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गोण्डा जिला पंचायत अध्यक्ष की सीट हुयी अनारक्षित अब होगा घमासान

गोण्डा। जिला पंचायत अध्यक्ष का पद अनारक्षित होने से इस बार भी चुनाव में घमासान होना तय है। इस बार 65 जिला पंचायत सदस्य अध्यक्ष का चुनाव करेंगे। अनारक्षित सीटे होने से सदस्य के चुनाव काफी रोचक होंगे। अब सदस्यों के आरक्षण तय होने हैं। 1995 से हुए अध्यक्ष पद के चुनाव में सांसद कैसरगंज का ही दबदबा चलता रहा है। सरकार चाहे सपा की रही या फिर भाजपा की।

वर्ष 1995 में जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर सीमा पांडेय जीती थीं। उस समय उनके पति डॉ. विनय कुमार पांडेय प्रदेश सरकार में कारागार राज्यमंत्री थे। लेकिन वर्ष 1997 में जिले का बंटवारा हो गया और बलरामपुर जनपद अलग बन गया। इसके बाद पहला चुनाव वर्ष 2000 में हुआ।

उस समय जिपं अध्यक्ष की सीट अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित हो गई थी। इसमें सांसद बृजभूषण शरण सिंह के करीबी बृजकिशोर को प्रत्याशी बनाया गया और वह विजयी रहे। बृजकिशोर चार साल तक अध्यक्ष रहे। उन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे और उन्हें इस्तीफा देना पड़ा था।

इसके बाद प्रशासक की नियुक्ति हुई। वर्ष 2005 में जिला पंचायत अध्यक्ष अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हो गया। सीट पर सांसद बृजभूषण के करीब बलरामपुर के विधायक पल्टूराम की पत्नी ज्ञानमती को लड़ाया गया। लेकिन प्रदेश में सपा की सरकार थी और सपा से आज्ञाराम चुनाव लड़े लेकिन सांसद बृजभूषण के सटीक पैतरें के आगे सपा की एक न चली और ज्ञानमती ने बाजी मार लिया। वर्ष 2010 में अध्यक्ष पद महिला के लिए आरक्षित हो गया।

इस समय प्रदेश में बसपा की सरकार थी और सांसद बृजभूषण सिंह कैसरगंज से सपा से सांसद थे। इस चुनाव में अध्यक्ष पद के लिए पूर्व मंत्री योगेश प्रताप सिंह की पत्नी विजय लक्ष्मी सिंह को सपा से प्रत्याशी बनाया गया और बसपा ने राजेश सिंह उर्फ डब्बू सिंह प्रत्याशी बने। लेकिन बसपा प्रत्याशी को इसमें मात्र पांच वोट ही मिले और विजय लक्ष्मी सिंह अध्यक्ष चुनी गईं।

2015 में सपा की सरकार थी और अखिलेश यादव मुख्यमंत्री बने। इसमें विनोद कुमार सिंह उर्फ पंडित सिंह कैबिनेट मंत्री थे। सपा ने पूर्व मंत्री पंडित सिंह की बहू श्रद्धा सिंह को प्रत्याशी बनाया। दूसरी पाटी से कोई प्रत्याशी नहीं खड़ा हुआ। इसमें पंडित सिंह बहू निर्विरोध अध्यक्ष पद चुनी गईं।

लेकिन 2017 में प्रदेश की सत्ता भाजपा के हाथ में आ गई और श्रद्धा सिंह के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की मुहिम शुरू हो गई। अविश्वास प्रस्ताव आता इसके पहले ही श्रद्धा सिंह से पंडित सिंह ने इस्तीफा दिला दिया। इसके बाद सांसद की पत्नी पूर्व सांसद केतकी सिंह जी को प्रत्याशी बनाकर निविरोध निर्वाचित करा लिया गया।

इस बार जिला पंचायत अध्यक्ष पद अनारक्षित होने के कारण फिर घमासान होना तय माना जा रहा है। यह भी माना जा रहा है कि सांसद कैसरगंज बृजभूषण शरण सिंह की करीबी या फिर उनके परिवार का ही कोई अध्यक्ष के लिए मैदान में जरूर उतरेगा।

जिले में 1204 प्रधान पदों के लिए निर्वाचन होने हैं। इसके लिए आरक्षण की संख्या तय कर दी गई है। आबादी कम होने के कारण अनुसूचित जनजाति के लिए कोई सीट आरक्षित नहीं होगी। इसके अलावा अनुसूचित वर्ग की महिलाओं के लिए 71 व अनुसूचित वर्ग के लिए 127 पद आरक्षित होंगे।

इसके अलावा अन्य पिछडे वर्ग की महिलाओं के लिए 112 व पुरूष व महिला दोनो के लिए 209 पद आरक्षित किए जाएंगे। महिलाओं के लिए 226 सीटें आरक्षित होंगी और 469 सीटें अनारक्षित होंगी। जिले में सबसे अधिक पद अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित हो रहे हैं और अनारक्षित सीटों पर हर वर्ग के प्रत्याशी चुनाव लड़ सकेंगे।

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