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गिद्ध की बढ़ती संख्या में वनकर्मियो व विशेषज्ञों का योगदान

गिद्ध की बढ़ती संख्या में वनकर्मियो व विशेषज्ञों का योगदान

वृहद ,मध्यम सिंचाई परियोजनाओं के निर्माण सिंचाई ,बिजली उत्पादन मछली रोजगार एवं भूमिगत जलस्तर में बढोत्तरी होती है वही पशु पक्षियों के लिए आहार की व्यवस्था सुलभ हो जाती है वर्तमान उदाहरण को देखे गांधीसागर अभ्यारण चीतों के लिए स्वागत के लिए तैयार हो रहा है |यहां गिद्धों की संख्या में भी बढ़ोत्तरी हो रही है |एक जानकारी के मुताबिक स्थानीय प्रजाति लांग बिल्ड़ वल्चर,इजिप्शियन,राज,सफ़ेद पीठ वाले स्थानीय एवं विदेश से आने वाले काला गिद्ध ,यूरेशियन ग्रिफ़ोन,हिमालयन ग्रिफ़ोन गिद्ध से गिद्धों की संख्या में बढ़ोत्तरी हुई |इन के घोसलो को वनकर्मियो व विशेषज्ञों ने निगरानी कर नष्ट नहीं होने दिया|विशेषज्ञों के अनुसार ये गिद्ध मरे हुए जानवरों को खाकर प्रकृति को प्रदूषण मुक्त करते है |गिद्धों की रक्षा में हर व्यक्ति ,संस्थाओं को सहयोग हेतु आगे आना होगा ताकि गिद्धों के संरक्षण एवं पर्यावरण स्वच्छता का लाभ के साथ गिद्धों की संख्या में वृद्धि होकर उनके आवासीय स्थल सुरक्षित हो सके |पक्षी विशेषज्ञों का मानना है की गिद्धों की संख्या में कमी का कारण प्रदूषण ,घटते जंगलो ,विषैले पदार्थ खा लेने के चलते इनका जीवन प्रभावित हुआ है।पर्यावरण हितैषी गिद्ध धरती पर जहाँ संक्रमण को रोकते है वही स्वच्छता में हमारे सहयोगी रहे है।गिद्धों के हितों का ध्यान रखा जाए ताकि गिद्ध विलुप्ति की कगार पर ना पहुंचे|
संजय वर्मा "दृष्टि "
मनावर जिला धार मप्र

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