निःशुल्क पाठ्य पुस्तक ऐटग्रेड विज्ञान के वितरण में फिर देरी..??
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बीआरसी बच्चों के भविष्य के साथ कब तक ऐसे ही करते रहेंगे खिलवाड़ ..
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मिडिया या पत्रकारों के समक्ष बीआरसी क्यों छूट रहा पसीना---
मध्य प्रदेश (बालाघाट) खैरलांजी बी.आर.सी.शंकरलाल भगत एक बार पुनः अपनी कार्यप्रणाली को लेकर सुर्खियों में है। बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करना तो जैसे इनकी आदत में शुमार हो गया है कहे तो अतिश्योक्ति नही कहा जाए। जो पुस्तक लगभग एक महीने पहले बीआरसी कार्यालय में पहुंच चुकी थी वह आज भी विद्यालय नही पहुंच पाई है। मामला ऐटग्रेड अभ्यास पुस्तिका का है जो शासन के निर्देशानुसार बी.आर.सी.कार्यालय से स्कूल भेजी जानी थी किंतु परिवहन की राशि बचाने के चक्कर में बीआरसी शंकरलाल भगत ने प्रधान पाठको को ही कार्यालय के चक्कर लगवाना शुरू कर दिया है। सौमवार 30/09/24 को संकुल अमई और खैरलांजी के दर्जनों प्रधान पाठक पुस्तक कार्यालय से लेकर जाते पाये गये। जब प्रधान पाठको से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि बीआरसी के द्वारा हमें बुलाया गया है कि एटग्रेड की पुस्तकें लेकर जाये और साथ में बोरी भी अवश्य लेकर आये जिसमें कि पुस्तक भरकर शाला ले जाई जा सके।
बीआरसी गोलमाल देते रहे जवाब
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जब इस संबंध में बीआरसी से बात करने की कोशिश की गई तो उन्होंने बहाना बना दिया कि ये पुस्तके 4-5 दिन पहले ही डिपो से आईं है जब इस बात की पुष्टि करने हेतु उनसे पुस्तक का चालान दिखाने कहा गया तो वे दिखाने से इनकार कर गये। इसी प्रकार पत्रकारों को कार्यालय में देखकर खैरलांजी संकुल के कुछ प्रधान पाठकों को जो किताबे लेने पहुंचे थे वापस भेज दिया गया। जब किताबें नियम अनुसार और समय पर वितरित हो रही थी तो फिर मिडिया या पत्रकारों के समक्ष किताबों का वितरण करने में बीआरसी को क्यों पसीना छूट रहा था। क्या अब भी डीपीसी,बीआरसी शंकरलाल भगत को माफ़ कर दो कहेंगे या कोई कड़ी कार्यवाही करेंगे। बीआरसी के गुनाहो की इन लंबी फेहरिस्त को देखने के बाद भी क्या इन पर कोई कार्यवाही होती है यह जनचर्चा का विषय बना हुआ है।
जून में भी कर चुके है बीआरसी ऐसी ही लाफरवाही
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बीआरसी भगत द्वारा इसके पूर्व जून महीने में भी ऐसी ही लाफरवाही कर बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया गया है। शासन के निर्देश अनुसार जो प्रयास अभ्यास पुस्तिका इनको अप्रैल माह में वितरित कर देनी चाहिए थी उसे इनके द्वारा 11 और 12 जून 2024 को शालाओं में वितरित किया गया था जो कि गलत और नियम विरूद्ध था। इसी प्रकार निशुल्क पाठ्य पुस्तकों का वितरण इनके द्वारा शालावार न करते हुए संकुलवार किया गया था। न्यूज पेपर में इस बात की खबर प्रकाशन और सीएम हेल्प लाइन में शिकायत के बाद भी बीआरसी पर डीपीसी और पुर्व के कलेक्टर द्वारा कोई कार्यवाही नही की गई थी जिसके कारण इनके हौसले बुलंद ही होते जा रहे है।
इनका कहना है
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किताबें चार पांच दिन पुर्व ही कार्यालय पहुंची है। मैं आपको चालान नही दिखा सकता। किताबें दो बार ही शालावार भेजी जाती है इसके बाद जो भी किताबें आती है उनको प्रधान पाठक कार्यालय आकर ले जाते है।
शंकरलाल भगत बीआरसी खैरलांजी
मामला चार तारीख की शिक्षा समिती की बैठक में उठाया जाएगा। मामला गंभीर और शंका उत्पन्न करने वाला है। बीआरसी को पत्रकारों को चालान दिखाने में क्यों परेशानी हो रही थी। पत्रकारों को देखने के बाद किताबों का वितरण बीआरसी द्वारा क्यों रोक दिया गया। मामला बहुत ही संदेह उत्पन्न करने वाला है।
दुर्गाप्रसाद लिल्हारे उपाध्यक्ष जनपद पंचायत और अध्यक्ष जनपद शिक्षा समिति।