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वर्ल्ड किडनी दिवस पर विशेष: इलाज की पद्धति को लेकर लड़ने की बजाय बीमारियों को रोकने पर ध्यान दें तो

देश में जैसे बीमारियों के इलाज की व्यवस्था और दवाईयां बढ़ रही हैं वैैसे वैसे आए दिन नए नए नामों की बीमारियां भी प्रकाश में आने लगी हैं। अभी पिछले दिनों कैंसर दिवस मनाया गया। आज हम विश्व किडनी डे मना रहे हैं। इन दिवसों को मनाने के पीछे कौन सी मंशा और इरादा व कारण हो सकते हैं यह तो ऐसा करने वाले ही जान सकते हैं।
एक दिन ऐसा भी हो
मुझे लगता है कि अब दुनिया मंे विभिन्न बीमारियों के दिवस मनाने के साथ साथ साल में एक दिवस ऐसा भी मनाना चाहिए जिस दिन सब मिलकर संकल्प लें कि रहन सहन की व्यवस्था सुधार एक्सरसाइज और प्राकृतिक उपाय अपनाकर पुरानी बीमारियों को बढ़ने से रोकने और नई बीमारियों को बिल्कुल पैदा ना होने देने का संकल्प ले। बीते दिवस पूरी दुनिया में नो स्मोकिंग डे मनाया गया। इसका उददेश्य जहां तक मुझे लगता है कि हम पूरे तौर पर हर नशे से दूर रहें और जो करते हैं उनसे छुड़ाने के उपाय ढूंढे और प्यार से नशे की लत छुड़ाकर इनसे होने वाली बीमारियों से आम आदमी को छुटकारा दिलाने के हरसंभव प्रयास करें।
सस्ती चिकित्सा सुविधा
केंद्र सरकार द्वारा नागरिकों को सस्ती दवाईयां और चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने के लिए आयुवेर्दिक दवाईयां और इसके चिकित्सकों को बढ़ावा देने के लिए घोषित उपायों का आईएमए के डाॅक्टरों द्वारा विरोध किया जा रहा है। इसके पीछे क्या कारण हो सकते हैं इसमें ना पड़कर मुझे लगता है कि हमें एलोपैथी के डाॅक्टर हों या आयुर्वेदिक होम्योपैथिक या यूनानी पद्धति के सबको जनहित में सोचते हुए गरीबों को सस्ती चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराकर बीमारियों से कैसे छुटकारा दिलाया जाए इस पर मनन किया जाना चाहिए।
कोरोना महामारी में
कोरोना महामारी के साथ दूसरी बार वल्र्ड किडनी दिवस दुनियाभर में आज मनाया जा रहा है। इस बार इंटरनेशनल सोसाइटी आॅफ नेफ्रोलाॅजी (आईएसएन) ने वल्र्ड किडनी डे की थीम ‘किडनी हेल्थ फॉर एव्रीवन एव्रीवेयर’- लिविंग वेल विद किडनी डिसीज रखी है। किडनी की सेहत को नुकसान होने में कई महीने और वर्षों लग सकते हैं।
मुंबई स्थित कोकिला बेन अस्पताल के नेफ्रोलाॅजी विभाग के हेड डाॅ. शरद सेठ बताते हैं, किडनी रोग की खराब बात यह है कि गुर्दा करीब 70 प्रतिशत खराब होने के बाद भी लक्षण सामने नहीं आते। बीमारी का पता चलता है तब भी लोग लापरवाही करते हैं, क्योंकि उन्हें परेशानी महसूस नहीं होती है।

किडनी काम करना बंद
लखनऊ के डाॅ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान के किडनी ट्रांसप्लांट विशेषज्ञ डाॅ. ईश्वर राम ध्याल कहते हैं, किडनी में लाखों सूक्ष्म फिल्टर होते हैं जिन्हें नेफ्राॅन्स कहते हैं। नेफ्राॅन्स को नुकसान होने से वह काम करना बंद कर देते हैं। हालांकि, स्वस्थ नेफ्राॅन्स अत्यधिक काम कर गुर्दे की प्रक्रिया को सुचारू रखते हैं। कुछ समय बाद बड़ी मात्रा में नेफ्राॅन्स काम करना बंद कर देते हैं जिससे किडनी अचानक रक्त साफ करना बंद कर देती है।
बच्चों में भी तेजी से बढ़ रहा गुर्दा रोग
पीजीआई, लखनऊ के पीडियाट्रिक यूरोलाॅजिस्ट डाॅ. एमएस अंसारी का कहना है कि बच्चों में भी गुर्दा रोग तेजी से बढ़ रहा है। 100 में से 10 से 15 फीसदी बच्चों को किडनी की पैदाइशी बीमारी होती है। इनके मूत्राशय की नली और किडनी के वॉल्व में तकलीफ दिखती है। इसी तरह स्वस्थ बच्चों की बात करें तो 1000 में से 100 से 150 बच्चों को किडनी संबंधी रोग होता है। अधिकतर मामलो में इलाज डायलिसिस या प्रत्यारोपण ही है।
आयुर्वेदिक फार्मूला
दूसरी तरफ आयुर्वेद पर हो रहे अनुसंधान मौजूदा दौर में इसकी बढ़ती उपयोगिता पर मुहर लगा रहे हैं। फार्मास्युटिकल बायोलाॅजी में प्रकाशित एक शोध में कहा है कि आयुर्वेदिक फार्मूले गंभीर गुर्दो रोगों में असरदार हैं। इनमें पाए जाने वाले एंटी आक्सीडेंट तत्व गुर्दे की कोशिकाओं में मौजूद विषाक्त द्रव्यों जैसे प्रतिक्रियाशील आक्सीजन प्रजातियों (आरओएस) के प्रभाव को तेजी से कम करती हैं। नई दिल्ली स्थित जामिया हमदर्द विवि के शोद्यार्थियों संचित शर्मा, शौकत आर मीर, संजूला बबूता और सायमा अमीन ने एक अध्ययन में दावा किया है कि अगर किसी मरीज को नीरी केएफटी दवा दी जाए तो उसके शरीर में किडनी की कोशिकाओं में मौजूद विषैले द्रव्यों को तेजी से बाहर निकालती है और उक्त मरीज की किडनी को फेल होने से भी बचाती है। इससे पहले इंडो अमेरिकन जर्नल आॅफ फाॅर्मास्युटिकल रिसर्च में प्रकाशित शोध ने नीरी केएफटी के जरिए क्रिएटिनिन, यूरिया व प्रोटीन को नियंत्रित कर किडनी उपचार में असर मिलने की पुष्टि की थी। जानकारी के अनुसार देश में हर साल लाखों लोग किडनी की बीमारियों से ग्रस्त मिल रहे हैं। इनके अलावा किडनी फेलियर और डायलिसिस रोगी भी हजारों की तादाद में हैं। विश्व किडनी दिवस पर सामने आए इस अध्ययन से पता चला है कि पलाश के फूलों का मिश्रण गुर्दा रोगियों के लिए काफी फायदेमंद हैं। इस मिश्रण से तैयार नीरी केएफटी पर किया गया अध्ययन जो फार्मास्युटिकल बायोलाॅजी में प्रकाशित हुआ है। उसमें कहा गया है कि आयुर्वेद में गंभीर गुर्दा रोगों के असरदार उपचार का काफी उल्लेख है।
एंटी अक्सीडेंट तत्वों से रोग पर काबू पाने में मदद
इन उपचार के तहत इस्तेमाल की जाने वाली औषधियों में एंटी आक्सीडेंट तत्व होते हैं जिनके जरिए किडनी की कोशिकाओं में मौजूद विषैले द्रव्यों को यूरीन के रास्ते शरीर से बाहर निकालने में सहायता मिलती है। एमिल फाॅर्मास्युटिकल के कार्यकारी निदेशक संचित शर्मा ने बताया कि नीरी केएफटी पूर्वदृक्लीनिकल एवं क्लीनिकल मूल्यांकन की आधुनिक वैज्ञानिक प्रक्रिया को पूरा करके विकसित की गई एक प्रभावी औषधि है। यह किडनी विशेष के लिए सुपर एंटीआॅक्सीडेंट की तरह कार्य करती है। साथ ही डाइटरी एजिस एवं अन्य विषाक्त द्रव्यों से भी बचाव करती है।
आरओएस पर नियंत्रण करता है फार्मूला
शोद्याथर््िायों के अनुसार किडनी मरीजों के उपचार में प्रतिक्रियाशील आक्सीजन प्रजातियां यानि आरओएस को नियंत्रित करना बहुत जरूरी होता है क्योंकि इन्हीं की वजह से किडनी को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचता है। नीरी केएफटी दवा आरओएस को बढ़ने से रोकती है और सोडियमदृपोटेशियम एंजाइम को नियंत्रित करती है। उन्होंने बताया कि इस अध्ययन में पुनर्नवा, वरुण, रेवंड चीनी व कमल चार औषधियों को शामिल किया। साथ ही एमिल फार्मास्युटिकल के फार्मूले नीरी केएफटी को भी एक समूह में रखा गया। शोध के दौरान नौ समूहों को आठ दिन तक अलग-‘अलग उपचार दिया। इस दौरान पता चला कि जिस समूह को नीरी केएफटी दी जा रही थी उनमें आरओएस की मात्रा सबसे जल्दी नियंत्रण में आई है। अध्ययन के मुताबिक नीरी केएफटी लेने वाले समूह में एंटीआॅक्सीडेंट एंजाइम का स्तर नियंत्रित रहा। इससे पता चलता है कि नीरी केएफटी में उपस्थित एन्टी आक्सीडेंट तत्व, आरओएस के खिलाफ निरोधक का कार्य करते हैं। साथ ही इनके स्तर को कम करने में सहायक सिद्ध होते हैं। बनारस हिंदू विवि के प्रोफेसर डाॅ. केएन द्विवेदी का कहना है कि किडनी के उपचार में नीरी केएफटी बहुत ही उपयोगी साबित हो रही है। उनके पास हजारों मरीजों की जानकारी है जिन्हें इससे लाभ मिला है। वहीं मेदांता अस्पताल में मेडिसिन आयुर्वेद निदेशक डाॅ. भीमा भट्ट ने कहा कि किडनी मरीजों में नीरी केएफटी के जरिए क्रिएटिनिन को जल्द ही नियंत्रित किया जा सकता है। हर दिन इसका मरीजों में लाभ मिल रहा है। किडनी आदि बीमारियों से संबंधित इलाज की पद्धति के बारे में पढ़ने और सुनने को जितना मिलता है उससे जो अभी तक समझ में आया वो यह है कि हर पद्धति के चिकित्सक इलाज करें लेकिन सामूहिक रूप से देश और नागरिकों के हित में विचार विमर्श कर कुछ ऐसा जरूर करें कि अपने फायदे के साथ साथ कमजोर वर्ग के लोगों को भी सस्ती और अच्छी चिकित्सा सुविधा प्राप्त हो और वो कम पैसे में अपना इलाज कराकर स्वस्थ हो सके। बीमारी चाहे कोई भी हो।

– रवि कुमार विश्नोई
सम्पादक – दैनिक केसर खुशबू टाईम्स
अध्यक्ष – ऑल इंडिया न्यूज पेपर्स एसोसिएशन
आईना, सोशल मीडिया एसोसिएशन (एसएमए)
MD – www.tazzakhabar.com

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