ और जिला आबकारी अधिकारी समेत छह अधिकारियों कर्मचारियों को निलंबित कर दिया है। पुलिस ने क्षेत्र के देशी शराब के ठेकेदार की दुकान तथा एक अन्य व्यक्ति की परचून की दुकान को सीजकर दोनों को हिरासत में ले लिया है। ग्रामीण क्षेत्रों में जहरीली शराब का धंधा कोई नया नहीं है। वहां यह वर्षों से कुटीर उद्योग की तरह चल रहा है। यह कहना भी अतिश्योक्ति नहीं होगी कि इसमें उन्हें स्थानीय पुलिस का संरक्षण प्राप्त होता है। जब कोई बड़ी घटना घट जाती है तो सरकार से लेकर प्रशासन तक में मुस्तैदी दिखाई देती है, क्योंकि ऐसा न होने पर मीडिया में उनकी किरकिरी होती है, लेकिन कुछ दिन के बाद स्थिति वही ढाक के तीन पात हो जाती है।

इसका सबसे बड़ा कारण है कि जहरीली शराब बनाने तथा उससे मोटी रकम पैदा करने वाले संचालक रकम का एक हिस्सा पुलिस तथा नेताओं को पहुंचाते रहते हैं और इसके बाद वे बेखौफ अपने धंधे को चलाते रहते हैं। इसका दुष्परिणाम गरीब जनता को भुगतना पड़ता है। अफसोस की बात है कि देश भर में जहरीली शराब से होने वाली मौतों की घटनाएं गंभीर समस्या बन चुकी हैं। यह केवल इस वजह से हो रही है कि कुछ लोग इसके जरिये बेलगाम कमाई करना चाहते हैं और इसके नियमन और इसे रोकने के लिए जिम्मेदार अधिकारी या पुलिस सौदेबाजी अथवा लापरवाही के कारण उनकी तरफ से आंख मूंदे रहते हैं। इसका  अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि जिन राज्यों में शराब पर पूरी तरह से पाबंदी है, वहां भी जहरीली शराब से मौतों की घटनाएं अक्सर सुनने को मिलती रहती हैं। जरूरी है कि ऐसे कारोबार के खिलाफ व्यापक अभियान चलाकर इसे पूरी तरह नेस्तनाबूद करने की कार्रवाई की जाए तथा इसके लिए आबकारी विभाग और पुलिस विभाग कड़ाई से मिलकर काम करें।
                                                                                                                                                                                                              -महेश शर्मा

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