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जेल गए या भ्रष्टाचार में लिप्त पुरस्कृत न हो! सरकारी मंत्रालय ही नहीं प्राइवेट संस्थाओं को भी ध्यान रखना होगा सम्मान की रेवड़ियां बांटने से पहले ?

पात्र व्यक्तियों चाहे वह किसी भी क्षेत्र में कोई अच्छा काम कर उपलब्धियां प्राप्त कर रहे हों, उनकी प्रशंसा और सम्मान हर हाल में होना ही चाहिए जिन्हें सम्मान दिया जा रहा है वो इसके पात्र हैं या नहीं, उनके सम्मानित किए जाने से इसके सही मायने में हकदार व्यक्तियों के उपर तो इसका कोई गलत असर नहीं पड़ेगा इस बात का ध्या सरकारी और व्यक्तिगत स्तर पर पुरस्कार देने वालों को जरूर रखना होगा।

इस संदर्भ में सरकार ने मानकों को और तर्कसंगत बनाने के लिए प्रयास शुरू कर दिए हैं। बताते चलें कि पुरस्कारों को लेकर केंद्र सरकार के मंत्रालयों के बीच लगी होड़ अब खत्म होगी। साथ ही इसके चयन की प्रक्रिया भी अब और सख्त होगी। सरकार ने फिलहाल शिक्षा मंत्रालय सहित दूसरे सभी मंत्रालयों की ओर से दिए जाने वाले पुरस्कारों की नए सिरे से समीक्षा का फैसला लिया है। साथ ही इससे जुड़ी प्रक्रिया को और अधिक तर्कसंगत बनाने की तैयारी भी शुरू कर दी है।

सरकार के इस रुख से साफ है कि आने वाले दिनों में पुरस्कारों की संख्या में भी कुछ कटौती हो सकती है या फिर कुछ पुरस्कार बंद हो सकते हैं। वैसे तो यह कदम मंत्रालयों के बीच ज्यादा से ज्यादा पुरस्कार बांटने को लेकर मची प्रतिस्पर्धा को देखते हुए उठाया था, लेकिन इस बीच मंत्रालयों की ओर से कुछ ऐसे पुरस्कार भी देने की जानकारी सामने आई है, जिनका अब कोई औचित्य नहीं है। ऐसे पुरस्कारों को चिह्नित करने का काम भी शुरू कर दिया बताते है।

जानकारों के अनुसार, इसका मकसद ऐसे पुरस्कारों को बंद करना नहीं है, बल्कि उपयोगिता के आधार पर उन्हें नया स्वरूप प्रदान करना है। इस दिशा में सबसे ज्यादा फोकस शिक्षा, संस्कृति, कृषि, उद्योग और सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता जैसे मंत्रालयों पर है। यहां मौजूदा समय में बड़ी संख्या में अलग-अलग क्षेत्रों से जुड़े पुरस्कार दिए जाते हैं। फिलहाल गृह मंत्रालय की अगुआई में सभी मंत्रालयों के साथ पुरस्कारों को तर्कसंगत बनाने को लेकर पहले दौर की बैठक हो चुकी है। सूत्रों के मुताबिक इस दौरान सभी मंत्रालयों से अपने स्तर पर दिए जाने वाले पुरस्कारों को लेकर राय देने को कहा गया है।

अकेले शिक्षा मंत्रालय की ओर से वर्ष 2020 में करीब 50 शिक्षकों को राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार दिया गया। यह संख्या पहले 300 तक थी, जिसे धीरे-धीरे कम करते हुए मंत्रालय करीब 50 पर लेकर आया है। इसी तरह संस्कृति मंत्रालय से जुड़े पुरस्कार भी हैं, जो हर साल सैकड़ों लोगों को दिए जाते हैं। सरकार की पूरी कोशिश इन पुरस्कारों के महत्व को और बढ़ाना है। साथ ही इसे लेकर एक पुख्ता व्यवस्था भी तैयार करने को लेकर है, जिससे इन पुरस्कारों को लेकर कोई सवाल न खड़ा हो सके। वैसे तो मंत्रालयों के स्तर पर इसकी व्यवस्था है, लेकिन इसके बाद भी इन पुरस्कारों के चयन को लेकर सवाल खड़े होते रहे हैं।

मेरा मानना है कि सरकार का यह प्रयास अत्यंत समयानुकुल है लेकिन अब व्यक्तिगत स्तर पर जो संस्थाएं चाहे वह किसी भी क्षेत्र में सक्रिय हो आए दिन सम्मान बांटती है उन्हें भी जिस व्यक्ति का अभिनंदन करना हो उसके काम का कि उसे किसलिए किया जा रहा है सम्मानित स्पष्ट किया जाना चाहिए। कई बार देखने को मिलता है कि भ्रष्टाचार, घोटालो, अवैध निर्माण करने जैसे नियम विरूद्ध कार्य करने व जेल गए व्यक्तियों को भी कुछ संस्थाएं सम्मानित कर देती हैं, उससे सही मायनों में ईमानदार और काम करने वाले लोगों की सोच पर फर्क पड़ता है। इसलिए जिसे सम्मानित किया जाए, उसके पूर्व के कार्यों और किसलिए सम्मानित किया जा रहा है, इसकी समीक्षा सम्मान देने से पूर्व की ही जानी चाहिए।

– रवि कुमार विश्नोई
सम्पादक – दैनिक केसर खुशबू टाईम्स
अध्यक्ष – ऑल इंडिया न्यूज पेपर्स एसोसिएशन
आईना, सोशल मीडिया एसोसिएशन (एसएमए)
MD – www.tazzakhabar.com


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