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आज त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर शासन आरक्षण की नीति जारी कर सकता है


फर्रुखाबाद। त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर शासन मंगलवार को वार्डों के आरक्षण की नई नीति जारी कर सकता है। ग्राम प्रधानों व ग्राम पंचायत सदस्यों के चुनाव के लिए चक्रानुक्रम आरक्षण लागू हो सकता है, जबकि बीडीसी, जिला पंचायत सदस्य, जिला पंचायत अध्यक्ष व ब्लॉक प्रमुख के निर्वाचन क्षेत्रों में आरक्षण में बदलाव हो सकता है।

गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में इस साल 57,207 ग्राम प्रधान चुने जाएंगे। इसके लिए आरक्षण की चक्रानुक्रम व्यवस्था लागू हो सकती है। दरअसल, 2015 में आरक्षण को शून्य मानकर चक्रानुक्रम में आरक्षण की व्यवस्था की गई थी। इस बार सरकार इस व्यवस्था को आगे बढ़ा सकती है। मतलब यह है कि 2015 में जो सीट अनुसूचित वर्ग के लिए आरक्षित थी वह इस बार अनुसूचित वर्ग के नहीं होगा, इसी तरह अगर कोई ग्राम पचायत ओबीसी सदस्य के लिए रिज़र्व थी तो इस बार पिछड़े वर्ग के लिए आरक्षित नहीं की जाएगी।

ग्राम प्रधान, क्षेत्र व जिला पंचायत सदस्य, जिला पंचायत अध्यक्ष और ब्लॉक प्रमुख के पदों के आरक्षण के लिए एक पखवाड़े से माचा-पच्ची चल रही है। इस बार प्रदेश में 57,207 ग्राम प्रधान चुने जाएंगे। वर्ष 2015 में ग्राम पंचायतों में आरक्षण को शून्य मानकर चक्रानुक्रम से शुरुआत की गई थी। इस बार चक्रानुक्रम में आरक्षण पिछली बार से आगे बढ़ेगा।
यह प्रावधान लागू किया जा सकता है कि यदि 2015 में किसी ग्राम पंचायत में प्रधान पद अनुसूचित जाति के लिए लागू था तो इस बार उसे एससी के लिए आरक्षित नहीं किया जाएगा। इसी तरह यदि कोई ग्राम पंचायत पिछली बार ओबीसी के लिए आरक्षित थी तो इस बार पिछड़े वर्ग के लिए आरक्षित नहीं की जाएगी।
आरक्षण के लिए प्रत्येक ब्लॉक में अनुसूचित जाति, पिछड़े और सामान्य वर्ग की आबादी अंकित करते हुए ग्राम पंचायतों की सूची अकारादि (अ, आ, इ, ई…) क्रम में बनाई जाएगी। इसमें अंकित किया जाएगा कि वर्ष 1995 में कौन की ग्राम पंचायत किस वर्ग के लिए आरक्षित थी।

एससी और पिछड़े वर्ग के लिए प्रधानों के आरक्षित पदों की संख्या उस ब्लॉक में अलग-अलग पंचायतों में उस वर्ग की आबादी के अनुपात में अवरोही (गिरते हुए) क्रम में आवंटित की जाएगी।

नए फार्मूले में बीडीसी व जिला पंचायत सदस्य, जिला पंचायत अध्यक्ष और ब्लॉक प्रमुख के आरक्षण में भी चक्रानुक्रम लागू हो सकता है लेकिन शर्त रखी जा सकती है कि जो निर्वाचन क्षेत्र 1995 से 2015 के बीच एससी या ओबीसी के लिए आरक्षित रहा है, उसे इस बार उनके लिए आरक्षित नहीं किया जाएगा। जिला पंचायतों के अध्यक्ष पद पर आरक्षण संबंधी कार्यवाही शासन करेगा।

जिलावार प्रमुखों और विकास खंडवार प्रधानों के आरक्षित पदों की संख्या शासन व निदेशालय स्तर से तय करके जिलाधिकारियों को उपलब्ध कराई जाएगी। क्षेत्र पंचायत प्रमुखों के आरक्षित पदों, विकासखंडवार ग्राम पंचायतों के प्रधानों के आरक्षित पदों और तीनों स्तर की पंचायतों में आरक्षित वार्डों के आवंटन की कार्यवाही डीएम करेंगे।

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